दिल्ली की सीमाओं पर पिछले एक साल से जारी किसान आंदोलन की पहली वर्षगांठ के ठीक सात दिन पहले ही कल शुक्रवार को प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर दी थी। कल के दिन गुरु नानकदेव के प्रकाश पर्व पर सुबह 9 बजे देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने किसानों से भी आंदोलन को वापस लेने का आग्रह किया। पीएम ने देश की जनता और किसानों से माफी मांगते हुए कहा कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी की संवैधानिक औपचारिकताएं 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीत सत्र में पूरी कर दी जाएगी।
पीएम ने अपनी बात रखते हुए कहा कि, केंद्र सरकार, किसानों, खासकर छोटे किसानों के कल्याण और विकास के लिए, देश के कृषि जगत के हित की मंशा से, गांव के रहने वाले गरीबों के उज्ज्वल भविष्य के लिए, सत्यनिष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से और नेक नीयत से तीनों कानून लेकर आई थी। लेकिन हमें बडा ही खेद है कि इतनी पवित्र बात और पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम कुछ किसानों को समझाने में कामयाब नहीं हो पाए। प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि अर्थशास्त्रियों, वैज्ञानिकों व प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें बहुत ही समझाने का प्रयास किया लेकिन आखिरकार हमें इन कानूनों को निरस्त करना पड रहा है । तो चलिए जानते हैं क्या है वो पांच कारण जिनकी वजह से केंद्र सरकार को पीछे हटना पड़ा है…
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उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब के विधानसभा चुनाव: पश्चिम यूपी में मजबूत किसान आंदोलन से जाट वोट छिटकने का मंडरा रहा था खतरा।
हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में करारी शिकस्त से सरकार को जमीनी स्तर पर नाराजगी का अहसास हुआ।
किसानों पर कार चढ़ाने की घटना से चारो ओर हुई बदनामी। घटनास्थल पर गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के पुत्र की मौजूदगी और गोलियां चलाने की भी पुष्टि हुई।
पिछले एक साल से चल रहे किसान आंदोलन से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोदी की छवि दागदार हो गई है। कई देशों ने सार्वजनिक तौर पर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं।
अब मोदी ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को अधिक प्रभावी बनाने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए वह एक कमेटी बनाएंगे। इस कमेटी में केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधि, किसान, कृषि वैज्ञानिक और कृषि अर्थशास्त्री शामिल होंगे। यह कमेटी जीरो बजट खेती व किसान के हित में फैसला लेगी।
एमएसपी गारंटी कानून बनने तक आंदोलन जारी रहेगा।
किसान आंदोलन में अब न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की मांग भी जुड़ गई है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि सरकार एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाए और कानून बनने तक यह आंदोलन जारी रहेगा। इस मुद्दे पर रविवार को बैठक में फैसला होगा।
केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त करें और शांतिपूर्ण आंदोलन करने वाले किसानों के खिलाफ दर्ज हुए मामले वापस लिए जाएं।
भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने कहा कि, सरकार तीनों कानून संसद में वापस ले और एमएसपी पर गारंटी वाला कानून लेकर आए, इन दोनों बातों की गारंटी के बाद ही आंदोलन समाप्त होगा। अभी तो सिर्फ आधी मांग ही पूरी हुई है। हमारी दोनों मांगें पूरी होने के बाद ही हम जश्न मनाएंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, केंद्र की जिद और रवैये के कारण एक साल तक चले किसान आंदोलन में 700 किसानों की मौत हुई। आगे की रणनीति बैठक में तय होगी।