आगरा: अमरूद सेब से भी मांगा बिक रहा… सेब की खपत रतलामी अमरुद ने घटाई, फायदेमंद शुगर के मरीजों के लिए

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आगरा में शिव से भी मांगा बिक रहा है रतलाम का अमरूद

आजकल आगरा में लोग 1 किलो सेब के दामों में मात्र एक अमरुद खरीद रहे हैं। आखिरकार में मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के अमरूद की नई किस्म लोगों को देखते ही अपनी तरफ काफी आकर्षित कर रही है। अमरूद का स्वाद चखने के बाद फिर लोग इसे सेब से भी ज्यादा मीठा तथा स्वादिष्ट बता रहे हैं। आढ़तियों का यह दावा है कि ये अमरूद शुगर के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है तथा शुगर पर कंट्रोल करने में मदद भी करता है।

अमरुद को देखते ही रुक जाते हैं ग्राह

आपको बता दे कि पर्यटन नगरी आगरा में इस वक्त रोजाना खाये वाले फलों में सबसे महंगा फल सेब नहीं बल्कि अमरुद हो गया है। मार्केट में सबसे अच्छा सेब 80 से रुपए प्रति किलो 100 रुपए प्रति किलो बिक रहा है तथा रतलाम से आया अमरुद 100 से 120 रुपए होने के बावजूद भी लोगों का खासा पसंदीदा बनता जा रहा है। इसकी तुलना में तो आम अमरूद मैक्सिमम 40 रुपए प्रति किलोग्राम बिक रहा है।

बस एक अमरूद 1 किलो में

बाजार में रतलाम से इस नए अमरुद को लोग देखते ही इसकी तरफ आकर्षित हो जाते हैं, क्योंकि इसका सिर्फ एक फल 600 ग्राम से 1000 ग्राम तक की वजन का होता है। इसको काटने पर नाममात्र के बीज इसमें मिलते हैं तथा गुदा काफी मात्रा में होता है।

यह सेब से भी ज्यादा मीठा है पर शुगर नहीं बढ़ता

आढ़त का काम करने वाले संजय कुशवाहा ने यह बताया कि इस अमरुद की खास बात यह है कि इसका छिलका पतला है तथा यह बहुत ही मीठा होता है। हमें किसी को बेचने से पहले इसे छांटने की जरूरत नहीं पड़ती है। इसमें कुदरती मिठास है, फालसेब एवं जामुन की तरह ये शुगर के मरीजों को शुगर कंट्रोल करने में मदद करता है। आगरा के नगला निवासी अजीत चौधरी ने यह बताया कि शुगर की शिकायत के चलते मीठा खाने नहीं दिया जाता था, पर अब ऐसा नहीं है आजकल रतलामी अमरुद रोजाना खा रहा हूं और शुगर भी कंट्रोल में है।

मार्केट में बढ़ी डिमांड

अब रतलामी सेव के साथ ही अमरुद भी मशहूर

आपको यह बता दे कि रतलाम मुख्य रूप से रतलामी सेब के लिए जाना जाता है। इसके अलावा भी यहां समोसा, दाल बाटी, कचौरी व सोने का काम भी प्रसिद्ध है। किसी जमाने में यहां पर अफीम तथा तंबाकू की खेती और निर्यात भी बहुतायत होता है। रतलाम कुछ समय से अमरूद के लिए भी जाना जाने लगा है। यहां पर पिंक अमरुद बाजारों में धूम मचा चुका है, तथा यहां पर अमरुद की नई किस्में इजाद की गई हैं। जिसके पेड़ 1 साल के भीतर ही तैयार होकर फल देने लगते हैं तथा अमरूद के बाग लगाकर किसानों ने अपनी आय 3 गुना तक बढ़ा ली है।

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