Non Veg: भारत के लोगों को शाकाहारी तथा मांसाहारी में से किस प्रकार का भोजन करना चाहिए इसको लेकर वर्षों से बहस चली आ रही है। पिछले कुछ दिनों से देश में खास अवसरों पर नानवेज भोजन को लेकर विवाद ने तूल पकड़ना शुरू कर दिया है। भारत में नवरात्र के समय कई संगठन नॉनवेज की बिक्री तथा उसकी सेवन पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं।
अभी हाल ही में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों में यह दावा किया गया है कि देश के 16 राज्यों में करीब 90 प्रतिशत लोग नॉनवेज भोजन का सेवन करते हैं। किसी भी व्यक्ति को शाकाहारी होना चाहिए या फिर मांसाहारी यह उसका निजी मसला है। दोनों के अपने-अपने फायदे तथा नुकसान हैं।
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आपको बता दें कि कुछ वक्त पहले पूरी दुनिया के विशेषज्ञों द्वारा Non Veg भोजन के सेवन को लेकर एक रिसर्च की गई। जिसमें एक चौंकाने वाला दावा भी किया गया है कि आने वाली पीढ़ियों को जीवित रखने के लिए हमें अपने खानपान की आदतों में बदलाव करना जरूरी होगा। रिसर्च मियां बताया गया है कि इसका सीधा संबंध मांसाहार को छोड़कर शाकाहार अपनाने को लेकर है। भारत में जिस तरह से नॉन वेज भोजन का सेवन करने वालों की संख्या बढ़ी है यह देश के लिहाज से ठीक नहीं है।
रिसर्च में यह दावा किया गया है कि धरती को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाला भोजन बीफ है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मवेशी केवल धरती को गर्म करने वाली मिथेन गैस की मात्रा बढ़ाते हैं। बल्कि उनकी वजह कार्बन सोखने वाले जंगलों को भी नुकसान हो रहा है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 1 किलो मांस के लिए जितने संसाधनों का उपयोग किया जाता है उतने में 5 किलो अनाज पैदा हो सकता है। वहीं पर लोगों की प्लेट में आने वाले मांस का 30 प्रतिशत हिस्सा कूड़े में चला जाता है। जबकि अनाज के साथ ऐसा नहीं होता है।
भारत में जिस प्रकार से मांसाहार का सेवन करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। यह लोगों को कई गंभीर बीमारियों के चपेट में ले रहा है। देश में कुछ वक्त से कैंसर जैसी घातक बीमारी तेजी से अपने पैर पसार रही हैं। एक रिपोर्ट में यह दावा किया जा रहा है कि नॉनवेज खाने वालों की तुलना में शाकाहारी ओं में कैंसर का खतरा बहुत ज्यादा कम होता है। एक्सपर्ट का यह मानना है कि शाकाहारी खाने से न केवल कोलोरेक्टल या फिर अन्य गैस्ट्रो आज बल्कि हर एक प्रकार का कैंसर का खतरा कम होता है। वहीं पर वेजिटेरियन भोजन हर प्रकार के कैंसर को 10 से 12 प्रतिशत तक कम कर देता है।
एक रिसर्च के मुताबिक मांसाहार वाला भोजन रोजाना 7.2 किग्रा कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन की वजह बनता है। वहीं पर इसके विपरीत शाकाहारी भोजन से मात्र 2.9 किग्रा कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। जो हमारे पर्यावरण तथा सेहत दोनों के लिए ही बेहतर है।
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गौरतलब है कि भारत में ना केवल Non Veg का सेवन करने वालों की एक बड़ी संख्या है। बल्कि यह बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान करता है। भारत में यदि मांसाहार को बंद कर दिया जाता है। तो देश में बेरोजगारों की एक बड़ी फौज खड़ी हो जाएगी, क्योंकि भारत में इसके व्यापार से कई लोगों की रोजी-रोटी भी चलती है। अगर विशेषज्ञों की मानें तो मांसाहार से शाकाहार की तरफ जाने से पहले हमें देश में रोजगार के नए विकल्प को तलाश लेना चाहिए।