World Tour
World Tour: कनाडा का रहने वाला एक कपल अपने 4 बच्चों के साथ दुनिया घूमने के लिए निकला हुआ है. खास बात है कि 3 बच्चों की कुछ समय बाद आंखों की रोशनी चली जाएगी, जिस कारण से माता-पिता उन्हें दुनिया को दिखाने के लिए घर से निकल पड़े हैं. यह यात्रा आसान नहीं है, मगर जिंदगीभर याद रहने वाली जरूर है.
कई बार जिंदगी उतनी भी शानदार नहीं होती, जितना कि इंसान सोचकर जीता हुआ चला जाता है. कुछ बड़ी परेशानियां दरवाजे पर दस्तक देती हैं तब महसूस होता है, कि सब कुछ इतना भी परफेक्ट था नहीं, जितना कि हम सोच रहे थे. कुछ ऐसा ही वाकया कनाडा में रहने वाले एक कपल सेबेस्टीन पैलेटियर और इदिथ लेमे के साथ भी हुआ है. मगर उन्होंने अपने इस मुश्किल समय में भी कुछ ऐसा कर दिया जिससे शायद जिंदगी भर उन्हें इसका अफसोस न हो.
अब यह कपल अपने 4 बच्चों के साथ दुनिया की सैर पर निकला हुआ है, इसकी वजह कपल का खुद घूमना नहीं है बल्कि अपने 3 बच्चों की आंखों की रोशनी जाने से पहले उन्हें दुनिया से रूबरू करवाना है. दरअसल, इस कनाडाई कपल के बच्चों को एक ऐसी दुर्लभ बीमारी है, जिसमें उम्र के साथ इंसान को दिखना कम होने लग जाता है और धीरे-धीरे वो पूरी तरह से अंधा हो जाता है.
सेबेस्टीन और इदिथ की पहली संतान उनकी बेटी मिया सिर्फ 3 वर्ष की थी, जब इस कपल को महसूस हुआ कि मिया को देखने में परेशानी होती है. कुछ वर्षों के बाद कपल ने मिया को एक आई स्पेशलिस्ट के पास दिखाया. डॉक्टर ने बतलाया कि उनकी बेटी मिया को रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा ( retinitis pigmentosa) नाम की एक बहुत दुर्लभ बीमारी है. इस बीमारी की कारण से मिया ज्यादा समय तक देख नहीं पाएगी.
अभी मिया की बीमारी को लेकर ही कपल काफी चिंतिंत था कि तभी इसी बीच उन्हें पता चला कि मिया के दो छोटे भाई 7 वर्ष के कोलिन और 5 वर्ष के लॉरेन में भी उनकी बहन मिया जैसे लक्षण दिख रहे हैं. वर्ष 2019 में जब दोनों बच्चों को चेकअप करवाया गया तो दोनों को वही बीमारी निकली जो कि पहले से ही मिया को थी. हालांकि, इस बीमारी ने कपल के चौथे बेटे लियो को अपनी चपेट में नहीं लिया है.
बच्चों को ऐसी दुर्लभ बीमारी को लेकर के मां इदिथ कहती हैं कि अभी तक इस बीमारी का कोई ऐसा इलाज भी नहीं आया, जो असरदार हो. इदिथ कहती हैं कि हमें यह तो नहीं पता कि यह बीमारी अपनी चरम पर कब होगी, मगर एक अनुमान के अनुसार, हम यह मानकर चल रहे हैं कि हमारे बच्चों के अधेड़ होते-होते ही यह रोशनी पूरी तरह चली जाएगी.
कपल की बेटी के स्पेशलिस्ट ने आंखों की रोशनी जाने से पहले ही मिया की विजुअल मेमोरीज को और बढ़ाने की सलाह दी है. उस समय इदिथ को भी यह एहसास हुआ कि ऐसा करने के लिए शानदार रास्ता है, जो ना सिर्फ मिया के लिए ही बल्कि तीनों बच्चों के लिए भी अच्छा रहेगा. जिसके बाद से ही इस कपल ने बच्चों को पूरी दुनिया दिखाने का प्लान बनाया.
इदिथ इस बारे में बताती हैं कि, मैं अपने बच्चों को किसी किताब में बने हाथी की तस्वीर नहीं बल्कि असली हाथी को दिखाना ज्यादा पसंद करूंगी. मैं अपने बच्चों की विजुअल मेमोरीज को सबसे शानदार और बेहद खूबसूरत तस्वीरों से भरने जा रही हूं.
सेबेस्टीन फिनांस फील्ड में काम करते हैं जबकि इदिथ हेल्थकेयर की फील्ड से संबंध रखती हैं. बच्चों के पास ज्यादा समय नहीं था, इस कारण से दोनों ने सबकुछ बहुत जल्दी-जल्दी प्लान किया. सेबेस्टीन इस बारे में कहते हैं कि घर के अंदर भी अच्छा करने के लिए काफी कुछ होता है मगर बाहर घूमने से ज्यादा कुछ अच्छा नहीं है. और सिर्फ प्राकृतिक दृश्यों के लिए ही नहीं बल्कि अलग-अलग कल्चर और लोगों को देखने के लिहाज से भी.
अब जाहिर है कि दुनिया घूमनी थी तो उसके लिए काफी पैसों की आवश्यकता थी. कपल ने इसके लिए अपनी सेविंग्स और निवेश को भी जोड़ना शुरू किया. इसी दौरान ही सेबेस्टीन की फिनांस कंपनी को किसी बड़ी फर्म ने खरीद लिया. इस कंपनी में सेबेस्टीन के भी शेयर थे, ऐसे में काफी कुछ पैसा किस्मत से कपल के पास आ गया. इस बारे में इदिथ कहती हैं कि यह हमें जिंदगी से मिला एक तोहफे जैसा है.
यूं तो कपल ने साल 2020 के जुलाई महीने से ही घूमने के उद्देश्य से निकल जाने का मन बना लिया था, मगर उस समय कोरोना वायरस ने पूरे विश्व में हाहाकार मचाया हुआ था, जिस कारण से प्लान को रोकना पड़ा. आखिरकार वर्ष 2022 के मार्च आते-आते चीजें काफी सुधरी और कपल ने अपने बच्चों के साथ दुनिया घूमने के लिए कनाडा के शहर मॉन्ट्रियल से निकल पड़े.
जाने से पहले मां इदिथ और पिता सेबेस्टीन सहित सभी बच्चों ने अपनी एक बकेट लिस्ट भी बनाई कि यात्रा के दौरान उन्हें क्या-क्या खास करना है. इदिथ के अनुसार, इस दौरान सभी की इच्छाएं अलग अलग थी. मिया घुड़सवारी करना चाहती थी तो लॉरेन को ऊंट के उपर बैठकर जूस पीना था.
World Tour, इस फैमिली ट्रिप की शुरुआत नामीबिया से हुई, जहां बच्चों ने जिराफ, हाथी, जेबरा जैसे जानवरों को काफी पास से देखा. इसके बाद वे तुर्की भी गए और वहां करीब एक महीना गुजारा. जिसके बाद से वे मंगोलिया पहुंचे और फिर इंडोनेशिया.
World Tour, बच्चों के पिता सेबेस्टीन का बताना है कि हम घूमते समय सीनरी पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं. सेबेस्टीन ने बतलाया कि हमने अफ्रीका, तुर्की और भी कई अन्य जगहों पर अविश्वसनीय जानवरों को दखा. हम यह कोशिश कर रहे हैं कि बच्चों को ऐसी चीजें दिखा सकें जो घर पर नहीं दिखती हैं, जिससे वो इस ट्रिप का शानदार अनुभव ले सकें.
कपल ने आशा जताई है कि अलग-अलग देशों में काफी अलग-अलग कल्चरों को देखने के बाद अपने आने वाले भविष्य में आने वाली परेशानी को भूलकर के उनके बच्चों को यह पता चले सके कि वे किस्मत के कितने धनी हैं. मां इदिथ कहती हैं कि यह जिंदगी कितनी भी मुश्किल क्यों ना हो, मैं हमेशा से अपने बच्चों को यह दिखाना चाहती हूं कि वे बहुत लकी हैं क्योंकि उनके घर में पानी है या फिर वे कलरफुल किताबों के साथ स्कूल पढ़ने भी जा पा रहे हैं.
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World Tour, घूमने से इंसान को बहुत कुछ सीखने को मिलता है, मजा भी आता है, मगर कई बार ये काफी मुश्किल भी हो जाता है. कई बार आप काफी असुविधाजनक भी महसूस कर सकते हैं या काफी बुरी तरह थक सकते हैं.
इदिथ कहती हैं कि इस ट्रिप पर अपने बच्चों को कुछ हटकर दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे वो अपनी जिदंगी के कभी न भूलने वाले अनुभवों को हासिल कर पाएं. इदिथ कहती हैं कि हम यह कभी नहीं जान सकते कि उन्हें क्या चीज ज्यादा आकर्षित कर जाए. कई बार हम यह सोचते हैं कि वह चीज शानदार है, मगर इतने में ही बच्चे सड़क पर गुजर रहे एक पपी को देख लेते हैं, जो कि उनकी जिंदगी की खास चीज बन जाती है.
World Tour कर रहे इस परिवार का अभी लौटने का कोई मन नहीं है. वर्ष 2023 के मार्च महीने तक परिवार अपने घर वापस लौट भी सकता है. हालांकि, अभी उन्होंने इतना आगे का पूरी तरह से नहीं सोचा है. सच तो यह है कि अभी वो जो भी कर रहे हैं, उसी को जीना चाहते हैं.
बच्चों के पिता सेबेस्टीन बताते हैं कि इस ट्रिप ने हमारी कई चीजों को लेकर के आंखें खोल दी हैं और हम सच में हमारे आस पास जो कुछ भी है या जो भी लोग हमारे पास हैं, उनमें ही एंजॉय करना चाहते हैं. अगर घर जाकर डेली की रूटीन वाली जिंदगी में भी ऐसा हो जाए तो यह भी एक उपलब्धि होगी.
यूएस नेशनल आई इंस्टिट्यूट के मुताबिक, रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा अगर किसी इंसान को होती है तो उसके लक्षण बचपन से ही दिखने शुरू हो जाते हैं. इस बीमारी में ज्यादातर लोगों की आंखों की रोशनी चली ही जाती है.