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Sansad TV Launch: संसदीय व्यवस्था एक और अहम अध्याय जुड़ा

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बुधवार को प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद में सिर्फ राजनीति नहीं होती है। बल्कि नीति भी होती है। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू व लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के साथ संयुक्त रूप से सांसद टीवी लॉन्च करने के बाद बताया कि देश को संस्कृत टीवी के रूप में संचार व संवाद का एक और माध्यम मिला है। जो लोकतंत्र व जनप्रतिनिधियों की नई आवाज के रूप में काम करेगा। प्रधानमंत्री ने बताया कि तेजी से बदलते समय में मीडिया तथा टीवी चैनलों की भूमिका बहुत ही तेजी से बदल रही है। विशेष रूप से संचार व संवाद के जरिए 21वीं सदी तो क्रांति ला रही है। चूंकि ऐसे में स्वाभविक हो जाता है कि इन आधुनिक व्यवस्था के हिसाब से संसद से जुड़े चैनल भी खुद को बदलें। हालांकि मुझे बेहद खुशी हो रही है कि आज संसद टीवी के तौर पर एक नई शुरुआत हो रही है। यह अपने नए अवतार में सोशल मीडिया व ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भी रहेगा। इसका एक अपना ऐप भी होगा। अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि जब लोकतंत्र की बात होती है। तब भारत की जिम्मेदारियां कहीं ज्यादा बढ़ जाती हैं, क्योंकि लोकतंत्र की जननी भारत है। उन्होंने बताया कि भारत के लिए लोकतंत्र केवल एक व्यवस्था ही नहीं है बल्कि एक विचार भी है। भारत में लोकतंत्र सिर्फ संवैधानिक ढांचा नहीं है बल्कि एक भावना भी है। भारत में तो लोकतंत्र संविधान की धाराओं का संग्रह ही नहीं, बल्कि यह तो हमारी जीवनधारा है। संसद में टीवी का लांच होना अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस के दिन अपने आप में ही बहुत ही प्रसांगिक हो जाता है।

टीवी के सीईओ रवि कपूर होंगे

लोक सभा टीवी और राज्यसभा टीवी के विलय का फरवरी 2021 में निर्णय लिया गया था। तथा टीवी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति मार्च 2021 में की गई। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी व कपड़ा मंत्रालय के पूर्व सचिव रवि कपूर संसद टीवी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। हालांकि लोकसभा सचिवालय में संयुक्त सचिव मनोज और अरोड़ा इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। असम-मेघालय कैडर के 1986 बैच के रवि कपूर आईएएस अधिकारी रहे हैं। जल्दी में उन्हें एक साल के लिए यह जिम्मेदारी सौंपी गया है। कई मंत्रालयों में रवि कपूर काम कर चुके हैं।

पीएम मोदी: नई आवाज की तरह में काम करेगा

प्रधानमंत्री मोदी ने लांन्चिंग के बाद बताया कि यह दिन हमारी संसदीय व्यवस्था में एक और महत्वपूर्ण अध्याय को जोड़ रहा है। बदलते समय के साथ मीडिया व टीवी चैनल की भी भूमिका तेजी से बदल रही है। ऐसे में स्वाभाविक सी बात है कि हमारी संसद से जुड़े आधुनिक व्यवस्थाओं के हिसाब से खुद को चेंज कर सके।

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