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The India Way: डॉ एस जयशंकर ने कहा- महाभारत का अध्ययन करना जरूरी है भारतीय विचार प्रक्रिया को समझने के लिए

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The India Way: विदेश मंत्रीडॉ एस जयशंकर ने जब से कार्यभार संभाला है। तब से वह अक्सर ही चर्चा का विषय बने रहते हैं। वह बड़ी ही बेबाकी से अपनी बातों को रखते हुए नजर आते हैं। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी वह भारत को मजबूती से पेश करते हुए भी दिखाई देते हैं। इस बार भी डॉक्टर एस जयशंकर ने अपने एक बयान को लेकर चर्चा के विषय में बने हुए हैं।

विश्वास के आधार पर विश्व के साथ बातचीत करनी चाहिए


बता दें कि बुधवार को एस जयशंकर ने यह कहा है कि वैश्विक समुदाय को खुश करने के बजाय भारत को अपनी अस्मिता में विश्वास के आधार पर ही विश्व के साथ बातचीत करनी चाहिए।

स्क्रीन पर रूस के हमले का विरोध करने के लिए भी भारत पर पश्चिमी देशों के बढ़ते दबाव के बीच ही विदेश मंत्री ने यह कहा है कि भारत की विदेशी नीति को प्रदर्शित करते हुए ‘रायसीना डायलॉग’ में कहा कि देश को इस विचार के पीछे छोड़ने की जरूरत है कि उसे अन्य देशों की मंजूरी की भी जरूरत है।

एस जयशंकर ने बताया


डॉ एस जयशंकर ने यह भी कहा कि हमें इस बारे में अस्वास्थ्य हैं कि हम कौन हैं। मुझे यह लगता है कि दुनिया जैसी भी है उसे उसी के रूप में खुश करने की वजह हम जो हैं उसी आधार पर विश्व से बातचीत करने की जरूरत है। ये विचार जिसे हमारे लिए अन्य भाषित करते हैं कि कहीं ना कहीं हमें अन्य वर्गों की मंजूरी की भी जरूरत है। मुझे यह लगता है कि उस युग को हमें पीछे छोड़ देने की भी जरूरत है।

एस जयशंकर ने आगे कहा…


बता दें कि भारत की आजादी के बाद से देश के 75 वर्ष के सफर तथा आगे की राह के बारे में एस जयशंकर ने यह कहा है कि हमें विश्व को अधिकार की भावना से नहीं देखना चाहिए। विश्व में हमें अपनी जगह बनाने की जरूरत है। इसलिए हमें इस मुद्दे पर आना चाहिए कि भारत के विकास करने से विश्व को क्या लाभ होगा। हमें उस को प्रदर्शित करने की भी जरूरत है।

The India Way (The India Way)

क्या होनी चाहिए 25 सालों में देश की प्राथमिकता ??


देश की 25 सालों में प्राथमिकता क्या होनी चाहिए? इस बारे में भी पूछे जाने पर एस जयशंकर ने यह कहा है कि प्रत्येक क्षेत्र में क्षमता निर्माण पर मुख्य जोर होना चाहिए। यूक्रेन संकट का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने यह कहा है कि संघर्ष से निपटने का सर्वश्रेष्ठ तरीका लड़ाई रोकने तथा वार्ता करने पर जोर देना होगा। इसके साथ ही संकट पर भारत का रुख इस प्रकार की किसी पहल को आगे बढ़ाना है।

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जयशंकर ने भारत की आलोचना किए जाने पर विरोध करते हुए कहा


जयशंकर ने यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई पर भी भारत के रुख की आलोचना किए जाने पर मंगलवार के दिन विरोध करते हुए यह कहा था कि पश्चिमी शक्तियां अफगानिस्तान में हुए घटना कम सहित एशिया की मुख्य चुनौतियों से बेपरवाह रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि हमने यूक्रेन मुद्दे पर कर ले काफी वक्त बिताया तथा मैंने ना सिर्फ यह विस्तार से बताने की कोशिश की कि हमारे विचार क्या है?

बल्कि ये भी स्पष्ट किया कि हमें यह लगता है कि आगे की सर्वश्रेष्ठ का लड़ाई रोकने तथा वार्ता करने एवं आगे बढ़ने के रास्ते तलाशने पर जोर देना होगा। हमें यह भी लगता है कि हमारी सोच हमारा रुक उस दिशा में आगे बढ़ने का सही तरीका है।

वार्ता एवं कूटनीति के जरिए संघर्ष का समाधान करने की अपील की



गौरतलब है कि भारत ने यूक्रेन पर किए गए रूसी हमले की अभी तक सार्वजनिक रूप से निंदा नहीं की है तथा वार्ता और कूटनीति के जरिए संघर्ष का समाधान करने की अपील भी करता रहा है। एस जयशंकर ने अपने संबोधन में भारत की आजादी के 75 साल के सफर के बारे में चर्चा की तथा इस बात को भी रेखांकित किया कि देश ने दक्षिण एशिया में लोकतंत्र को बढ़ावा देने में किस प्रकार की भूमिका निभाई है।


बता दें कि एस जयशंकर को बड़ी मजबूती से भारत का पक्ष अंतरराष्ट्रीय मंच पर रखते हुए हमेशा देखा जाता है। इसी क्रम में वो अपनी किताब “The India Way” में भी उन्होंने यह बताया है कि वह एक बदलती दुनिया में भारत की भूमिका को कैसे देखते हैं तथा कैसे देखना चाहते हैं कि दुनिया भारत को देखें।

क्या है किताब “The India Way” में


गौरतलब है कि यह किताब The India Way में “कृष्ण की पसंद: एक उभरती हुई शक्ति की सामरिक संस्कृति” नामक एक चैप्टर है जहां पर जयशंकर यह बताते हैं कि भारत को अपनी रणनीतियां तथा लक्ष्यों को समझने के लिए एवं दुनिया को भारत को समझाने के लिए महाभारत का अध्ययन करना जरूरी है। यह चैप्टर गोएथे के एक उद्धरण से स्टार्ट होता है जो यह कहता है कि एक राष्ट्र जो अपने अतीत का सम्मान नहीं करता है उसका कोई भी भविष्य नहीं है।

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