Taj Mahal: उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में स्थित ताजमहल का नाम शुमार विश्व के सात अजूबों में होता है। ये ऐतिहासिक इमारत पूरे विश्व में अपनी खास तरह की खूबसूरती के लिए फेमस हो। इसकी बेमिसाल खूबसूरती का दीदार करने के दुनिया के हर देश से लोग यहां आते हैं। ताजमहल में जड़ित सफेद मार्बल इसकी खूबसूरती में भी चार चांद लगाते हैं। साथ ही चांदनी रात का ताजमहल का नजारा कुछ ऐसा होता है कि बंदा उसके सहर में कहीं खो ही जाता है।
चांदनी रात में जब चांद की रोशनी Taj Mahal पर पड़ती है तो यह पूरी तरह से चमक उठता है। लेकिन क्या आपने कभी भी इस बात पर गौर किया है कि ताजमहल को बनाने के लिए शाहजहां ने सफेद मार्बल को ही क्यों पसंद किया? अगर नहीं, तो चलिए आज आपको यहां बता रहे हैं कि इस ऐतिहासिक धरोहर को बनाने के लिए मकराना के सफेद मार्बल का इस्तेमाल किया गया है और इसके पीछे भी वजह भी ताज की तरह ही बेहद खास है।
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एक रिपोर्ट के अनुसार, Taj Mahal की बनावट में इस्तेमाल किए गए सफेद मार्बल का बहुत ही खास महत्व है। इस इमारत जिस दौर में निर्मित किया गया था, उस वक्त सफेद पत्थरों का इस्तेमाल सिर्फ चुनिंदा इमारतें बनाने के लिए ही होता था। इसके अलावा मुगल काल के दौरान किसी भी महल और इमारत की अपनी एक अनोखी खासियत होती थी। ऐसा भी कहा जाता है कि मुगल काल में किसी भी महल और इमारत को बनाने के लिए दो तरह के पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता था।
इसमें लाल और सफेद दो प्रकार के पत्थर शामिल थे। उस समय लाल पत्थरों का इस्तेमाल महलों और इमारतों को बनाने में किया जाता था, लेकिन सफेद पत्थर का इस्तेमाल सिर्फ चुनिंदा जगहों के लिए ही किया जाता था।
Taj Mahal सफेद मार्बलों को पवित्र स्थानों के निर्माण के लिए बहुत ही सावधानी से संभालकर रखा जाता था। इन सफेद मार्बल्स से मात्र मशहूर हस्तियों के मकबरे, कब्र या समाधि ही बनाए जाते थे। यही सबसे बड़ी वजह है कि ताजमहल को बनवाने के लिए सफेद मार्बल ही इस्तेमाल में लाए गए।
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इस मार्बल की एक अन्य खासियत और भी है। वह ये है कि समय-समय पर ताजमहल का रंग बदलता रहता है। मार्बल तो सफेद ही है, लेकिन ताजमहल कई बार अलग-अलग रंगों में नजर आता है। जैसे सुबह सवेरे जब सूरज की किरणें इस पर पड़ती हैं, तब यह गुलाबी नजर रंग का नजर आता है। वहीं, दिन यह भर यह सफेद दिखता है और रात के समय चंद्रमा की रोशनी में यह सुनहरे रंग का दिखाई देता है।