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Ayansh Singh 9 महीने का एक बच्चा है । जो बहुत ही गंभीर दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है। Ayansh Singh जब 2 महीने का था। तब से वह इस बीमारी से पीड़ित है। अयांश के माता पिता बिहार की राजधानी पटना के रहने वाले हैं। एक दुर्लभ गंभीर बीमारी में बहुत ही खर्चा होना है और अयांश के माता-पिता आर्थिक दृष्टि से कमजोर है तो आयांश के माता-पिता ने बड़ी उम्मीद के साथ बिहार सरकार और बिहार की जनता से अपने बेटे को बचाने के लिए मदद मांगी है। ताकि वह अपनी बच्चे अयांश की जान बचा सके। एक स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी रोग से जूझ रहे आयांश की मांसपेशियां दिन पर दिन कमजोर होती जा रही हैं। जिससे जल्द से जल्द उसे इंजेक्शन लगवाने की आवश्यकता है लेकिन अभी तक ₹160000000 का इंतजाम नहीं हो पाने के कारण आयांश इस बीमारी से लगातार जूझ रहा है और मृत्यु की तरफ बढ़ रहा है। अयांश के माता-पिता ने समस्त मीडिया संस्थान, N.G.O., बिहार सरकार, बिहार की जनता और जो भी अयांश के लिए दान दे सकता है सबसे अपील की है कि जल्द से जल्द अगस्त से पहले ₹160000000 जुटाने की कृपा करें तो उनके बेटे अयांश की जान बच सकती है। आयांश के माता-पिता का कहना है कि जब गुजरात की तीरा कामत और हैदराबाद के आयांश गुप्ता के लिए उनके राज्य के लोग करोड़ों रुपए जुटा सकते हैं तो हमारे बिहार के लोग भी बिहार के बेटे आयांश के लिए 16 करोड़ रुपए जुटा सकते हैं हालांकि मीडिया संस्थान, एनजीओ सरकार के कुछ मंत्री एवं जनता अयांश के इलाज के लिए दान देने के लिए आगे आए हैं।
स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी एक जैनेटिक बीमारी है। यह बीमारी से पीड़ित बच्चे की छाती की मांसपेशियां दिन पर दिन कमजोर होती चली जाती हैं और धीरे-धीरे मांसपेशियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि बच्चे को सांस लेने में कठिनाई होने लगती है। खाना खाने निगलने में परेशानी होने लगती हैं और इलाज ना मिल पाने के कारण अंततः इस बीमारी से पीड़ित की मृत्यु हो जाती है। यह बीमारी दुनिया में सबसे अधिक बिट्रेन में फैली हुई है। भारत में इसके केवल अभी तक तीन ही केस पाए गए हैं।
इस बीमारी को गंभीर बीमारी कहा जा रहा है क्योंकि इस बीमारी का इलाज बहुत ही महंगा है भारत की आम जनता की पहुंच से बाहर है। कोरोना महामारी से लोगों का परिचय हो गया है और उसके टीके भी बनाए जा चुके हैं और टीकों को और इंप्रूव भी किया जा रहा है। लेकिन स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी बीमारी का इलाज के लिए जो इंजेक्शन की आवश्यकता होती है वह भारत में तो मिलते ही नहीं है पूरी दुनिया में सिर्फ अमेरिका में एक ऐसी कंपनी है जो इस बीमारी के इंजेक्शन को बनाती है। जिसके कारण इंजेक्शन की कीमत बहुत ज्यादा है। जब इस इंजेक्शन को भारत में मंगवाया जाता है तो टैक्स आदि सब जोड़कर और भी अधिक महंगा हो जाता है।
आयांश पैदा होने के 2 महीने बाद से ही बीमार है जब पटना समेत बिहार के कई अस्पतालों में इलाज से आराम नहीं मिला तो आयांश के माता-पिता आयांश को बेंगलुरु के निमहंस लेकर पहुंचे । वहां 5 डॉक्टरों की टीम ने आयांश की जांच की और फिर जिस दुर्लभ बीमारी का पता चला वह जानकर आयांश के माता-पिता के साथ साथ डॉक्टर भी चकित रह गए इलाज के दौरान पता चला कि अयांश को स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी टाइप -1 नाम की दुर्लभ बीमारी है। ऐसे बच्चे सिर्फ 18 महीने से 2 साल तक जिंदा रहते है। आयांश को अगस्त में ही इंजेक्शन लगवाने की आवश्यकता है क्योंकि फिर देर और बहुत देर हो सकती है। आयांश के इलाज के लिए हर तरह की उनके माता-पिता द्वारा कोशिश की जा रही है यहां तक की सड़कों पर अयांश के इलाज के लिए जनता से रुपए इकट्ठे किए जा रहे हैं।
अयांश की जान 16 करोड़ के इंजेक्शन से बच सकती है और यह इंजेक्शन अमेरिका की सिर्फ एक कंपनी बनाती है जिसका नाम Zolgensma है। इंजेक्शन इतना महंगा है कि कोई भी आम नागरिक इस इंजेक्शन को खरीदने में असमर्थ है। और 16 करोड़ की रकम हमारे लिए बहुत बड़ी है। इसलिए अयांश के परिवार ने इलाज के पैसे जुटाने के लिए सोशल मीडिया पर कैंपेन भी शुरू किया है और कई मीडिया संस्थान एनजीओ आम आदमी इस कैंपेन में मदद के लिए हाथ भी बढ़ा रहे हैं । लेकिन अभी तक 16 करोड की राशि इकट्ठा नहीं हो पा रही है। अयांश के लिए मदद की गुहार अब बिहार विधान परिषद में भी पहुंच गई है। बात यह है कि अयांश के पास समय बहुत कम है और इलाज के लिए रकम बहुत अधिक है। लेकिन आयांश के माता-पिता को बिहार की जनता पर और देश की जनता पर बहुत विश्वास है और उन्हें विश्वास है कि उनके बच्चे के इलाज के लिए सब लोग मिलकर ₹160000000 जरूर जुटा देंगे।
अयांश के पिता ने बताया कि जब उन्हें महसूस हुआ कि उनके बच्चे को कुछ तो स्वास्थ्य समस्या है। इसलिए उन्होंने पटना के एक अस्पताल में अपने बच्चे आयांश को दिखाया वहां के डॉक्टर्स ने उन्हें न्यूरो से संबंधित समस्या से अवगत कराया और किसी न्यूरो सर्जन के पास जाने की सलाह दी। तब अयांश के माता-पिता ने बिहार न्यूरो में अपने बच्चे का इलाज कराया। वहां के डॉक्टर गुंजन कुमार ने आयांश की बीमारी के लक्षण देखें और अयांश के माता-पिता को बिहार में समय की बर्बादी ना करने तथा बैंगलोर के अच्छे न्यूरो सर्जन को दिखाने की सलाह दी। जब आयांश के माता-पिता बेंगलुरु के Nimhans में अयांश को लेकर पहुंचे तो वहां 5 डॉक्टरों की टीम ने अयांश का इलाज किया और आयांश के माता-पिता को इस दुर्लभ बीमारी के बारे में बताया जिसका इलाज बहुत ही महंगा है। अभी अयांश का इलाज जनता पर टिका हुआ है क्योंकि ₹160000000 का जो इंजेक्शन लगना है उसे खरीदने के लिए आयांश के माता-पिता असमर्थ है और उन्हें जनता से ही उम्मीद है।
यह बहुत ही दुख और मजबूरी की बात है कि अयांश की बीमारी के इलाज के लिए उनके माता-पिता को सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाना पड़ रहा है। ताकि जल्द से जल्द ₹160000000 इकट्ठे हो जाएं जिससे उनके बेटे अयांश का इलाज जल्द से जल्द हो जाए। लेकिन कुछ संवेदनहीन व्यक्ति जिन्हें पापी या दुष्ट भी कह सकते हैं, अयांश के इलाज के नाम पर ठगी कर रहे हैं। आयांश के पिता ने कुछ मोबाइल नंबर पुलिस थाने में दिए हैं जो ठगी करने के लिए सोशल मीडिया पर घूमाए जा रहे हैं। और अयांश के पिता ने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई है कि उनकी बेटे अयांश की इलाज के नाम पर ठगी कर रहे हैं।