निजता का अधिकार, शिक्षा का अधिकार ,सूचना का अधिकार ऐसे कई अधिकारों के बारे में आप जानते होंगे लेकिन क्या आपने कभी डिजिटल मीडिया से अपनी पहचान मिटाने के अधिकार के बारे में सुना है? इससे लोगों को क्या फायदा मिलता है । क्या आप भी इसका फायदा उठा सकते हैं ?
डिजिटल मीडिया से अपनी पहचान मिटाने का अधिकार ऑनलाइन निजता का कानूनी है |
यह किसी शख्स को अधिकार देता है कि वह किसी संस्था से उसका निजी डेटा मिटाने को कह सके अगर कोई शख्स ऐसा कहता है तो संबंधित संस्था को वह डेटा अपने पास से मिटा देना होगा|
दुनिया का एक देश ऐसा भी है जो यह कानून अपने नागरिकों को देता है, यह अधिकार लोगों को यूरोप संघ जनरल डाटा प्रोटक्शन रेगुलेशन के तहत मिलता है, JDPR एक कानून है जिसे 2018 मे 28 संसदीय ब्लॉक द्वारा पास किया गया |
JDPR वेबसाइट के अनुसार डिजिटल प्लेटफार्म से अपनी पहचान मिटाने के अधिकार के बारे में इसके अनुच्छेद 17 में जिक्र किया गया है |
जिसमें कहा गया है कि
डाटा जिसके बारे में हैं उसके पास ही अधिकार है कि वह उस निजी डेटा को डिलीट करने को कह सकता है और संस्था को बिना देर किए उस डाटा को मिटाना होगा जिससे अपील करता परेशान है |
JDPR में बताया गया इसमें 1 महीने का समय लगता है और निजी डेटा का अर्थ ऐसी जानकारी जो किसी परिचित या अपरिचित व्यक्ति के बारे में हो या से जुड़े हो,
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार यह कानून बनने के बाद से अब तक गूगल के पास करीब 8.45 लाख ऐसी अपील पहुंची है जिसमें इंटरनेट पर मौजूद करीब 33 लाख डाटा को मिटाएं जाने की अपील की गई |
हाल में यूरोपीय संघ के सर्वोच्च न्यायालय ने इस संबंध में आए एक मामले में फैसला सुनाया है ,यह मामला फ्रांस की एक संस्था और गूगल के बीच था फ्रांस की संस्था का कहना था कि गूगल ने उसके कहने के बाद भी ग्लोबल डेटाबेस से उसका डाटा नहीं हटाया लेकिन कोर्ट ने इस मामले में गूगल के पक्ष में फैसला सुनाया |
इसका कारण यह है कि अपील करने वाला शख्स फ्रांस का था कोर्ट ने कहा कि JDPR के तहत डिजिटल मीडिया से अपनी पहचान मिटाने का अधिकार सिर्फ उनके लिए है जो यूरोपीय संघ के अंतर्गत आते हैं, इससे बाहर के देशों व अन्य लोगों को पर यह कानून लागु नहीं होगा यानी भारत में भी लोग इस अधिकार का लाभ नहीं उठा सकते |