Maldives: विश्व में जिस तेजी के साथ सागर के जल स्तर में वृद्धि देखने को मिल रही है। मानो ऐसा लग रहा है कि 22वीं शताब्दी आने के बाद यह दुनिया डूब जाएगी। यानी कि 21वीं शताब्दी की शुरुआत में ये बाते थोड़ी अटपटी-सी लगती है। लेकिन इस बात को लेकर होने वाले अध्ययन आने वाले समय को लेकर थोड़ी चिंताएं जरूर पैदा करते हैं। कुछ वर्षों में चेतावनी मिली थी कि वैश्विक ताप के कारण से ध्रुवों पर जमी बर्फ पिघलने और सागरों का जलस्तर बढ़ता जाएगा। इसके कारण से समुंद्र के किनारे समुंद्र के बहुत से देश समुद्र में डूब जाएंगे।
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लगभग 1000 द्वीपों से मिलकर बनने वाला “सोलोमन द्वीप” दक्षिणी प्रशांत महासागर में स्थित हैं। वर्ष 1993 से इस द्वीप पर नजर रखी जाने लगी एवं रीडर्स डाइजेस्ट अध्ययन से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक इस द्वीप के आसपास प्रत्येक वर्ष पानी 8 मिमी ऊपर की ओर आ रहा है। यही कारण है कि इस द्वीप समूह के पांच द्वीप अभी तक जलमग्न हो चुके हैं।
करीब सभी एशियाई नागरिक इस मालद्वीप के नाम से परिचित हैं। “सैलानियों का स्वर्ग” कहे जाने वाले इस द्वीप को हिंद महासागर की शान भी कहा जाता है। जबकि यहां पर आने वाले सैलानियों को फर्स्ट क्लास होटल्स भी मिल जाते हैं। इसके साथ ही साथ ज्यादा रोमांचक अनुभव लेने के लिए भी पानी के अंदर होटल भी मौजूद है। हालांकि अब विश्व बैंक सहित अलग-अलग संस्थाएं इस बात को लेकर भयभीत हैं कि जिस गति से सागर का जल बढ़ रहा है वर्ष 2100 तक यह देश जलमग्न हो जाएगा।
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हालांकि प्रशांत महासागर में मौजूद द्वीपीय देश पलाऊ भी इस सूची में शामिल है। साल 1993 से यहां पर जल का स्तर हर वर्ष लगभग 0.35 इंच बढ़ रहा है। यदि इस प्रकार से गर्मी पड़ती रही तो भविष्य में जल का स्तर 24 मीटर वार्षिक की रफ्तार से ही ऊपर आएगा। विशेषज्ञों के मुताबिक ये स्थिति वर्ष 2090 तक हो सकती हैं। तब पलाऊ द्वीप को बचाना बेहद मुश्किल होगा।
कई एक्सपर्ट्स का यह कहना है कि अगर किसी देश पर ऐसा संकट आता भी है तो शायद कुछ लोग अपना देश छोड़ने के लिए न तैयार हों।
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति नशीद इस बारे में यह कहते हैं कि इंसान काफी चतुर हैं। वह ऐसी स्थिति में भी रहने के लिए रास्ते खोज लेंगे। उन्होंने यह बताया कि ये हो सकता है कि लोग तैरते हुए शहरों के आदी हो जाएं।
हालांकि, ये अभी तक साफ नहीं है कि इन देशों को ऐसी परियोजनाओं के लिए संसाधन कैसे मिलेंगे। नवंबर में मिस्र में COP27 के दौरान Global warming से होने वाले नुकसान एक बड़ा मुद्दा रहेगा।