Dr. Vikram Harijan: जाति के आधार पर अंक देने का विवाद नहीं थम रहा,इविवि को फिर मिला नोटिस

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Dr. Vikram Harijan: समता समानता के व्यवहार का दावा करने वाले भारत मे समय समय और जातिगत भेदभाव होने जैसे विवाद उठना अत्यंत चिंता का विषय है और यह तब और भी ज्यादा गम्भीर हो जाता है जब इन विवादों के केंद्र में कोई ऐसा व्यक्ति अथवा संस्थान हो जिसपर समाज निर्माण जैसा महत्वपूर्ण दायित्व हो,ऐसी ही दुखद घटना देश के जाने माने विश्वविद्यालय इलाहाबाद विश्वविद्यालय की है,जहाँ पर जातिगत भेदभाव करने का विवाद चल रहा है।

प्रो0 Dr. Vikram Harijan ने लगाया था आरोप

डॉ विक्रम,जिनका पूरा नाम Dr. Vikram Harijan है उन्होंने कुछ महीने पहले एक टी वी चैनल को दिये गये इंटरव्यू में यह बात कही थी इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बच्चे और शिक्षक जाति के आधार पर बंटे हुये हैं और परीक्षा परिणाम में जाति के आधार पर ही नम्बर दिये जाते हैं,इस बयान के वायरल होने के बाद विश्वविद्यालय परिसर में विवाद खड़ा हो गया था जो अभी तक जारी है और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग तक पहुँच चुका है।

विश्वविद्यालय ने दिया डॉ विक्रम को नोटिस

Dr. Vikram Harijan का इंटरव्यू प्रसारित होने के बाद जब विवाद उठा तो आनन फानन में विश्वविद्यालय प्रशासन ने Dr. Vikram Harijan को नोटिस जारी कर प्रमाण सहित जवाब मांगा और प्रमाण न दे पाने की स्थिति में कार्यवाही की धमकी दी,जिसके बात डॉ विक्रम में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में विश्वविद्यालय प्रशासन के विरुद्ध शिक़ायत की थी।

अनुसूचित जाति आयोग ने जारी की विश्वविद्यालय को नोटिस

जब Dr. Vikram Harijan ने इस मामले की शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को की तो आयोग ने विश्वविद्यालय को नोटिस जारी करते हुये जवाब तलब किया और 15 दिन के अंदर जवाब देने की बात कही परंतु आश्चर्य का विषय यह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने नोटिस को इग्नोर कर दिया और कोई जवाब नहीं दिया।

E-VIDYA VAHINI : आयोग ने जारी की दूसरी नोटिस और दी चेतावनी

पहली नोटिस का जवाब न देने पर आयोग ने विश्वविद्यालय को दूसरी नोटिस जारी की है और अब 7 दिन के अंदर जवाब देने में निर्देश दिये हैं,आयोग ने कहा है कि अगर इस बार जवाब नहीं दिया गया तो आयोग विश्वविद्यालय के अफसरों को व्यक्तिगत रूप से तलब करेगा।अब देखना यह है कि विश्वविद्यालय जवाब देता है अथवा नहीं।

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आयोग ने कहा ,सार्वजनिक करें 10 वर्ष के रिकॉर्ड

आयोग को की गयी शिक़ायत में दो बातें खास हैं पहली जाति के आधार पर नम्बर देने की और दूसरी डॉ विक्रम को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने की,तो इन दोनों संदर्भ में आयोग ने विश्वविद्यालय से कहा है कि अगर डॉ विक्रम के बयान से असंतुष्ट हैं तो कमेटी बनाकर जाँच करें और दूसरी बात अपने पिछले 10 वर्षों के रिकॉर्ड सार्वजनिक करें ताकि स्पष्ट हो सके कि आरोपी सही है या गलत।

इस प्रक्रार यह विवाद अब राष्ट्रीय स्तर पर पहुँच चुका है जो थमने का नाम नही ले रहा है।

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