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BJP Foundation Day: कभी 2 सीटों के लिए मोहताज भाजपा कैसे बनी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी

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BJP foundation Day

BJP Foundation Day: आज देश की सबसे शक्तिशाली पार्टी,केंद्र में सत्तारूढ़ और करीब 20 राज्यों में सरकार चलाने वाली भाजपा 42 वर्ष की हो गयी है। 6 अप्रैलब1980 वह दिन था जब भारतीय जनता पार्टी नामक एक पार्टी की स्थापना हुई।यह वह समय था जब कांग्रेस की पूरी देश में तूती बोलती थी। बकौल राजनीतिक विश्लेषक,”80 का दशक आते आते जनता कांग्रेस की ‘छद्म’ धर्मनिरपेक्षता या मुस्लिम ‘तुष्टिकरण’की नीति को समझने लगी थी।यद्यपि भाजपा के पहले अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी उदारवादी दृष्टिकोण के थे और समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलना पसंद करते थे,

यही कारण था कि उन्हें हर दल का व्यक्ति पसंद करता था किंतु भाजपा के वैचारिक अभिभावक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सोच और विचारधारा कभी भी नर्म हिंदुत्व की नहीं रही। यही कारण था कि जल्द ही भाजपा संगठन ने अटल बिहारी वाजपेयी से अध्यक्ष पद ले लिया।

रामजन्म भूमि मामला, कट्टर हिंदुत्व और आडवाणी का उदय

BJP Foundation Day

1984 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की करारी हार ने जहां पार्टी के नीति नियंताओं को सोचने पर विवश कर दिया वहीं बीजेपी के वैचारिक गार्जियन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) भी अटल बिहारी वाजपेयी का नेतृत्व नापसंद करने लगा था।वजह थी अटल जी की नरम उदारवादी दृष्टिकोण जबकि RSS कट्टर हिंदुत्व की राजनीति को बीजेपी में समाविष्ट करना चाहता था।

1984 के आम चुनावों ने इस सोच को बल दिया और अटल जी को अध्यक्ष पद से हटाकर जनसंघ के समय से जुड़े रहे और उस वक्त के सबसे कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी को भाजपा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।लालकृष्ण आडवाणी सॉफ्ट हिंदुत्व की जगह निखालिस हिंदुत्व की राजनीति करना पसंद करते थे और यही कारण था कि संघ उन्हें पसंद करता था।

1989 के लोकसभा चुनावों में भाजपा जब 2 सीटों से 85 सीटों पर पहुंची तो लालकृष्ण आडवाणी और हिंदुत्व की राजनीति और अधिक प्रासंगिक हो गयी।राम मंदिर आंदोलन ने जहां लाल कृष्ण आडवाणी को राष्ट्रीय पहचान दिलाई वहीं भाजपा और आरएसएस ने यह भी भांप लिया कि देश की बहुसंख्यक आबादी की भावनाएँ बाहर निकलने के लिए बेताब हैं जिनके निकलने का कोई स्रोत फिलहाल उस वक्त मौजूद नहीं था।बीजेपी नीति निर्माताओं ने तभी से भाजपा को जनता की आवाज(मूल रूप से बहुसंख्यक हिंदुओं की)बनाने की सोच लेकर काम करने लगे।

BJP Foundation Day लालकृष्ण आडवाणी का उदय,राममंदिर आंदोलन इसी सोच को आगे बढ़ाने के क्रम में थे।जहां राम मंदिर आंदोलन ने इसमें महती भूमिका निभाई और तब से बीजेपी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। जहां 1989 में बीजेपी को 85 सीटें मिलीं वहीं 1991 के आम चुनावों में इसने सुधार करते हुए अपनी सीटों की संख्या 120 कर ली।इतना ही नहीं बीजेपी ने अप्रत्याशित रूप से वोट प्रतिशत में भी गजब का सुधार किया।कहना न होगा कि बीजेपी को हार्ड हिंदुत्व की नीति से फायदा मिला।

BJP Foundation Day 1996 में पहली बार सत्ता में आकर मात्र 13 दिन की सरकार चलाना

BJP Foundation Day

2019 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता ने जहां रिकार्ड 303 सीटें भाजपा को दिलाईं वहीं एक समय ऐसा भी रहा जब बीजेपी अल्पमत के कारण मात्र 13 दिन की सरकार चलाने के बाद गिर गयी।बात 1996 के आम चुनावों की है जब स्पष्ट बहुमत किसी को नहीं मिला और 161 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया।

अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बन भी गयी पर यह ज्यादा दिन चल नहीं सकी और प्रगतिशील गठबंधन ने देवगौड़ा के नेतृत्व में सत्ता हथिया ली।बीजेपी का सत्ता संघर्ष अब भी जारी था हालांकि राहत की बात यह थी वह भले ही अपने बूते सरकार न बना पा रही हो किंतु हर चुनावों में उसका प्रदर्शन बेहतर हो रहा था।

BJP Foundation Day 1998 के चुनाव, पर ’13’ का पीछा अब भी नहीं छूटा

BJP Foundation Day साल 1998 के चुनावों में 182 सीटें जीतकर भाजपा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग)के नेतृत्व में पुनः सरकार बनाई ।प्रधानमंत्री भाजपा से अटल बिहारी वाजपेयी बने किंतु यह सरकार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और करीब 1 वर्ष(13 महीने) में ही अविश्वास प्रस्ताव का सामना करते हुए मात्र 1 वोट से गिर गयी।यह हार भाजपा को कई वर्षों तक सालती रही। यद्यपि इसके बाद 1999 में हुए आम चुनावों में भाजपा नीत राजग 270 जीतकर सरकार बनाने में सफल रहा और तीसरी बार अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बनकर पूर्णकालिक सरकार चलाई।

2004-2014 में हुआ बीजेपी में संगठनात्मक बदलाव

BJP Foundation Day 2004 में कांग्रेस के नेतृत्व में सप्रंग(संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) सरकार बनने के बाद भाजपा फिर से सत्ता से बाहर हो गयी।अटल जी स्वास्थ्य कारणों से निष्क्रिय रहने लगे और भाजपा नेतृत्व की तलाश में जुट गया जहां सबसे बड़े नेता के तौर पर अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी संगठन को मजबूती प्रदान करते रहे।इस बीच 2009 का चुनाव लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में भाजपा ने लड़ा पर कामयाबी नहीं मिली और कांग्रेस पुनः सत्ता में काबिज रही।

BJP Foundation Day 2014 नरेंद्र मोदी युग की शुरुआत

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जहां अब तक भाजपा थिंक टैंक और आरएसएस सत्ता में काबिज होने के हरसंभव प्रयास कर रहे थे पर कामयाबी नहीं मिल रही थी।वहीं गुजरात से मुख्यमंत्री और कट्टर हिंदुत्व की राजनीति करने में माहिर नरेंद्र मोदी का चेहरा प्रधानमंत्री पद के लिए आने के बाद से लेकर अब तक बीजेपी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।जहां 2014 के आम चुनावों में भाजपा ने 282 सीटें जीतकर बहुमत से सरकार बनाई वहीं ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ के अपने नारे को नरेंद्र मोदी साकार सिद्ध करते हुए उसे हर राज्य में कमजोर करते गए।

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लोकसभा चुनाव 2019, भाजपा और मोदी ब्रांड पर जनता की मुहर

BJP Foundation Day

BJP Foundation Day वैसे तो 2014 में ही भाजपा की हिंदुत्व की राजनीति पर जनता ने मुहर लगा दी थी किंतु इसे पुख्ता 2019 में किया जब आम चुनावों में भाजपा ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए अपने बूते 303 सीटें लाने में कामयाब रही।राम मंदिर, धारा 370 की समाप्ति और हिन्दू जनभावनाओं को आगे बढ़ाने जैसे मुद्दों पर भाजपा खरी उतरी।

कभी 2 सीटों से शुरुआत करने वाली भाजपा,13 दिन में सरकार गिर जाने वाली त्रासदी को झेलने वाली भाजपा, मात्र 1 वोट से सत्ता खो देने की दयनीयता को भोगने वाली भाजपा यदि आज केंद्र और करीब 20 राज्यों में सरकार चला रही है तो इसके पीछे 42 वर्षों के उसके कठिन संघर्ष,जिजीविषा और हार न मानने की कहानी छुपी हुई है।

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