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जानिए : कृषि कानूनों को रद्द करने की संवैधानिक प्रक्रिया क्या है?

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साम, दाम, दंड, भेद का जोर लगा कर भी सरकार समझा नहीं पाई किसानों को कृषि कानून का महत्व :-

आंदोलन रोकने के लिये किए गए थे कई उपाय

कृषि कानूनों को पारित हुए 14 महीने हो गए हैं। सरकार ने भरसक प्रयास किया कि इन कानूनों को वापस ना लेना पड़े लेकिन किसान भी जिद पर अड़े रहे कि ये काले कानून वापस लेने होंगे। सरकार ने कृषि कानूनों के लाभप्रद होने की अपनी विशेषताएं बताई और किसानों ने कृषि कानूनों से होने वाले नुकसान को गिनाया। और सरकार ने कहा कि किसानों के कहने पर कानूनों में संशोधन किया जा सकता है लेकिन किसानों का कहना था कि जो कानून लागू होते ही कमी के कारण संशोधित किए जाने लगे तो ऐसे कानून को लागू करने से क्या फायदा। लगभग 1 साल किसान आंदोलित रहा। 1 साल में सरकार ने भी साम, दाम, दंड, भेद सभी नीतियां किसानों को हटाने और कानून लागू कराने में लगा दी। दूसरी तरफ किसानों ने भी अपनी कमर कस ली थी कि कानून तो वापस होकर रहेंगे। इस आंदोलन में लगभग 700 किसानों की शहादत भी हो गई। और कई किसानों को जेलों में बंद कर दिया गया।

किसान नेताओं ने कहा कि अभी नहीं होगा किसान आंदोलन  वापस :-

आंदोलन नहीं होगा तुरंत वापस – राकेश टिकैत

कल गुरु नानक देव की जयंती के दिन सुबह 9:00 बजे प्रधानमंत्री मोदी जी ने घोषणा  की कि कृषि कानूनों को वापस लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसी महीने के अंत में कानून वापसी की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी की जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा कि सभी किसान अपने घरों और खेतों में लौट जाएं। लेकिन किसान नेताओं ने कहा कि हम ऐसी गलती नहीं करेंगे। जब तक कि किसानों के मुद्दों को पर सरकार से बात ना हो जाए और संवैधानिक प्रक्रिया द्वारा कृषि कानूनों को रद्द ना किया जाए। तब तक किसान आंदोलन चलता ही रहेगा। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि भारत में क्या किम जोंग का शासन है जो घोषणा कर दी तो वही नियम बन गया। संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा होने दो।

कानून रद्द करने की संवैधानिक प्रक्रिया :-

मोदी जी ने घोषणा की कि इस महीने के अंत में होगी कानून वापसी की संवैधानिक प्रक्रिया।

प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा कि हम से ही कुछ कमी रह गई है जो हम किसानों को समझा नहीं पाए। दरअसल कानून रद्द तब किया जाता है जब वह अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में असफल रहता है। और जिस प्रक्रिया द्वारा कानून संसद में बनाए जाते हैं लगभग कानून वापसी की प्रक्रिया भी उसी प्रकार से की जाती है।

(1) जिस कानून को रद्द किया जाना है। उसके संबंध में कानून मंत्रालय संबंधित मंत्रालय को सूचित करता है। जैसे कृषि कानूनों को रद्द किया जाना है तो कृषि मंत्रालय को सूचित किया जाएगा।

(2) कृषि मंत्रालय से संबंधित मंत्री यानी नरेंद्र सिंह तोमर संसद में विधेयक पेश करेंगे।

(3) संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा से और राज्यसभा से इस विधेयक को बहुमत से पारित किया जाएगा।

(4) इस विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।

(5) अंततः राष्ट्रपति इस विधेयक पर अपनी सहमति देंगे और राष्ट्रपति की मुहर लगते ही सरकार अपने बजट में एक अधिसूचना के माध्यम से उस कानून को समाप्त होने की जानकारी देगी।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के जरिए भी हो सकते हैं कानून रद्द :-

कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि कृषि कानूनों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में मामला जारी है। इन कानूनों को सर्वोच्च न्यायालय से भी रद्द कराया जा सकता है। इसमें सरकार सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करके इन कानूनों को रद्द करने की सहमति जाहिर कर सकती है । इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के जरिए कानून रद्द हो सकते हैं।

…………………………….समाप्त ……………………….

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