आज के बदलते समय में जीवन शैली, गलत खानपान, मोटापा के कारण गठिया यानी अर्थराइटिस रोग युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है। पिछले लगभग 20 सालों में इसके मरीजों की संख्या में करीब पचास प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। यह रोग भारत में मधुमेह के बाद सबसे तेजी से फैल रहा है। अगर हम सिर्फ भारत की बात करें तो यहां करीब 15 प्रतिशत लोगों में गठिया रोग पाया जाता है।
इस पोस्ट में
गठिया ही एक ऐसी बीमारी है। जो सीधे आपके जोड़ों को प्रभावित करती हैं(एक ऐसी जगह जहां आप की हड्डियां मिलती हैं तथा जुड़ती हैं). आमतौर पर गठिया आपके जोड़ों में सूजन या फिर अध: पतन यानी टूटना शामिल होता है। जब आप जोड़ का इस्तेमाल करते हैं। तो यह परिवर्तन दर्द का कारण बन सकता है। शरीर के पैर क्षेत्रों में घटिया सबसे ज्यादा होता है।
हर साल 12 अक्टूबर को विश्व गठिया दिवस मनाया जाता है। दुनिया भर में पहली बार विश्व गठिया दिवस 12 अक्टूबर सन् 2013 को मनाया गया। इस अवसर पर गठिया और संधिवात जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों की मदद के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। वर्ल्ड अर्थराइटिस डे चिकित्सा समुदाय, मरीजों तथा आम जनता के बीच इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है।
गठिया को जोड़ों में दर्द या फिर संधि शोथ के रोग के रूप में भी जाना जाता है। गठिया के अंतर्गत रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, सूजन या अकड़न आ जाती है। जोड़ों में इस रोग में कांटे बन जाते हैं। तथा शूल चुभने जैसी ही पीड़ा होती है। इसके अंतर्गत रोगी को अकरांत संधि में असहाय पीड़ा होती है, ज्वर होता है, वेगाअनुसार संदेश ओर में भी परिवर्तन होता है, नाड़ी की गति भी तेज हो जाती है। आक्रांत भाग तथा स्थान परिवर्तन को छूने में बहुत ज्यादा कष्ट का अनुभव होता है। संधि शोथ उन व्यक्तियों में ज्यादा होता है। जिसमें रोग रोधी की क्षमता बहुत कम होती है।
इस दिन गठिया जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों की मदद के लिए कई सारे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। विश्व अर्थराइटिस डे मरीजों, चिकित्सा समुदाय और आम जनता के बीच इस बीमारी के बारे में पूरी तरह से जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है।
पूरी दुनिया और भारत में कोरोनावायरस को छोड़कर अर्थराइटिस शीर्ष उभरती बीमारियों में से एक हैं। वयस्कों में अर्थराइटिस व्यापक रूप से फैल रहा है। इसके साथ ही साथ मोटे लोगों को इससे ज्यादा खतरा बना रहता है। ये एक खतरनाक प्रवृत्ति बनती जा रही है। हम सभी को समय पर यह याद दिलाने के लिए कि गठिया रोग कितना खतरनाक है। विश्व गठिया दिवस ही इस बीमारी पर वापस हमारा ध्यान केंद्रित करता है। तथा इसका मुख्य उद्देश्य लोगों में जागरूकता को बढ़ावा देना है। और इसका प्राथमिक उद्देश्य लोगों को गठिया के प्रति शिक्षित करना है।