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Valmiki Jayanti 2021: क्यों मनाया जाता है बाल्मीकि जयंती, क्या है इसका महत्व?

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संस्कृत के आदि कवि महर्षि वाल्मीकि जी का जन्म आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। प्रत्येक साल अश्विन पूर्णिमा के दिन ही बाल्मीकि जयंती मनाई जाती है। तथा जगत के कल्याण की कामना भी की जाती है। महर्षि बाल्मीकि ने ही सबसे पहले संस्कृत के श्लोक की रचना की थी। यही वजह है कि उनको संस्कृत के आदि कवि की उपाधि प्राप्त है।

इतिहास Valmiki Jayanti

ऐसा ही माना जाता है कि भगवान राम की कहानी त्रेता युग में महर्षि बाल्मीकि ने नारद मुनि से सुनी थी। उन्होंने इन्हीं के मार्गदर्शन में महाकाव्य लिखा। रामायण करीब 480,002 शब्दों से बना है। चूंकि यह माना जाता है कि भगवान राम की कहानी नारद मुनि पीढ़ियों तक संजो कर रखना चाहती थी। यही वजह थी कि उन्होंने वाल्मीकि जी को इसके लिए चुना। जिसके बाद महाकाव्य रामायण की रचना हुई।

महत्त्व Valmiki Jayanti

बाल्मीकि जयंती के ही दिन भक्त मंदिरों में जाते हैं। इसके साथ ही साथ रामायण ही पढ़ते हैं। इसमें 24 हजार श्लोक होते हैं। बाल्मीकि जी का सबसे प्रसिद्ध मंदिर चेन्नई की तिरुवानमियुर में स्थित है। मान्यता है कि ये मंदिर 1300 साल पुराना है। कहा तो यहां तक जाता है कि देवी सीता को महर्षि बाल्मीकि ने ही शरण ली थी। उन्होंने भगवान राम तथा देवी सीता के पुत्र लव और कुश का रामायण सिखाई थी।

बाल्मीकि: नाम क्यों पड़ा.

महर्षि बाल्मीकि का वास्तविक नाम रत्नाकर था। यह पहले डाकू थे। इनका नाम आगे चलकर बाल्मीकि पड़ा। मान्यता यह है कि एक बार महर्षि बाल्मीकि ध्यान में इतने मग्न हो गए थे कि उनके शरीर में दीमक लग गई थी। हालांकि जब उनकी साधना पूरी हुई तभी उन्होंने दीमको हटाया। आपको बता दें कि दिमको के घर को बाल्मीकि घर कहा जाता है। इसी के चलते ही इनका नाम बाल्मीकि पड़ा। इनको रत्नाकर नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इनका पहले का नाम रत्नाकर था।

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