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Uttar Pradesh: अब मछलियां भी बनवा सकती है आधार कार्ड , जानिए कैसे देंगी फिंगरप्रिंट

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मछलियों का भी आधार कार्ड बनाने की तैयारी कर रही है सरकार

Uttar Pradesh: यह आपको सुनकर अजीब लग रहा होगा लेकिन यह सत्य है कि अब मछलियों का भी आधार कार्ड बनेगा , आपको बता दे की प्रदेश सरकार मछलियों का भी आधार कार्ड बनाने की तैयारी कर रही है इससे मछलियों के बारे में जानकारी हो सकेगी। साथ ही मालूम हो सकेगा कि यह गंगा की मछलियां है या फिर यमुना की मछलियां हैं।

आधार कार्ड में होगी मछलियों की सारी जानकारी

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प्रदेश के मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री डॉक्टर संजय निषाद ने अस्सी घाट स्थित विश्व योगा दिवस के काउंटडाउन के कार्यक्रम में यह जानकारी दी कार्यक्रम में उन्होंने यह भी कहा की लखनऊ में स्थित रिसर्च सेंटर में प्रदेश के मछलियों का भी आधार कार्ड रखा जा रहा है। और कहा कौन से मछली किस प्रकार की है इसकी भी पूरी जानकारी रखी जा रही है।

गंगा नदी में छोरी गई 5000 मत्स्य अंगुलिकाएं

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उन्होंने कहा की गंगा में रहने वाली मछलियों से निकलने वाली बीज को फिर से गंगा नदी में ही प्रवाह कर दिया जाएगा और साथ ही दो महीने तक मछली पकड़ने पर भी प्रतिबंध रहेगा। साथ ही मुख्य अतिथि एवम केन्द्रीय मत्स्य पशुपालन व दुग्ध विकास मंत्री संजीव कुमार के नेतृत्व में गंगा नदी में मत्स्य अंगुलिकाएं भी छोरी गई। इसके साथ ही गंगा व जल संरक्षण की भी सपथ ली गई।

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वाराणसी में आयोजित विश्व योग दिवस में मौके पर गंगा में 50,000 अंगुलिकाए छोड़ी गई। इस दौरान नौका रेस का भी सुभारंभ किया गया। आपको बता दे की इस अवसर पर हमारे प्रदेश के मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री डॉक्टर संजय निषाद भी मौजुद रहे

क्या है मछलियों के आधार कार्ड का उद्देश्य

आने वाले समय में सभी मछलियों के आधार कार्ड जारी कर दिए जाएंगे जिससे यह पता लगाया जा सके की वो कहा की मछली है गंगा की या यमुना की। साथ ही यह कार्य जल संरक्षण के लिए भी अत्यधिक आवश्यक है। यह आधार कार्ड की प्रक्रिया अभी सिर्फ वाराणसी में सुरू की जाने वाली है और जल्द ही मछलियों के आधार कार्ड बनना प्रारंभ होने वाला है

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मछलियों के आधार कार्ड बनाने का मुख्य उद्देश्य उनकी पहचान करना है ताकी यह सरलता से पता लगाया जा सके की मछलियां गंगा , यमुना या तालाब की है।

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