Dolfin: राप्ती नदी में गंगा डॉल्फिन
इस समय राप्ती नदी में डॉल्फिन को तैरते हुए आप देख सकते हैं। वन विभाग और चिड़ियाघर की संयुक्त टीम को राप्ती नदी में लगभग 1 दर्जन से अधिक डॉल्फिन दिखाई दि हैं। वन विभाग इसके रखरखाव और सुरक्षा की तैयारी में लगा हुआ है।
गंगा डॉल्फिन को अब आप गोरखपुर के राप्ती नदी में भी देख सकते हैं। वन विभाग के अधिकारी
गोरखपुर के राजघाट के पास 1 दर्जन से अधिक डॉल्फिन देखने का दावा कर रहे हैं। चिड़ियाघर और वन विभाग की एक टीम को पर्यवेक्षण के दौरान नदी में उनको डॉल्फिन अठखेलियां करते हुए दिखाई दिए हैं। उन्होंने इसे अपने रिपोर्ट में दर्ज कर लिया है और भी उसके संरक्षण की तैयारी में लगे हुए हैं।
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वन विभाग और चिड़ियाघर विभाग के संयुक्त टीम के द्वारा इस गंगा डॉल्फिन के संरक्षण की तैयारी शुरू हो गई है। इन दोनों विभागों ने डॉल्फिन के संरक्षण को लेकर तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए इस टीम ने जल जीवों को संरक्षित करने वाली एक संस्था टीएसए से संपर्क किया है। आने वाले समय में संस्था के साथ एक अनुबंध की तैयारी हो रही है। और इसी बीच राप्ती नदी पर पिकनिक स्पॉट बनाने की भी तैयारी शुरू हो गई है।
इस गंगा डॉल्फिन को राज्य स्तर का दर्जा प्राप्त है। 2017 की गणना के मुताबिक गंगा और उसकी सहायक नदियों में कुल 35 और डॉल्फिन थे। पिछले 5 वर्षों में इनकी संख्या में निरंतर गिरावट आई है। इनके निरंतर घटती संख्या को लेकर सरकार काफी चिंतित है। यही कारण है कि नमामि गंगे अभियान में डॉल्फिन के संरक्षण को अलग से जगह दिया गया है। ऐसे में जब बन और चिड़ियाघर प्रशासन को राप्ती नदी में डॉल्फिन के होने की खबर मिली है।
तो इस बताए गए स्थान पर राजघाट पर्यवेक्षण टीम ने डेरा डाला। और उन्हें वहां पर बहुत सारे डॉल्फिन अठखेलियां करती हुई दिखाई दी। उसके बाद टीम ने उनके संरक्षण के लिए डीएसए से संपर्क किया और दूसरी और मछुआरों को जागरूक करना शुरू किया कि अगर उन्हें डॉल्फिन कहीं दिखाई देती है तो उन्हें नुकसान ना पहुंचाएं।
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गंगा डॉल्फिन को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के रिकॉर्ड में विलुप्त प्राय जीवो में गिना जाता है। इनकी कम संख्या तथा घटती हुई संख्या को देखकर वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन एक्ट 1972 में इन्हें एक शेड्यूल वन में शिफ्ट किया गया है।
जिसमें शेर बाघ तेंदुआ जैसे दुर्लभ प्राणियों को जगह मिला है। राप्ती नदी में गंगा डॉल्फिन होने की पुष्टि हो चुकी है और वन विभाग और चिड़ियाघर की टीम अब उनके संरक्षण के लिए संयुक्त रूप से तैयारी में लग गई है।