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जानिये : करी पत्ता के नाम से हो रही थी गांजे की तस्करी, कैसे पकडे आरोपी।

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कई बार ऐसा हो चुका है कि ऑनलाइन शॉपिंग में मंगाते कुछ और आ जाता कुछ है। कभी ऑनलाइन शॉपिंग में जो क्वालिटी फोटो में दिखाई जाती है। वह असल में नहीं होती है। कभी सामान के डिब्बे में कंकड़- पत्थर या अन्य चीजें भरी होती हैं। और इस प्रकार ग्राहक को बेवकूफ बनाया जाता है।

अमेजॉन कंपनी पर जांच की आंच :-

कंपनी की होगी जांच

मामला यह है कि ऑनलाइन शॉपिंग के जरिए करी पत्ता के नाम से गांजे की तस्करी की जा रही थी। यह तस्करी विशाखापट्टनम से मध्य प्रदेश कराई गई थी। इस मामले में दो लोगों को हिरासत में लिया गया है। जिनका नाम सूरज उर्फ कल्लू जो कि ग्वालियर का निवासी है। और दूसरे का नाम पिंटू उर्फ बृजेंद्र सिंह तोमर है । यह भिंड जिले का निवासी है। इन दोनों आरोपियों ने बताया कि कारोबार के लेनदेन का 66% से ज्यादा हिस्सा अमेजन कंपनी के पास जाता है। इससे अमेजन कंपनी पर भी जांच की आंच आ गई है। इससे मामले का सरगना सूरज पवैया है। जिसने गुजरात स्थित कपड़े की कंपनी का इस्तेमाल करके अपने आपको अमेज़न पर हर्बल उत्पादों और करी पत्ता के विक्रेता के रूप में रजिस्ट्रेशन कराया था। इस तरह सूरज पवैया को अमेजन का बारकोड उपयोग करने की इजाजत मिल गई ।इस तरह सूरज पवैया करी पत्ता के नाम पर गांजे की ऑनलाइन तस्करी कर रहा था।

एक टन गांजे की कीमत 1करोड 10 लाख :-

करी पत्ता के नाम पर कर रहे थे गांजे की तस्करी

दो आरोपी जो ग्वालियर और भिंड से हैं। उन्होंने बताया कि बीते 4 महीनों से एक ही ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करके लगभग 1 टन प्रतिबंधित मादक पदार्थ मंगाया गया है। इसकी कीमत लगभग यह तो 1 करोड़ 10 लाख रुपए आंकी गई है। पूछताछ में दोनों आरोपियों ने एक सहयोगी का भी खुलासा किया जो हरिद्वार से पकड़ा लिया गया है । इन सभी ने मिलकर करी पत्ते का टैग लगा कर गांजे की भारत के कई स्थानों में तस्करी की है। इनमें आंध्र प्रदेश, ग्वालियर, भोपाल कोटा, आगरा एवं अन्य जिले शामिल है।

मुखबिर की सहायता से पुलिस आरोपियों तक पहुंच पाई है। और करी पत्ता की टैग से गांजे की तस्करी पर नियंत्रण पाया है।

……………………………समाप्त ………………………..

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