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Punjab Kesari Lala Lajpat Rai: लाला लाजपत राय गरम दल के नेता थे । भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु, सुखदेव आदि सभी लाला लाजपत राय से ही प्रेरित है । एक महान स्वतंत्रता सेनानी जिसने देश के 1905 के स्वदेशी आंदोलन और निष्क्रिय प्रतिरोध को मजबूत बनाने में लाला लाजपत राय का महत्वपूर्ण योगदान रहा। लाला लाजपत राय जी का जन्म 28 जनवरी को सन् 1865 में पंजाब के मोगा नामक स्थान पर हुआ था । इनकी शिक्षा रेवारी और लाहौर में पूर्ण हुई।इन्होंने अपनी कानूनी पढ़ाई को पंजाब विश्वविद्यालय से पूरा किया और इसके बाद 1883 में वकालत की प्रैक्टिस करने में लग गए। तब उस समय उनकी उम्र 18 वर्ष की थी। इन्होंने पंजाब नेशनल बैंक का गठन किया। दयाल सिंह पीएनबी के पहले चेयरमैन थे और लाला जी एक मशहूर वकील थे।
Punjab Kesari Lala Lajpat Rai ने आर्य समाज आंदोलन को मजबूती देने में पुरजोर भूमिका निभाई जो कि 19वीं शताब्दी में दयानंद सरस्वती ने इस आंदोलन की स्थापना की थी। इसके अलावा लाला लाजपत राय लाहौर में दयानंद एंग्लो वैदिक स्कूल की स्थापना भी की थी । कई इतिहासकारों ने यहां तक कहा है कि जो स्वाधीनता के पुजारी हैं जिन्होंने राष्ट्रवाद के जो आदर्शों की रचना की थी वही गांधीजी के सविनय अवज्ञा आंदोलन पूर्वज हैं। सन 1897 में हमारी स्वतंत्रता सेनानी Punjab Kesari Lala Lajpat Rai ने हिंदू दिल्ली मूवमेंट की स्थापना की थी। लाला लाला लाला लाजपत राय ने दुर्भिक्ष के शिकार लोगों की बहुत मदद की। इन्होंने 1888 में प्रयाग में कांग्रेस की मीटिंग ज्वाइन की और 1905 में कांग्रेस के बड़े नेता बने। फिर उन्हें गोपाल कृष्ण गोखले के साथ बंगाल के बंटवारे के खिलाफत में इंग्लैंड भेजा गया तो इसके बाद उनका अंग्रेजों के प्रति नजरिया बदल गया । उन्होंने देशवासियों को कहा कि हमें अंग्रेजों की दया के सहारे नहीं रहना चाहिए । हमें अपने लक्ष्य को खुद ही बनाना चाहिए। वह एक कुशल वक्ता थे ।
1960 में उन्हें कठोर कारावास की सजा मिली । यह जितने अच्छे वक्ता थे उससे कई ज्यादा अच्छे लेखक भी थे। इन्होंने सेल्फ डिटरमिनेशन फॉर इंडिया ,अनहैप्पी इंडिया ,इंग्लैंड टू इंडिया जैसी किताबों को लिखा। लाला हमेशा गरीबों की मदद के लिए तत्पर रहते थे ।यह पूंजीवाद के बिलकुल खिलाफ थे। लालाजी ने कोलोनाइजेसन बिल का भी विरोध किया था। कोलोनाइजेसन जिसके अनुसार जिसका कोई बारिश ना हो उसकी संपत्ति और घर का सरकारी हो जाने का नियम बनाया जाना था । इसके विरोध करने पर उन्हें 6 महीने के लिए बाहर रहने की सजा दी गई। उनकी देशभक्ति के कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ा था ।जेल भी जाना पड़ा ।
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इन्होंने चितरंजन दास तथा मोतीलाल नेहरू की पार्टी ज्वाइन की और चुनाव जीत गए। अंग्रेजों द्वारा साइमन कमीशन का गठन हो गया था । जिसका भारत वासियों ने जमकर विरोध किया क्योंकि इसमें अंग्रेजों के अलावा कोई भारतवासी नहीं था। लाला लाजपत राय ने इसका विरोध किया और फिर 30 अक्टूबर 1928 को साइमन कमीशन जब लाहौर पहुंचा तब लाला लाजपत राय की अगुवाई में इसका जमकर विरोध किया गया । साइमन कमीशन को काले झंडे दिखाए गए और साइमन कमीशन वापस जाओ के नारे लगाए गए। इस विरोध को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया और भीड़ को हटाने के लिए लाठीचार्ज का आदेश दे दिया गया। विरोध कर रही भीड़ पर लाठीचार्ज करने का आदेश सांडर्स ने दिया और जॉर्ज स्टॉर्क ने लाठीचार्ज की। लाला लाजपत राय इस विरोध को लीड कर रहे थे । वह सबसे आगे खड़े थे और नारेबाजी कर रहे थे। तभी स्टॉर्क ने लाला लाजपत राय के सिर पर एक के बाद एक प्रहार किया। लाला लाजपत राय हटे नहीं । उन्होंने कहा कि ” मेरे सिर पर लाठी का एक एक बार अंग्रेजों की संदूक में कील साबित होगा” और उन्हें गंभीर चोटें आई। 17 नवंबर 1928 में उनका निधन हो गया ।लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु, सुखदेव आदि ने लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिए योजना बनाई और सांडर्स की गोली मारकर हत्या कर दी।
Punjab Kesari Lala Lajpat Rai ने बाल गंगाधर तिलक के साथ राष्ट्रीय शिक्षा का विचार किया और आगे बढ़ाया शिक्षा के विचार पर और ज्यादा मजबूती अरविंदो घोष द्वारा की दी गई। फिर लालाजी ने लाहौर में नेशनल कॉलेज का गठन किया जिसमें भगत सिंह ने पढ़ाई की।