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CG BUDGET 2022: CM भूपेश बघेल गोबर से बने ब्रीफकेस लेकर विधानसभा पहुंचे, जानिए क्या है इसकी खूबियां

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CG BUDGET 2022: छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने बुधवार को विधानसभा में अपनी सरकार का चौथा बजट पेश किया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बजट पेश करने के लिए जिस रेप केस का इस्तेमाल किया है वह चमड़े या जूते का नहीं। बल्कि गोबर के बाई प्रोडक्ट से बना हुआ है। मुख्यमंत्री की तरफ से बजट के लिए उपयोग किए गए ब्रीफकेस को गोबर के पाउडर से तैयार किया गया है। जिसको महिला स्व सहायता समूह की दीदी नोमिन पाल ने तैयार किया है। हालांकि छत्तीसगढ़ देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने मां लक्ष्मी के प्रति के रूप में गौधन से निर्मित ब्रीफकेस का उपयोग किया है।

महिला स्व सहायता समूह की दीदियों ने इस ब्रीफकेस का निर्माण किया.


दरअसल नगर निगम रायपुर के गोकुलधाम गोठान में काम करने वाली “एक पहल” महिला स्वसहायता समूह की दीदियों ने गोबर तथा अन्य उत्पादों के उपयोग से इस ब्रीफकेस का निर्माण किया है। हालांकि इसी ब्रीफकेस में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज विधानसभा में बजट भी पेश किया है। इस ब्रीफकेस की खासियत यह है कि इसे गोबर पाउडर, चूना पाउडर, मैदा लकड़ी और ग्वार गम के मिश्रण को परत दर परत लगाकर 10 दिनों की कड़ी मेहनत से तैयार किया गया है। जबकि बजट के लिए विशेष तौर पर तैयार किए गए इस ब्रीफकेस के हैंडल तथा कार्नर कोंडागांव शहर के समूह की तरफ से बस्तर आर्ट कारीगर से तैयार करवाया गया है।

छत्तीसगढ़ में गोबर महालक्ष्मी का प्रतीक है


बता दें कि छत्तीसगढ़ में यह मान्यता है कि गोबर मां लक्ष्मी का प्रतीक है। हालांकि छत्तीसगढ़ के तीज त्यौहार में घरों को गोबर से लिपने की परंपरा भी रही है। इससे ही प्रेरणा लेते हुए स्व सहायता समूह की दीदियों की तरफ से गोमय ब्रीफकेस का निर्माण किया गया है। ताकि मुख्यमंत्री के हाथों से इस ग्रुप के से छत्तीसगढ़ के हर घर में बजट रूपी लक्ष्मी का प्रवेश हो तथा छत्तीसगढ़ का हर नागरिक का आर्थिक रूप से सशक्त भी हो सके।

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प्रधानमंत्री ने भी इसकी तारीफ की.


गौरतलब है कि गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की संकल्पना के साथ सीएम भूपेश बघेल ने गोबर को छत्तीसगढ़ की आर्थिक क्रांति के रूप में प्रस्तुत किया है। इसकी तारीफ तो प्रधानमंत्री तथा कृषि मामलों की संसदीय समिति भी कर चुकी है। गोधन न्याय की आर्थिक क्रांति से छत्तीसगढ़ में 10591 गौठानों की स्वीकृति भी मिल चुकी है। हालांकि इसमें से 8048 गौठानों का निर्माण पूरा हो चुका है। राज्य सरकार के 2800 गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं जहां पर पशुपालक ग्रामीणों से गोबर खरीदी में स्वयं की पूजा का निवेश करने लगे हैं।

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