NSG: भारत में जब भी दुश्मनों ने मुसीबत पैदा की है तो हमारे देश के ब्लैक कैट कमांडो यानी एनएसजी ने उन्हें मौत का रास्ता दिखाया है। चाहे वह घटना स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लैक थंडर रहा हो, या 26/11 हमले के आतंकियों को ठिकाना लगाने का रहा हो, या फिर कश्मीर में आतंकियों से लड़ने की बात हो, या चाइना घुसपैठियों को ईट का जवाब पत्थर से देना हो। यह कमांडो देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगा देते हैं।
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NATIONAL SECURITY GUARD (NSG) 16 अक्टूबर को एनएसजी का 38 वां स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। यह फोर्स हमारे देश के बेस्ट कमांडो फोर्स है। इसके एक कमांडो कइ दुश्मनों पर अकेले भारी पड़ते हैं। इन कमांडोज का काम सिर्फ दुश्मनों को मारना ही नहीं बल्कि यह होस्टेज की पोजीशन को भी संभालते हैं। यह सीक्रेट मिशन पर भी कार्य करते हैं, जैसे सर्जिकल स्ट्राइक या फिर किसी भी युद्ध से पहले की जासूसी करनी हो। यह कहीं भी युद्ध करने में पारंगत होते हैं चाहे वह पानी में हो, आकाश में हो, या जमीन पर यह हर जगह अपने दुश्मन को धूल चटाने में माहिर होते हैं।
NSG कमांडो फोर्स ही देश के BLACK CATS हैं। एनएसजी कमांडो में लगभग 10 हजार कमांडो है। जिन्हें विभिन्न कामों के लिए अलग-अलग टीमों में विभाजित किया गया है। यह आतंक विरोधी अभियान में पूरी तरह से ट्रेंड होते हैं। इस फोर्स में देश के किसी भी सैन्य और अर्धसैनिक बल या पुलिस से जवानों को शामिल किया जा सकता है। इनकी 14 महीने की ट्रेनिंग होती है। और यह गृह मंत्रालय के अंडर में काम करते हैं। इनका काम वीआईपी व्यक्ति को सिक्योरिटी देना, हाईजैकिंग को रोकना, कहीं भी लगे हुए हमले के उद्देश्य से बम का पता लगाना ,जैसे कामों के लिए यह नियुक्त किए जाते हैं। इनका स्लोगन है “सर्वत्र सर्वोत्तम सुरक्षा”
NSG कमांडो फोर्स को वर्ष 1984 में 16अक्टूबर को ऑपरेशन ब्लू स्टार के वक्त बनाया गया था। शुरू में इस फोर्स का इस्तेमाल सबसे अधिक पंजाब के राज्य में हुआ। इसके बाद कश्मीर में 1 मई वर्ष 1986 को 300 एनएसजी कमांडो ने 700 बीएसएफ के जवानों के साथ मिलकर एक ज्वाइंट मिशन के अभियान के तहत स्वर्ण मंदिर को आतंकवादियों से मुक्त कराया था। अगले अभियान इन्होंने वर्ष 1988 में पंजाब में ऑपरेशन ब्लैक हार्ट को पूरा करके दो आतंकियों को मार गिराया था।
वर्ष 1988 में NSG कमांडो ने ऑपरेशन ब्लैक थंडर 2 को अंजाम दिया। साल्ट अभियान में इन्होंने 40 आतंकी को मारा था और 200 आतंकियों ने सरेंडर किया था फिर इन्होंने ऑपरेशन माउस ट्रैप को अंजाम दिया।
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1990 में कोलकाता में थाईलैंड के एक विमान को बर्मा के विद्यार्थियों को होस्टेज सिचुएशन से बचाया था। आतंकियों ने 1993 में जब इंडियन एयरलाइंस के विमान को अमृतसर एयरपोर्ट पर हाईजैक किया था तब इन्हीं कमांडो फोर्स ने ऑपरेशन अश्वमेघ के तहत आतंकियों को मार कर और एक आतंकी को गिरफ्तार कर इसको आतंकियों से मुक्त कराया था।
वर्ष 2022 में गुजरात के अक्षरधाम मंदिर को आतंकियों को मौत के घाट उतार कर इन्होंने अपने अंजाम को बखूबी पूरा किया था। इसके बाद 26/11 मुंबई हमले में पाकिस्तानी आतंकियों को मार गिराया था। इसमें बहुत सारे एनएसजी के जवान जख्मी भी हो गए थे मेजर संदीप और हवलदार गजेंद्र सिंह इस मिशन में शहीद हुए थे।
एनएसजी कमांडो फोर्स के पास 5 तरह की टीम है। जो अलग-अलग काम को अंजाम देने के लिए बनाई गई है यह टीम बड़े से बड़े खतरनाक मिशन को पूरा करने में पारंगत है एनएसजी कमांडो के यह 5 टीम इस प्रकार हैं-
1. SPECIAL ACTION GROUP: यह टीम एनएसजी की सबसे खतरनाक टीम में से एक है। इसमें 51और 52 तथा 11एसआरजी यह तीनों मिलकर अपने मिशन को अंजाम देते हैं।
2. SPECIAL RANGER GROUP: एनएसजी के पास 3 रेंजर ग्रुप है जो क्रमशः 11 12 और 13 है यह टीम भी आतंक विरोधी मिशन के लिए तैनात है इनकी भर्ती BSF, SSB, CRPF, CISF और असम राइफल से की जाती है।
3. SPECIAL COMPOSITE GROUP: यह ग्रुप इंडियन आर्मी और अर्धसैनिक बलों को मिलाकर बनाई जाती है इनका काम आतंकियों से लड़ना होता है यह मुंबई चेन्नई हैदराबाद कोलकाता और गांधीनगर में तैनात रहते हैं।
4. ELECTRONICS SUPPORT GROUP: इस ग्रुप के ड्यूटी मानेसर में रहती है। यह अपने दूसरे कमांडो ग्रुप को कम्युनिकेशन और टेक्नोलॉजी संबंधित सहायता प्रदान करती है
5. NATIONAL BOMB DATA CENTER: , इस ग्रुप का काम बम को डिटेक्ट करने का होता है। यह कहीं भी लगाए गए बम को निष्क्रिय करने में माहिर होती है। या अगर कहीं बम धमाका होता है। तो उन घटनाओं की जांच करने में यह मदद करते हैं।