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35 सालों में 6 बार टुटी भारतीय किसान यूनियन, Rakesh Tikait का साथ गए प्रमुख नेताओं ने छोड़ा, जानिए किस नाम से बनाया नया संगठन

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Rakesh Tikait

Rakesh Tikait: भाकियू (भारतीय किसान यूनियन) में फूट पड़ गई है। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत तथा प्रवक्ता राकेश टिकैत को बाहर का रास्ता दिखा दिया है एवं नाम से नया संगठन बनाया गया है। जिसको भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) नाम दिया गया है। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजेश सिंह चौहान के नेतृत्व में भारतीय किसान यूनियन बनाई गई है। खुद ही राजेश सिंह चौहान इस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि नरेश टिकैत तथा राकेश टिकैत राजनीति करने वाले लोग हैं। हालांकि विधानसभा चुनाव में एक दल का प्रचार करने के लिए कहा गया था।

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आरोप लगे Rakesh Tikait पर



बता दें कि लखनऊ में राजेश सिंह चौहान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने यह कहा कि कार्यकारिणी के फैसले के बाद से मूल भारतीय किसान यूनियन की जगह भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) का गठन किया गया। मेरा 33 वर्षों का संगठन का इतिहास है। 13 महीने की आंदोलन के बाद से हम जब घर आए तो हमारे नेता राकेश टिकैत राजनीतिक तौर पर प्रेरित दिखाई दिए। हमने उनसे बात भी की। हमने यह कहा कि हम अराजनैतिक लोग हैं। हम किसी भी राजनीतिक संगठन के सहयोग में नहीं जाएंगे।

Rakesh Tikait डैमेज कंट्रोल से जुड़े रहे


दरअसल 2 दिनों तक राकेश टिकैत लखनऊ में रहकर डैमेज कंट्रोल में जुटे थे। लेकिन वो सफल नहीं हुए। राकेश टिकैत का साथ छोड़ने वाले किसान नेता इस बात से खफा है कि ये संगठन अब किसानों के मुद्दों को छोड़कर राजनीति की ओर जा रहा है। असंतुष्ट किसान नेताओं को मनाने के लिए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत शुक्रवार को ही लखनऊ पहुंचे थे। वह हरनाम सिंह के आवास पर ठहरे।

शुक्रवार को देर रात तक असंतुष्ट गुट से समझौता वार्ता होती रही। लेकिन कोई भी समाधान नहीं निकला। इसके पास से शनिवार शाम टिकट लखनऊ से मुजफ्फरनगर के लिए वापस लौट गए क्योंकि उनका रविवार को मुजफ्फरनगर में महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि पर बड़ा कार्यक्रम था।


1 मार्च 1987 ये वो तारीख है जब भारतीय किसान यूनियन का गठन बाबा महेंद्र सिंह टिकैत ने किया था।
उनका उद्देश्य था कि किसानों के हक की लड़ाई। पिछले 35 साल में भारतीय किसान यूनियन तथा इसके नेताओं का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जरूर पहुंचा। मगर कुनबे में लगातार ही बिखराव हो रहा है। ये बिखरा भी एक दो नहीं बल्कि पूरे 6 बार हुआ।

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भारतीय किसान यूनियन (Rakesh Tikait) से ऐसे अलग होते चले गए किसान नेता




• वर्ष 1996 में मतभेद होने के बाद से नोएडा के ऋषि पाल अंबावत भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) से अलग हो गए। अब वो भारतीय किसान यूनियन (अंबावत) के खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।


• वर्ष 2008 में इलाहाबाद में हुए भारतीय किसान यूनियन के चिंतन शिविर में तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह को गंभीर आरोप लगाते हुए संगठन से बाहर कर दिया गया। इसके बाद से भानु प्रताप सिंह ने नया संगठन बना लिया जो भारतीय किसान यूनियन (भानु गुप्त) के नाम से जाना जाता है।



• गुरनाम सिंह चढूनी भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष थे। वर्ष 2012 से 2013 में हरियाणा में गन्ना आंदोलन के दौरान वह टिकैत से अलग हो गए। फिर अपनी अलग भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) गठित कर ली।

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• 29 नवंबर 2017 को मास्टर श्यौराज सिंह भारतीय किसान यूनियन टिकैत से अलग हो गए। उन्होंने भारतीय किसान यूनियन लोक शक्ति नाम से अपना नया संगठन बना लिया। इस संगठन की वो खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।





• दरअसल चौधरी हरपाल सिंह बिलारी भारतीय किसान यूनियन असली नाम से संगठन चलाते हैं। इससे पहले यहां भी भारतीय किसान यूनियन टिकैत का हिस्सा थे।




• 15 मई 2022 को लखनऊ में राजेश चौहान, अनिल तालान, मांगेराम त्यागी, राजेश मलिक, धर्मेंद्र मलिक जैसे प्रमुख नेताओं ने भारतीय किसान यूनियन (Rakesh Tikait) अलग होकर दूसरी भारतीय किसान यूनियन बना रही है।



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