Period Chart: मेरठ, हाशिमपुरा की रहने वाली अलफ़िशां ने घर के भीतर एक दरवाज़े पर अपनी माहवारी की तारीख की सूची टांगा हुआ है. घर में उसके भाई और पिता भी साथ रहते हैं. उनकी नजर भी आते-जाते इस माहवारी चार्ट पर पड़ती रहती है, लेकिन अब ये सब सामान्य हो चुका है. वे इस माहवारी चार्ट देख लेते हैं और आगे बढ़ जाते हैं.
अलफ़िशां ने मीडिया से कहा, “महिलाओं में पीरियड्स के दौरान तमाम परेशानियां आती हैं, उनमें गुस्सा ,कमज़ोरी और कईं अन्य समस्याएं आती हैं, लेकिन मैंने जब से घर के अंदर ये चार्ट लगाया है, सभी को पता चल जाता है कि, मेरे पीरियड की तारीख कब है. यहां तक कि मैं ख़ुद अपनी देखभाल करने लगी हूं. मुझे भी समय से मालूम पड़ जाता है कि, मेरे पीरियड क्या सही टाइम पर आ रहे हैं.”
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ऐसा ही एक माहवारी चार्ट मेरठ की रहने वाली आलिमा ने भी अपने कमरे के भीतर दरवाज़े पर लगाया हुआ है. आलिमा के घर में भाई-बहन और पिता को मिलाकर कुल सात लोग हैं, लेकिन अब उनके सभी घर के सदस्यों को इस बारे में मालूम पड़ चुका है कि आलिमा की माहवारी की डेट कौन सी है.
आलीमा खुद बताती हैं, “मैं एक अध्यापिका हूं, घर से बाहर निकल नौकरी करती हूं, ऐसे में जानती हूं कि एक महिला को पीरियड के दौरान किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है, पीरियड चार्ट लगाए जाने से एक फायदा यह हुआ है कि कम से कम घर के सभी सदस्यों को हमारी माहवारी की तिथि का मालूम पड़ गया है और वे अब हमारा ध्यान रख रहे हैं, ये काफी सुविधाजनक और सुखद अनुभव है.”
मेरठ में इन दिनों अलग-अलग स्थानों पर लगभग 65 से 70 घरों में ये माहवारी चार्ट्स लगे हैं, लेकिन ये सब अचानक कैसे संभव हुआ और कैसे विवाहित महिलाएं और अविवाहित लड़किया भी ये चार्ट अपने घरों में खुले स्थानों पर लगाने का साहस कर रही हैं, इस सवाल का जवाब NGO ‘सेल्फी विद डॉटर’ फाउंडेशन के निदेशक सुनील जागलान देते हैं.
मेरठ में माहवारी सूची की मुहिम दिसंबर 2021 से शुरू की गई है. शहर में अलग-अलग जगहों पर इस मुहिम को लेकर पोस्टर्स लगवाए गए. स्कूल-कॉलेजों में लोगों से सपर्क किये गए और छात्राओं से पीरियड चार्ट के विषय पर बातचीत की गई.
सुनील जागलान बताते हैं, “हमनें दिसंबर 2021 में मेरठ में ये पीरियड चार्ट की मुहिम शुरू की. हमारे साथ टीम में अलग-अलग राज्यों में काम कर चुकीं 30-35 महिला सदस्य रहीं. हमनें गर्ल्स स्कूल, कॉलेजों में छात्राओं से संपर्क किया. लाडो पंचायत के नाम से, पंचायत में लड़कियों को कुछ जगह बुलाया भी गया. घर-घर भी पहुंचे. उनके MOBILE नंबर लिये और व्हाट्सऐप ग्रुप भी प्रिपेयर किये. इसमें कई जगह हमारे साथ पुरुष समाज भी मदद को आगे आया.”
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“हमने शुरुआत में अलग-अलग घरों में लगभग 250 पीरियड चार्ट गर्ल्स को बांटे, लेकिन जब हमारी टीम की मेंबर्स ने घूम-घूमकर घरों में देखा तो पता चला कि ये चार्ट सिर्फ 65 से 70 घरों में ही कारगर रह सके हैं, अधिकतर घरों में या तो ये चार्ट फाड़ दिए गए या फिर लड़कियों को घर में लगाने की इजाज़त ही नहीं मिली, पर हमें इस बात का संतोष है कि कुछ घरों में तो लोग महिलाओं की माहवारी की तिथियों को जान रहे हैं.
उम्मीद है कि वहां उन महिलाओं की देखभाल हो रही होगी. जागरूकता बढ़ने पर लोगो की संख्या बढ़ेगी.” उन्होंने ये भी बताया कि इन पीरियड चार्ट के सहयोग और विरोध दोनो पक्षों, में सभी वर्गों के लोग शामिल हैं.
Period Chart मुहिम को चलाने का उद्देश्य महिलाओं के अंदर स्वास्थ्य को लेकर निगरानी रखना भी है. जागलान इस बारे में कहते हैं, जब कभी महिलाओं को माहवारी होती है, उस दौरान वे कई समस्याओं से गुज़रती हैं. गुस्सा, कमज़ोरी, थकान और शरीर में दर्द और कुछ अन्य लक्षण दिखाई देते हैं. इस बीच घर के दूसरों सदस्यों की उनको सहयोग की ज़रूरत होती है. उनके खाने पीने पर ध्यान देना ज़रूरी होता है. कई महिलाओं को पीरियड की अनियमित भी होती है तो उनके बारे में भी मालूम पड़ जाता है.”
जागलान आगे कहते हैं, “चार्ट पर पीरियड टाइम नोट करने वाली महिलाओं से पूरे वर्ष के चार्ट लिये जाएंगे, इसमें माहवारी की तिथियों में यदि कहीं कोई भिन्नता मिलती है तो उनकी सुची गवर्नमेंट को भेजी जाएगी, जिससे कि आशा केंद्र और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से ऐसी महिलाओं को महावारी का इलाज मिल सके.”
माहवारी चार्ट को लेकर उत्तर भारत के कई स्टेट में लड़कियों और महिलाओं को जागरूक किया गया.ONLINE लाडो पंचायत करवाई गईं. राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा में अलग-अलग दस पंचायतें की गईं उसमे से अधिकांश पंचायतें ऑनलाइन की गईं।
पीरियड चार्ट को लेकर बाक़ायदा एक SHORT MOVIE भी बन चुकी है. हालांकि, फिल्म का सारा ख़र्च संस्था के डायरेक्टर सुनील जागलान ने ही किया है. इस फिल्म की मुख्य कलाकार के तौर पर हिमाचल प्रदेश की रहने वाली रिश्दा ने एक्टिंग किया है.
रिश्दा ने मीडिया से कहा, “APRIL 2021 में मेरे पास PERIOD CHART पर बन रही शॉर्ट मूवी में काम करने का ऑफर आया. मैं तैयार हो गई, लेकिन मैंने जब स्क्रिप्ट पढ़ी तो मैं इससे काफी इंप्रेस हुई. संयोग से सुनील जगलान से मेरी इस विषय पर वार्तालाप हुई, उन्होंने मुझे इस मुहिम से भी जोड़ा और एंबेस्डर भी बना दिया. अब मैं कई राज्यों में इस मुद्दे को लेकर महिलाओं के बीच पहुंचती हूं.”