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Success Story: आईएएस की नौकरी छोड़ करने लगे प्राइवेट जॉब, खड़ी कर दी 2.60 लाख करोड़ की कंपनी

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Success Story: यूपीएससी क्वालीफाई करना आज किसी भी सिविल सेवा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी के लिए पहला सपना होता है जहां इस ख्वाब को लाखों लोग आंखों में संजो कर रात दिन तैयारी करते हैं तो वहीं कुछ ही लोगों का ये सपना पूरा हो पाता है। पर कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने अपने सपने को पाने के लिए आईएएस की नौकरी ही छोड़ दी ।

आज हम बात कर रहे हैं देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव की जिन्होंने न सिर्फ यूपीएससी टॉप किया बल्कि कुछ साल बाद आईएएस की जॉब भी छोड़ दी । आईएएस की नौकरी छोड़ भार्गव ने कंपनी में एक आम कर्मचारी की भांति जॉब शुरू की और आज उन्होंने कंपनी को 2.60 लाख करोड़ की कंपनी बना दी है ।

यूपीएससी टॉप किया फिर छोड़ दी आईएएस की जॉब

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30 जुलाई 1934 को जन्मे आरसी भार्गव ने अपनी शिक्षा विलियम्स कालेज ,इलाहाबाद यूनिवर्सिटी और द दून स्कूल से पूरी की । आरसी भार्गव ने 1950 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से स्नातक पूरा किया । कुशाग्र बुद्धि के भार्गव ने 50 के दशक में यूपीएससी की परीक्षा दी और टॉप किया । साल 1956 में वह आईएएस बन गए ।

आईएएस बनने का सपना ही खुद में बड़ा सपना होता है और इस महत्वपूर्ण प्रशासनिक जॉब को पाने के बाद लोग इसी जॉब से रिटायर होते हैं पर आरसी भार्गव का सपना ही कुछ और था । कई सालों तक इस पद पर कार्य करने के बाद आखिर उन्होंने अपने सपने को पाने के लिए एक बेहद कड़ा फैसला ले लिया ।

आईएएस की नौकरी छोड़ करने लगे 2250/ महीने में प्राइवेट जॉब

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कितने ही लोग मल्टी नेशनल कंपनियों के अच्छे खासे पैकेज की नौकरी छोड़कर खुद का स्टार्टअप शुरू करते हैं । आज देश में स्टार्टअप्स की बाढ़ आई हुई है और लोग विदेशों से जॉब छोड़कर खुद का बिजनेस खड़ा कर रहे हैं । पर मारुति सुजुकी चेयरमैन आरसी भार्गव की कहानी अलग है । 1956 बैच के आईएएस अधिकारी भार्गव ने कुछ साल प्रशासनिक पद में रहते हुए जॉब की और 80 के दशक तक जॉब करते रहे । रिपोर्ट्स के मुताबिक 80 के दशक में आरसी भार्गव ने आईएएस की जॉब से इस्तीफा दे दिया और मारुति सुजुकी में एक आम प्राइवेट कर्मचारी के तौर पर मात्र 2250 रुपए प्रति महीने की जॉब कर ली ।

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एक निर्णय ने बदल दी जिंदगी

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साल 1981 में आरसी भार्गव बतौर आईएएस अधिकारी भारत सरकार की प्रतिनियुक्ति पर मारुति सुजुकी के साथ जुड़े थे । उनका कंपनी के साथ ये करार एक वर्ष का था । एक वर्ष बीत जाने के बाद भार्गव ने भारत सरकार से प्रतिनियुक्ति का समय बढ़ाने की मांग की पर उनकी ये मांग सरकार ने नहीं मानी। ऐसे में आरसी भार्गव ने एक साहसिक निर्णय लिया जो कि उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ ।

उन्होंने कंपनी के साथ काम करने की अपनी इच्छा के चलते भारत सरकार के प्रशासनिक पद को त्यागने का निर्णय लिया और इस्तीफा दे दिया । इसके बाद वह बतौर कर्मचारी मारुति सुजुकी के साथ जुड़ गए। शुरुआत में उन्हे 2250 रुपए प्रति माह मिलते थे । कुछ समय बाद कंपनी ने उन्हें ज्वाइंट वेंचर का फुल टाइम डायरेक्टर बना दिया । इतना ही नहीं भार्गव इसके बाद कंपनी में तरक्की करते गए । वह कंपनी ज्वाइन करने के महज कुछ साल बाद ही 1985 में एमडी बन गए । उन्होंने 1997 में अपने पद से रिटायरमेंट ले लिया।

कंपनी को दी नई ऊंचाइयां

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Success Story, आरसी भार्गव ने जब आईएएस की जॉब छोड़कर मारुति सुजुकी के साथ जुड़े थे तब उनकी उम्र 48 वर्ष थी । अब भार्गव 88 वर्ष के हो चुके हैं । वह अब भी कंपनी के चेयरमैन हैं । उन्होंने कंपनी को लगातार बुलंदियों में पहुंचाने का काम किया यही वजह है कि मारुति सुजुकी आज 1 लाख करोड़ के रेवेन्यू को पार करने वाली कंपनी बन चुकी है। बता दें कि आरसी भार्गव के मार्गदर्शन में मारुति सुजुकी का मार्केट कैप इस वक्त 2.60 लाख करोड़ से अधिक है ।

कंपनी मालिक कर चुके हैं तारीफ

आरसी भार्गव का कंपनी को आगे बढ़ाने में कितना योगदान है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि सुजुकी के मालिक ओसामु सुजुकी भी उनकी तारीफ कर चुके हैं । साल 2015 में इस जापानी कंपनी के मालिक ने एक इंटरव्यू में कहा था कि कंपनी को बढ़ाने में आरसी भार्गव का बड़ा योगदान है और यदि आज वह हमारी कंपनी के साथ न होते तो कंपनी इतनी तरक्की नहीं करती । बता दें कि आरसी भार्गव को कंपनी इस वक्त 1.5 करोड़ वार्षिक वेतन देती है ।

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