कोरोना वायरस से मरने के बाद शव को जलाया या दफनाया जाए, इस बात को लेकर बहस हो रही है कई लोगों का कहना है कि संक्रमण को रोकने के लिए शव को जलाना ज्यादा ठीक है लेकिन इसके कई ठोस सबूत नहीं है शव दफनाने से संक्रमण फैल सकता है,
हाल ही में श्रीलंका में एक व्यक्ति की कोरोना से मौत हो गई । शव को जला दिया गया जबकि वह व्यक्ति मुसलमान था । श्रीलंका के मुस्लिम नेताओं ने इस पर आपत्ति भी जताई कि अंतिम संस्कार इस्लामिक तरीके से क्यों नहीं हुआ। श्रीलंका की सरकार ने कहा कि शव को जलाना संक्रमण को रोकने में मददगार साबित होगा,
कुछ हफ्ते पहले मुंबई के नगर निगम ने भी एक सर्कुलर जारी कर कोविद 19 के संक्रमण से मरने वालों के शवों को जलाने की बात कही थी। हालांकि बाद में विवाद हुआ तो सेकुलर वापस ले लिया गया था। बाद में बड़े ग्राउंड में शवों को दफनाने की अनुमति दे दी गई,
क्यों लाया गया था यह सेकुलर,
नगर निगम आयुक्त ने महामारी एक्ट के तहत ये सर्कुलर जारी किया था नगर आयुक्त ने कहा था कि- एक समुदाय के नेता ने मुझे बताया है कि शवों को दफनाने की जगह बहुत घनी है ऐसे में वहां से संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता है इसके बाद यह सर्कुलर जारी किया गया,
हिंदुजा अस्पताल में कोरोना वायरस से 85 वर्ष की एक मुस्लिम सर्जन की मौत हुई। 27 मार्च को शवों को इस्लामिक तौर तरीके से दफनाया गया। इस दौरान बीएमसी का कोई स्टाफ नहीं था इस बात की चिंता थी कि अंतिम संस्कार के दौरान संक्रमण रोकने के लिए जो सावधानी बरतनी थी उसका ख्याल नहीं रखा गया,
अब क्या है व्यवस्था,
बीएसई ने अब इलेक्ट्रक या पाइंड नेचुरल गैस शमशान की सिफारिश की है सर्कुलर में कहा गया है कि शरीर को प्लास्टिक में पैक कर दफनाने में अब संक्रमण का खतरा कम है । प्लास्टिक को पिघलने में समय लगता है,
सर्कुलर में कहा गया है कि किसी भी अंतिम संस्कार में 5 से अधिक लोगों को शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई है,
दूसरे देशों ने शवों को दफनाने के लिए को लेकर कई तरीके के दिशा निर्देश तय किए हैं विश्व स्वास्थ संगठन ने भी कोरोना संक्रमण से मरने वाले व्यक्तियों को लेकर गाइडलाइन जारी की है जिसमें कहा है कि शवों को दफनाते वक्त बाद को देखना है कि वहां पर्याप्त जगह है या नहीं इसके साथ गहराई को लेकर भी गाइडलाइन जारी की गई है,
बीएमसी के सेकुलर में किसी बड़े मैदान में शवों को दफनाने की अनुमति दी गई है वैसे सर्कुलर में कब्रिस्तान के आकार को लेकर कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं दी गई है,
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री ने करोना वायरस से शवों को लेकर केंद्र के दिशा निर्देश का पालन करने के बात कही है,
केंद्र का दिशानिर्देश क्या है
स्वास्थ्य मंत्रालय के विस्तृत दिशा निर्देश के अनुसार कोविड-19 से मरने वालों के शवों को जलाने और दफनाने दोनों की अनुमति है सरकार की तरफ से ऐसा कुछ नहीं कहा गया है कि शवों को दफनाने से किसी प्रकार से संक्रमण फैलता है,
दिशा निर्देश के अनुसार मृतकों का शरीर प्लास्टिक बैग में सील होना चाहिए। बैग के चैन खोलकर सिर्फ शव का चेहरा ही देखने की अनुमति होती है । अंतिम संस्कार के दौरान परिवार के सदस्यों को कोई धार्मिक अनुष्ठान की अनुमति नहीं दी गई है।
कोरोना से संक्रमित शवों के पोस्टमार्टम नहीं किए जाएंगे क्योंकि दौरान कोविड-19 का संक्रमण फैल सकता है ।शवों को बैग में डालने के बाद बैग को हाइपोक्लोराइट से सैनिटाइज करना चाहिए ।इसके बाद बैग को मृतक के परिवार से मिले कपड़े से ढक देना चाहिए।
कीटाणुरहित होने के बाद प्लास्टिक में बंद शव को उठाने में कोई खतरा नहीं है हालांकि शव के नजदीक जाने वाले लोगों को सुरक्षा उपकरण पहनने चाहिए,
क्या शव दफनाने से संक्रमण का खतरा होता है,
एचआईवी और सास जैसे रोगाणुओं से मरने वाले लोगों को पूरी तरह से सील करके शव को दफनाने पर सुरक्षित माना जाता था,
अगर शव को जलाया जाता है तो उसकी राख से किसी तरह के संक्रमण का खतरा नहीं होता है ,कोरो ना के संक्रमित से इंफेक्शन फैलने का खतरा काम हो जाता है लेकिन शव घर में काम कर रहे लोगों पर हो सकता है जिसमें डॉक्टर नर्स शव को उठाने वाले लोगों को खतरा हो सकता है,
अगर सभी सावधानियों का पालन किया जाता है तो शव को दफनाने या जलाने दोनों में सुरक्षित है ।अंतिम संस्कार के समय भीड़ नहीं इकट्ठा होनी चाहिए क्योंकि परिवार के सदस्यों में भी संक्रमण का खतरा रहता है।
मुंबई में भी एम्स अस्पताल के कोरोना वायरस विभाग के प्रमुख डॉ हरीश पाठक ने कहा है कि जितना जल्दी हो सके, शव का अंतिम संस्कार का देना चाहिए अगर शव घर में रखा जाता है तो चार से छह डिग्री संश्लेषण के बीच रखा जाना चाहिए।