आटा-साटा कुप्रथा से परेशान होकर आटा – साटा प्रथा के तहत किसी परिवार की लड़की का विवाह जिस परिवार के लड़के से होता है तो उस लड़के के परिवार की लड़की का विवाह लड़के की पत्नी के परिवार के किसी लड़के से किया जाता है। यहां पर लड़कियों की अदला बदली हुई और इस तरह से लड़कियों की अदला-बदली की जाती है ।
कई बार यह देखा गया है कि एक लड़के की शादी के लिए लड़की देखते समय अपने परिवार की लड़की को दूसरे उस परिवार, जिस परिवार से लड़की लेकर आ रहे हैं । आटा-साटा कुप्रथा से परेशान होकर किसी व्यक्ति से शादी कर दी जाती है किसी ऐसे व्यक्ति से कर दी जाती है जो मानसिक रूप से बीमार है ।
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मान लेते हैं कि हम जो अपने घर के लड़के के लिए लड़की लाने के लिए शादी करने का प्रस्ताव लेकर दूसरे परिवार के पास जाते हैं और उसके साथ ही दूसरा परिवार प्रस्ताव रखता हैं कि हमने आपको लड़की दी है तो हमारे परिवार में कोई 40 साल का यह 33 साल का कोई अनपढ़ व्यक्ति जो मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति है, आपको एक लड़की परिवार के लिए देनी होगी। आटा-साटा कुप्रथा से परेशान होकर इसमें इस बात की अंश मात्र भी फिक्र नहीं होती है कि इस शादी के लिए लड़की की मर्जी है या नहीं।
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आटा-साटा कुप्रथा से परेशान होकर इस प्रथा को कुप्रथा कहा गया है क्योंकि यह लड़कियों के लिए जिंदा मौत है क्योंकि लड़कियों से कुछ पूछा ही नहीं जाता कि तुम्हें यह शादी मंजूर है या नहीं 20 साल की लड़कियों का विवाह 70 साल साल के बुजुर्गों से कर दिया जाता है और लड़कियों जिंदगी को बत्तर से भी बदतर बना दिया जाता है । आटा-साटा कुप्रथा से परेशान होकर स्वभाविक है जिसमें लड़कियों की रजामंदी नहीं है उनके लिए अनुकूल दशाएं नहीं है, इसीलिए इस कुप्रथा कहा जाता है
लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की जो संख्या लंबे समय से कम है ऐसे में कई परिवारों को अपने लड़कों के लिए लड़कियां खोजने में समस्या आती थी और आती है। तो इस समस्या से निपटने के लिए लोग लड़कियों के बदले लड़कियां मतलब लड़कियों की अदला बदली करके आटा- साटा कुप्रथा को प्रोत्साहित करते हैं। और यदि अपनी लड़की को दूसरे परिवार के लड़के से शादी करके अपनी लड़की के बदले में दूसरी लड़की को लाने के लिए अपने खुद के घर में कोई लड़का नहीं है तो किसी नाते रिश्तेदार के लड़के से लड़की का विवाह करा दिया जाता है चाहे वह लड़का योग हो या नहीं इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता है।
राजस्थान में आदिवासी समुदाय को छोड़कर लगभग सभी समुदायों में यह कुप्रथा ज्यादा प्रचलित है । हालांकि राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश ,हरियाणा और पश्चिमी राज्यों में प्रचलित है। इस शादी को अदला-बदली कुप्रथा भी कहा जाता है । आटा-साटा कुप्रथा से परेशान होकर लड़के लड़कियों का विवाह बचपन में ही तय कर दिया जाता है और युवावस्था में उन को पता चलता है कि उनको दूसरे के घर जाना है लेकिन इसमें पति के योग्य का अयोग्य होने या मानसिक रूप से कमजोर होने या फिर पति में किसी प्रकार की खराबी होने पर विरोध नहीं कर सकते। 2-3 परिवार मिलकर सहमति बना चुके हैं कि आप हमको लड़की दीजिए हम आपको लड़की देंगे इस तरह से यह कुप्रथा कई बार बचपन से ही उनके साथ लग जाती है।
यह विवाह व्यक्तिगत नहीं होते हैं एक विवाह टूटने से दो- तीन परिवारों के रिश्ते टूटते हैं इसलिए कोई भी इन विवाह को तोड़ने की हिम्मत नहीं करता है। आटा-साटा कुप्रथा से परेशान होकर परिवार टूटने और समाज से बहिष्कृत होने का डर भी रहता है। देखा गया है कि अगर कोई व्यक्ति है यह कहता है कि हम शादी को अब खत्म करना चाहते हैं तो उससे कहा जाता है कि आप को जाति और समाज से बाहर कर दिया जाएगा आपके घर पर कोई नहीं आएगा। आपके कोई फंक्शन में पार्टिसिपेट नहीं करेगा।
आपको पता है कि व्यक्ति की शादी किससे करनी है इस बात का निर्णय खुद व्यक्ति ही करेगा इस तरह से आटा साटा कुप्रथा की तरह अदला बदली करके शादी करना बहुत ही बड़ा अपराध है।
अनुच्छेद 13 में कोई भी कानून अध्यादेश, आदेश, नियम प्रथा जो संविधान के लागू होने के तहत अस्तित्व में है या बाद में बनाया गया हूं यदि वह व्यक्ति में दिए गए मौलिक अधिकारों के विरोधाभास दर्शाते हैं तो इससे कानून की अवमानना माना जाएगा।