MCOCA Act: महाराष्ट्र में 24 फरवरी 1999 में मकोका कानून लागू किया गया था। इसका पूरा नाम महाराष्ट्र कंट्रोल आफ ऑर्गेनाइज्ड क्राईम एक्ट ( Maharashtra Control Of Organised Crime Act ,1999 ) है। किसी भी अपराधी पर मकोका लगने के बाद उसे आसानी से जमानत नहीं मिलती है और किसी अपराधी पर मकोका कानून लगना भी मुश्किल है और इसे लगाने के लिए ACP या इसी रैंक के अधिकारी से मंजूरी लेनी पड़ती है। इस एक्ट में अपराधी पर मुकदमा तब दर्ज होगा जब वह पिछले 10 साल में कम से कम 2 संगठित अपराधों में शामिल रहा हो और उस अपराध में कम से कम 2 लोग शामिल होने चाहिए।
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मकोका कानून 1999 में महाराष्ट्र में लागू किया गया था उस समय महाराष्ट्र में अंडरवर्ल्ड अपराध चरम सीमा पर था। इस लिए महाराष्ट्र में MCOCA Act लागू किया गया। उद्देश्य इसका उद्देश्य संगठित और अंडरवर्ल्ड अपराध खत्म करना था । इस केस के ट्रायल के लिए विशेष कोर्ट जिसे मकोका विशेष कोर्ट कहा जाता है का प्रावधान सेक्शन 5 में है । इस कानून के तहत संगठित अपराध जैसे अंडरवर्ल्ड जुड़े अपराधी, जबरन वसूली, रोटी के लिए अपहरण, हत्या की कोशिश, धन की उगाही सहित कोई भी गैरकानूनी कार्य जिससे बड़े स्तर पर पैसा बनाया जाता हो को कम या खत्म करने के लिए यह सेक्टर को लागू किया गया है।
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MCOCA Act महाराष्ट्र और दिल्ली में लागू है। दिल्ली में यह अधिनियम 2002 से लागू है। मकोका कानून गुजरात ,हरियाणा ,राजस्थान में भी लागू किया जा रहा है इस कानून में आरोपी को मुश्किल से जमानत मिलती है। इस कानून के तहत अधिकतम सजा फांसी या उम्रकैद तथा न्यूनतम सजा 5 साल की जेल होती है। इस इस MCOCA Act के तहत अपराधी की संपत्ति भी जप्त की जा सकती है।
MCOCA Act कितना पढ़ा है इसका पता ACP से तुलना करके भी देख सकते हैं-
MCOCA Act में 180 दिनों में चार्ज शीट प्रस्तुत की जाती है और आईपीसी में सिर्फ और सिर्फ साथ 90 दिनों में चार्जशीट अतीत की जाती है इसमें चार्जशीट MCOCA Act में चार्जशीट दाखिल करने का समय अधिक मिल जाता है। MCOCA Act में 30 दिन का रिमांड लिया जाता है बल्कि आईपीसी में केवल 15 दिनों का रिमांड लिया जाता है।
मकोका कानून असामाजिक तत्वों अपराधियों को दंड देने के लिए अच्छा है लेकिन इसका कोई दुरुपयोग करे तो यह उससे ज्यादा बुरा है। राजनीतिक लोग अपने विरोधियों के लिए मकोका कानून का दुरुपयोग करते हैं पुलिस भी इस के दुरुपयोग से अछूती नहीं हैं।