बृहस्पतिवार को विश्व स्वास्थ संगठन शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि पिछले एक महीने में यूरोप में कोरोनावायरस के संक्रमण कि मामलों में 50 प्रतिशत से अधिक वृद्धि देखी गई है। यह इलाका टीके के पर्याप्त आपूर्ति के बावजूद महामारी का केंद्र बिंदु बना हुआ है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार अगर ये स्थिति जारी रहती है। फरवरी तक यूरोप में 5 लाख और लोगों की महामारी की वजह से मौत हो सकती है। संगठन के यूरोप कार्यालय ने बताया कि क्षेत्र में साप्ताहिक मामले लगभग 18 लाख आए हैं। जो पिछले हफ्ते की तुलना में 6 फ़ीसदी से भी अधिक है। हालांकि साप्ताहिक तौर पर 24 हजार मौतें हुई हैं। जिसमें 12 फीसद वृद्धि हुई है। डॉ हांस क्लूज ने बताया कि गुरु की संख्या में फिर से रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ोतरी ही हो रही है। गंभीर चिंता का विषय है इस क्षेत्र में कोरोनावायरस की रफ्तार है।
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क्लूज ने बताया कि कुछ जगहों पर रोकथाम उपायों में ढील तथा वैक्सीनेशन की कम दर वायरस की नई लहर के बारे में ही बताती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 53 देशों के क्षेत्र में कोरोना के कारण से अस्पताल में भर्ती होने की दर पिछले हफ्ते की तुलना में दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। ये ट्रेंड यदि जारी रहता है। तो इस क्षेत्र में फरवरी तक कोरोना की वजह से पांच लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ सकती हैं। पिछले हफ्ते से इसमें करब छह फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है। इस दौरान 24,000 लोगों ने अपनी जाने गवाई है। जिसमें बारह फ़ीसदी का इजाफा हुआ है।
डॉ हांस क्लूज ने बताया कि इस चित्र के देश वैक्सीनेशन करने की रफ्तार विभिन्न स्टेज में है। तथा क्षेत्र में 47 फ़ीसदी औसतन लोगों का फुली वैक्सीनेशन हुआ है। आठ देश केवल ऐसे हैं। जहां पर 70 परसेंट आबादी फुली वैक्सीनेटेड हैं। क्लूज ने बताया कि हमें अपनी रणनीति को बदलना चाहिए। इसमें बढ़ती कोविड-19 कर दी जाने वाली प्रतिक्रिया तक में बदलाव करने की जरूरत है। क्योंकि इसे तुरंत रोकने की जरूरत है। बुधवार को जिनेवा में डब्ल्यूएचओ के मुख्यालय ने कहा कि यूरोप में लगातार पांचवें हफ्ते मामले बढ़ रहे हैं। जिससे ये दुनिया एकमात्र ऐसा क्षेत्र बन गया है। जहां पर अभी भी कोरोना कहर जारी है।
उन्होंने ने बताया कि वायरस के फैलाव को रोकने वाले उपायों तथा कुछ क्षेत्रों में टीकाकरण की कम दर बताती है कि मामले किस लिए बढ़ रहे हैं। फिलहाल डॉ क्लेज ने बताया कि पिछले 1 हफ्तों में 53 देशों के क्षेत्र में कोविड-19 की वजह से लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की दर दोगुनी से भी अधिक हो रही है।