Ankita Nagar
Ankita Nagar के माता-पिता सब्जी बेचते हैं और भाई मजदूरी करता है। कई बार तो अंकिता ने खुद भी ठेले पर सब्जी बेची हैं। आर्थिक तंगी के बीच कड़ी मेहनत कर अंकिता अब सिविल जज बन गई हैं। हालांकि इंदौर के मूसाखेड़ी में रहने वाली अंकिता नागर अभी 25 वर्ष की है। उन्होंने सिविल जज एग्जाम में अपने एससी कोटे में पांचवां स्थान हासिल किया है।
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इसमें खास बात यह है कि जो परीक्षा देकर अंकिता सिविल जज बनी है। उस फॉर्म को भरने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। फार्म ₹800 का था लेकिन उनके पास ₹500 की थे। तब मां ने पूरे दिन ठेला लगाया और ₹300 जोड़कर बेटी को दिए। अब बेटी की इस उपलब्धि से परिवार बहुत ही खुश हैं। आज अंकिता सहित पूरे परिवार का सपना जो पूरा हो गया। अंकिता ने बताया कि जिंदगी में बचपन से ही संघर्ष देखा, क्योंकि आंख खुलते ही देखा कि माता-पिता जीवन चलाने के लिए सब्जी का ठेला लगाते हैं। मां घर का सारा काम कर पिता के पास चली जाती हैं और उनका हाथ बटाती।
अंकिता ने यह है बताया कि शाम को सब्जी के ग्राहक अधिक होते थे तो मैं भी ठेले पर जाती थी और दोनों की मदद भी करती। मैं कभी सब्जी तोड़ने का काम करती कभी हिसाब किताब का काम करती। उन्हीं के वजह से सिविल जज में चयन हुआ है। पूरे परिवार ने एकजुट होकर मेरी पढ़ाई पर ध्यान दिया तथा संघर्षों के बीच मेरा चयन हुआ। जैसे ही इस बात की जानकारी मुझे तथा मेरे परिवार को मिली। परिवार के सभी सदस्यों की खुशी का ठिकाना ना रहा।
बता दें कि अंकिता को पढ़ाई करने के लिए घर से पैसे लेने पड़ते थे। अंकिता ने अपने छोटे घर में ही रह कर पढ़ाई की। इस घर में कई बार मौसम की मार झेलनी पड़ती थी। लेकिन अंकिता ने इंदौर के निजी कॉलेज से वर्ष 2017 में एलएलबी किया तथा फिर से इसके पास से वर्ष 2021 में एलएलएम क्लियर किया। हालांकि इस पढ़ाई के साथ वो सिविल जज की तैयारी में जुटी रही। दो बार सिलेक्शन नहीं होने के बाद से भी माता-पिता ने सपोर्ट किया तथा हौसला बरकरार रखा। खुद अंकिता ने भी हिम्मत नहीं हारी तथा लगातार परीक्षा देती रही।
बता दें कि अंकिता के घर की आर्थिक हालात ठीक नहीं थी। इसके बावजूद उनके परिवार ने उनका पूरा सपोर्ट किया। अंकिता ने भी तमाम मुश्किलों का डटकर सामना किया। वह हर रोज 8 घंटे तक पढ़ाई करती थी। इसके साथ ही सब्जी के ठेले पर भी समय निकालकर परिवार का हाथ बटाती रही।
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आपको बता दें कि अंकिता 3 साल से सिविल जज की तैयारी कर रही हैं। सफलता न मिलने पर भी उनके परिवार ने उनके फसलों में कभी कमी नहीं होने दी। उन्होंने उनका बहुत सपोर्ट किया। अंकिता ने भी हिम्मत नहीं हारी और वह लगातार मेनहत करती रहीं। अब जाकर उन्हें सफलता हासिल हुई। उनके रिजल्ट आने के बाद से परिवार में खुशी का ठिकाना नहीं है।
एक मीडिया इंटरव्यू में Ankita Nagar ने यह बताती हैं कि रिजल्ट 1 सप्ताह पहले आ चुका था। लेकिन रिश्तेदारी में किसी की मौत हो गई थी तो परिवार गम में शरीक था। इसीलिए तभी और खुशखबरी हमने छुपाई रखी। लेकिन सबसे पहले अपनी मां को अपने सिलेक्शन की खुशखबरी सुनाई।