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सेंटीलीज द्वीप की खतरनाक जनजाति

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सेंटीलीज द्वीप भारत की मुख्य भूमि के पूर्व में स्थित भारत के द्वीप अंडमान निकोबार दीप समूह में शामिल है। यहां 572 द्वीप हैं। इन द्वीपों में सिर्फ 36 या 37 द्वीपों में ही जन- जीवन संभव है। इस द्वीप पर खतरनाक जनजाति पायी जाती हैं।

भारत के केंद्र शासित प्रदेश अंडमान निकोबार दीप समूह में एक छोटा सा सेंटिलीज द्वीप है ।

सेंट एलीज द्वीप 59.67 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। सेंट्रल इस द्वीप पर खतरनाक जनजाति पाई जाती है जिसका कोई बाहरी दुनिया से संबंध नहीं है और यह जनजाति आज भी आदिमानव की तरह जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इस जनजाति को अफ्रीका की जनजातियों के वंशजों से जोड़ा जाता है। 1967 – 1991 के बीच भारत सरकार ने इन जनजातियों को मुख्यधारा समाज से जोड़ने के प्रयास किए लेकिन सभी प्रयास असफल रहे।

जब हिंद महासागर में सुनामी आई तो भारत सरकार ने सेंटिलीज द्वीप पर रहने वाली जनजाति के लिए हेलीकॉप्टर्स भेजें लेकिन इन जनजातियों ने हेलीकॉप्टर पर ही हमला कर दिया। इससे साफ पता चलता है कि वह बाहरी दुनिया से बिल्कुल प्रभावित नहीं है और उन्हें किसी भी तरह की सहायता की जरूरत नहीं है वह जैसे मैं हैं वैसे में खुश हैं। बिना सहायता दिये अपनी जान बचाकर पायलट को वापस लौटना पड़ा था।

सेंटिलीज जनजाति द्वारा किया गया आक्रमण

1997 में भारत सरकार ने 47 द्वीपों प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर दिया था। इस द्वीप पर प्रतिबंध लगाने का कारण जनजाति का संरक्षण और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली है ।बाहरी दुनिया की बीमारियों को यह जनजाति झेल नहीं पाती है और इनकी मृत्यु तक हो जाती है।लेकिन 2018 में भारत सरकार ने टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए इन द्वीपों पर जाने की इजाजत दे दी।

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार यहां 8 से 10 घर होने की पुष्टि की गई है लेकिन रहने वालों की संख्या 50 से 150 लोगों की है।भारत की कुल जनसंख्या में 8.6% की हिस्सेदारी आदिवासी जनजाति की है जिसकी कुल संख्या 10.43 करोड़ है। इस द्वीप पर जो भी जाता है यह लोग उन्हें मार देते हैं क्योंकि यह जनजाति बाहरी लोगों को अपने अस्तित्व पर खतरा समझते हैं। अमेरिका के एक ईसाई धर्म प्रचारक को इस जनजाति में अपने तीर निशाना बना दिया और मौत के घाट उतार दिया था।

संविधान के द्वारा भारत में रहने वाली जनजातियों को अनुच्छेद 46 के तहत अधिकार दिए गए हैं जिसमें सामाजिक न्याय ,शिक्षा ,शोषण जैसे कई महत्वपूर्ण विषय शामिल किए गए हैं ताकि इन जनजातियों पर किसी प्रकार का कोई अत्याचार और अन्याय ना कर सके।

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