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India के 55 हजार वर्ष पुराने एक ऐसे समुदाय की कहानी, जहां गोरा बच्चा पैदा होने के साथ ही मिलती है मौत की सजा

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India: वैसे तो मानव सभ्यता का इतिहास कई हजार साल पुराना है। पाषाण युग से लेकर आज के आधुनिक युग तक मानव जाति में कई परिवर्तन भी हुए। लेकिन आज भी दुनिया में कई जनजातियां (Tribes) ऐसे ही हैं। जो कि विकास के इस दौड़ में कहीं पीछे रह गई हैं। ठीक ऐसी ही एक जनजाति है जो भारत सुदूर अंडमान निकोबार में वास करती हैं। इस जनजाति का नाम जारवा है।

जारवा जनजाति को लेकर यह कहा जाता है कि यह लगभग 55 हजार वर्षों से इसी आयरलैंड पर रहती हैं। चूंकि अब यह जनजाति बहुत तेजी से विलुप्त होने की तरफ बढ़ रही है। जानकारी के अनुसार अब इस जनजाति में महज 380 लोग ही शेष बचे हैं। जो आज भी आदिमानव काल में जी रहे हैं। इसी जनजाति के लोग आज भी पेट भरने के लिए शिकार पर डिपेंड रहते हैं।

आज भी यह जनजाति धनुष-बाण के जरिए शिकार करते हैं



आपको जानकर हैरानी होगी कि इस जनजाति के लोग आज के रॉकेट साइंस के युग में भी धनुष बाण के जरिए ही शिकार करते हैं। जारवा जनजाति से जुड़ी ऐसी ही कई दिलचस्प बातें हैं जो सुनने वाले को हैरत में डाल देती हैं। जारवा जनजाति के बारे में ऐसी अनेक हैरतअंगेज बातों में से एक है जो सबसे ज्यादा प्रचलित बात है। वह यह है कि इसमें सुंदर बच्चे के जन्म पर मौत की सजा दी जाती है।

India जनजाति 55 हजार साल पुरानी


पूरी दुनिया में ऐसी कई जनजातियां है। जिन्होंने अपना रहन सहन दुनिया के साथ ही बदल लिया है। लेकिन अंडमान एवं निकोबार आईलैंड पर रहने वाले जारवा जनजाति के लोग आज के समय में भी पुराने दौर में ही जी रहे हैं। रिपोर्ट्स की माने तो यह जनजातियां बीते 55 सालों से इसी आइसलैंड पर रहती हैं तथा अब तक की सबसे प्राचीन जनजातियां मानी जाती हैं। अफ्रीका महाद्वीप का नेटिव कहलाने वाली यह जनजाति लंबे वक्त से India महासागर की टापू पर रह रही है।

बच्चे का गोरा होना क्यों मना है?



जारवा जनजाति की कोई भी महिला यदि गोरे बच्चे को जन्म देती है। तो उसे जन्म लेते ही मार दिया जाता है। जारवा जनजाति में यह प्रथा शुरुआत से ही चली आ रही है। इस तरह की दर्दनाक प्रथा के पीछे की वजह यह है कि इस जनजाति के लोग डार्क स्किन के होते हैं। ऐसी में कोई भी महिला अगर गोरे या फिर सुंदर बच्चे को जन्म देती है। तो उसे किसी अन्य जनजाति या फिर समुदाय की निशानी माना जाता है। लिहाजा उसे पैदा होते ही मार दिया जाता है।

सिर्फ यही नहीं जब कभी भी इस जनजाति में किसी बच्चे का जन्म होता है। तो कबीले की सारी महिलाएं नवजात को अपना स्तनपान करवाती हैं। जारवा जनजाति के लोगों का यह मानना है कि ऐसा करने से कबीले में एकता बढ़ती हैं।

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काला बच्चा पैदा करने के लिए यह काम किया जाता है


जावरा जनजाति में गोरा बच्चा पैदा होने के साथ ही मार दिया जाता है। इस कबीले की महिलाओं के लिए यह अति आवश्यक हो जाता है कि वह केवल काले बच्चों को ही जन्म दें। आपको जानकर बहुत ही हैरानी होगी, कि इस कबीले की गर्भवती महिलाओं को जानवरों का खून पिलाया जाता है।

जावरा जनजाति के लोगों का यह मानना है कि गर्भवती महिला को जानवर का खून पिलाने से काला बच्चा ही पैदा होता है। हालांकि बच्चे से जुड़े ही एक अन्य हैरान करने वाली प्रथा यह है कि अगर बच्चा गोरा पैदा होता है तो उसके पिता ही उसे मार डालते हैं। वहीं पर महिलाओं के विधवा होने पर भी बच्चे को मार दिया जाता है। यह जनजाति आज भी अन्य लोगों से घुले नहीं है। ऐसे में टूरिज्म के ऊपर इनसे मिलने को लेकर बैन है। इसके साथ ही साथ इनकी तस्वीर लेना या फिर वीडियो ऑनलाइन पोस्ट करना गैरकानूनी है।




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