चीन की बढ़ती आक्रामकता चीन का हिंद महासागर पर बढ़ता दबदबा , भारत की बढ़ती चिंता है ।

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स्ट्रिंग ऑफ पर्ल द्वारा हिंद महासागर पर बढ़ती चीन की समुद्री ताकत

चीन की बढ़ती आक्रामकता चीन की बढ़ती समुद्री ताकत :-

चीन की बढ़ती आक्रामकता चीन जिस तरह अपनी समुद्री ताकत बढ़ाता जा रहा है। उसे देखकर भारत को भी अपनी रणनीति बदलने चाहिए और इस बात पर गंभीरता से अमल करना चाहिए। चीन अपनी शक्ति लगातार बढ़ाता जा रहा है और अपनी सीमाएं विस्तारित करता जा रहा है थोड़ा सा हम पीछे जाएं तो वह 2004 में चीन ने रक्षा श्वेत पत्र सीडब्ल्यूपी जारी किया जो उनकी रक्षा नीतियों से जुड़ा हुआ था। 2012 में चीन के तत्कालीन राष्ट्रपति हु जिंताओ थे । चीन की बढ़ती आक्रामकता उन्होंने कहा था की अब जरूरत है कि चीन समुद्री महाशक्ति बने और इसी लक्ष्य को लेकर चीन लगातार आगे बढ़ रहा है और चीन की जो नौसैन्य शक्ति है उसे लगातार आगे बढ़ा रहा है । चीन अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे बड़ा जहाज उत्पादक देश बन गया है । चीन के पास सबसे बड़ी मर्चेंट नेवी ,कोस्ट गार्ड और फिशिंग फ्लीट/ समुद्री रक्षा सेना है ।और सभी उन्नत संसाधन है जिसके द्वारा नई नई नीतियां बना रहा है और जो हिंद महासागर का क्षेत्र है उसे भी आगे बढ़ा रहा है।

हिंद महासागर में बढ़ता चीन का प्रभुत्व

चीन की बढ़ती आक्रामकता भारत की बढ़ती चिंता :-

चीन की बढ़ती आक्रामकता चीन और बेल्ट एंड रोड के जरिए चीन अपना प्रभुत्व बढ़ाता जा रहा है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन लगातार क्षेत्र में अपनी नौसेना शक्ति बढ़ा रहा है। चीन पाकिस्तान और श्रीलंका की भांति जिबूती में भी एक नौसेन्य शक्ति चौकी स्थापित कर रहा है जो बीजिंग के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव की महत्वपूर्ण कड़ी है। चीन की बढ़ती आक्रामकता जिबूती में स्थापित नौसेन्य बेस के माध्यम से चीन हिंद महासागर में स्थित परिवहन मार्गों को नियंत्रित कर सकता है। जिससे भारत की कच्चे तेल और ऊर्जा संबंधी सप्लाई लाइन को काटा जा सकता है चीन अपनी स्ट्रिंग ऑफ पर्ल नीति के अनुसार भारत को घेरते हुए हिंद महासागर में स्थित देशों में अपने नौसेना अड्डे स्थापित कर भारत पर सामरिक  बढत  हासिल करना चाहता है।

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चीन की बढ़ती आक्रामकता भारत की रणनीति :-

भारत को अधिक सक्रिय रुप में नीति को गति देने की आवश्यकता है। परिचालन द्वारा अपनी उपस्थिति को और मजबूत करें विभिन्न देशों के मामले में भारत नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभा सकता है। भारत को और अधिक परियोजनाओं को हिंद महासागर क्षेत्र में लागू करना चाहिए और अपनी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए । चीन की बढ़ती आक्रामकता हाल फिलहाल में भारत की परियोजनाएं हिंद महासागर में शुरू की गई हैं।

हिंद महासागर में चीन की बढ़ती ताकत को लेकर भारत को अधिक सक्रिय नीति बनाने की आवश्यकता

चीन की बढ़ती आक्रामकता सागरमाला परियोजना – यह परियोजना 2003 में स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई द्वारा शुरू की गई थी लेकिन यह कई चरणों से निकलकर 2015 में स्वीकृत की गई इस परियोजना का उद्देश्य बंदरगाहों के आधुनिकीकरण से संबंधित और समुद्री तटरेखा के करीब बंदरगाहों के इर्द-गिर्द प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विकास को बढ़ावा देना है । चीन की बढ़ती आक्रामकता केंद्रीय पतन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अंतर्गत आता है ।इस योजना के तहत अनुकूलित बुनियादी ढांचे के निवेश के साथ घरेलू और इस योजना द्वारा EXIM गर्गो के लिए लागत को कम करना मछुआरों एवं तटीय समुदायों के लिए रोजगार बढ़ाना ।

सागर (Sagar) विजन – सागर विजन एक रणनीतिक पहल है इसे वर्ष 2015 में प्रस्तुत किया गया । सागर विजन आई ओ आर (IOR) को प्राथमिकता देती है तो जाहिर सी बात है कि यह उसी के हिसाब से कि उसके क्या फायदे हैं भारत के लिए क्या लाभ हैं किस तरीके से भारत को उसके लिए रणनीति बनानी है। तो उसी आई ओ आर के लिए सागर वजन काम करता है। सागर विजन में क्षेत्र में स्थिरता बनी रहे और सुरक्षा पर जोर दिया जाता है। चीन की बढ़ती आक्रामकता इसका उद्देश्य भारत को तटीय अवसंरचना को मजबूत कर ,अपनी क्षमता वृद्धि करना है। यह ब्लू इकोनामी पर बल देती है कि किस तरह भारत ब्लू इकोनामी से लाभ ले सकता है । सागर विजन विभिन्न नौसेनाओं का समुद्री सुरक्षा एजेंसियों के बीच सहयोग प्राप्त करने हेतु एक मंच है।

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