SCO Meeting: संघाई सहयोग संगठन(एससीओ ) के सदस्य देशों की बैठक गोवा में पूर्ण हुई । दुनिया के सबसे बड़े इस क्षेत्रीय संगठन के सदस्य के रूप में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भी शामिल हुए । वहीं मीटिंग के दौरान पाक विदेश मंत्री से भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने औपचारिक मुलाकात की । इस दौरान S जयशंकर ने बिलावल भुट्टो से हाथ मिलाने की बजाय नमस्ते किया जिसके जवाब में पाक समकक्ष ने भी हाथ जोड़ते हुए नमस्ते किया । वहीं बिलावल भुट्टो के नमस्ते करने पर अब पाकिस्तान में बवाल शुरू हो गया है और वहां की विपक्षी पार्टियां बिलावल की जमकर आलोचना कर रही हैं ।
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बैठक में हिस्सा लेने भारत आए पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी को अपने ही देश में आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है । दरअसल भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मिलने के दौरान नमस्ते के जवाब में पाक समकक्ष के भी हाथ जोड़ देने को लेकर पाक मीडिया और विपक्षी पार्टियां हमलावर हो गईं हैं । पाकिस्तान की पूर्व मानवाधिकार मंत्री और पीटीआई नेता शिरीष मजारी ने ट्वीट कर बिलावल भुट्टो की आलोचना की है ।
मजारी ने लिखा कि दोनों देशों के संबंधों में कूटनीति और संकेतों का काफी महत्व होता है । जहां भारतीय विदेश मंत्री ने हाथ मिलाने की बजाय नमस्ते किया तो बिलावल ने भी ऐसा ही किया जो कि उनके तुष्टिकरण को दर्शाता है । उन्होंने कहा कि यह काफी शर्मनाक है । बता दें कि उनके इस ट्वीट को पाकिस्तान के पूर्व संचार मंत्री फवाद चौधरी ने भी रीट्वीट किया है ।
भारतीय विदेश मंत्री के समक्ष नमस्ते करने पर अपने ही देश में घिरे बिलावल भुट्टो ने अब जाकर सफाई दी है । उन्होंने कहा कि सिंध में हम सब एक दूसरे का स्वागत ऐसे(नमस्ते करके) करते हैं । यह एक सभ्य तरीका है और शिष्टाचार का ढंग है । बता दें कि पाक विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो राजनीतिक परिवार से आते हैं जो कि सिंध सूबे से है । उनकी मां बेनजीर भुट्टो और दादा जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री रह चुके हैं । यही नहीं उनके पिता आसिफ अली जरदारी भी पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति रह चुके हैं ।
गोवा में संपन्न हुई एससीओ समिट –2023 की बैठक में सदस्य देश के तौर पर पाकिस्तान शामिल जरूर हुआ पर दोनो देशों के बीच कोई मीटिंग नहीं हुई । औपचारिक मुलाकात के अलावा दोनो देशों के विदेश मंत्रियों ने कोई मुलाकात नहीं की । बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जहां समिट में आए अन्य समकक्षों से हाथ मिलाकर अभिवादन किया तो वहीं बिलावल भुट्टो से नमस्ते किया । इसके अलावा दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अपनी बात रखी ।
भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्री आमने सामने तो नहीं मिले पर दोनो ने अपने देशों का पक्ष मीडिया के सामने रखा । बिलावल भुट्टो ने पाक मीडिया से बात करते हुए कश्मीर से धारा 370 हटाने का जिक्र किया । पाक विदेश मंत्री ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि कश्मीर से धारा 370 हटाना गैर कानूनी था और भारत ने ऐसा करके बातचीत के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं । वहीं पाक विदेश मंत्री के इस बयान के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में पड़ोसी मुल्क को खरी खोटी सुनाई ।
उन्होंने साफ कहा कि पाकिस्तान आतंक की फैक्ट्री है और आतंकवाद फैलाना,पोषण करना और उसका समर्थन करना पड़ोसी मुल्क का काम है । उन्होंने पाकिस्तान पर हमला बोलते हुए कहा कि बातचीत और आतंकवाद साथ साथ नहीं चल सकते । विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान आज बेनकाब हो चुका है और उसका भरोसा उसके विदेशी मुद्रा भंडार से भी तेजी से गिर रहा है ।
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गोवा में संपन्न हुए एससीओ सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद आज दुनिया की बड़ी समस्या में से एक है । उन्होंने कहा कि यह दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा है । उन्होंने कहा कि आतंकवाद से हर हाल में लड़ना और उसे रोकना होगा । वहीं पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवाद से मुक्ति तभी पाई जा सकती है जब दुनिया की बड़ी ताकतें शांतिदूत के रूप में कार्य करें । बिलावल भुट्टो ने कहा कि पाकिस्तान के लिए एससीओ सम्मेलन कितना महत्वपूर्ण है वो हमने गोवा आकर जाहिर कर दिया है ।
भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की एससीओ सम्मेलन के दौरान मुलाकात करीब एक दशक बाद हुई है । बता दें कि दोनों देशों के मध्य लंबे समय से वार्ता बंद है। इससे पहले साल 2011 में तत्कालीन विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार भारत दौरे पर आई थीं । इसके बाद से दोनो देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध बेहद खराब रहे। हालांकि 2014 में पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ आए थे ।
वहीं 2015 में पीएम मोदी भी नवाज शरीफ की नातिन की शादी में अचानक पाकिस्तान जा पहुंचे थे । बता दें कि 2016 में उरी हमला और 2019 में पुलवामा हमले के बाद संबंध और अधिक खराब हो गए थे जिसके बाद से दोनो देशों के बीच वार्ता पूरी तरह से बंद हो गई थी ।