NewsClick row: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 3 अक्टूबर को प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती को गिरफ्तार किया था.
दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को न्यूज़क्लिक (NewsClick row) के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और उसके मानव संसाधन विभाग के प्रमुख अमित चक्रवर्ती को आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज एक मामले में 1 दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि समाचार पोर्टल को चीन समर्थक प्रचार फैलाने के लिए फंड मिला था।
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दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में पूछताछ का समय बीत जाने उन्हें पर अदालत में पेश किया गया था। उस बाद विशेष न्यायाधीश हरदीप कौर ने प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती को जेल भेज दिया था। अदालत ने उनके वकील अर्शदीप सिंह खुराना की दलील को खारिज करते हुए 25 अक्टूबर को शहर पुलिस को दूसरी बार उनकी रिमांड दी थी।
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दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 3 अक्टूबर को पुरकायस्थ और चक्रवर्ती को गिरफ्तार किया था। उन्हें पहले 10 अक्टूबर को न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। हालाँकि, पुलिस ने 25 अक्टूबर को उनसे दोबारा हिरासत में पूछताछ करने की मांग की हुई थी।
एफआईआर के मुताबिक, न्यूज पोर्टल (Prabir Purkayastha and Amit Chakraborty) को ” देश की संप्रभुता बाधित करने के लिए और असंतोष पैदा करने के लिए बड़ी मात्रा में चीन से फंड दिया गया था।
इसके साथ ही आरोप लगाया गया है कि पुरकायस्थ ने 2019 के लोकसभा चुनावों में चुनावी प्रक्रिया बाधित करने के लिए एक ग्रुप – पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज्म (पीएडीएस) के साथ मिलकर साजिश भी रची थी।
इस बारे में पुलिस ने कहा कि एफआईआर में नामित संदिग्धों और डेटा के विश्लेषण में सामने आए संदिग्धों पर 3 अक्टूबर को दिल्ली में 88 और अन्य राज्यों में सात स्थानों पर छापे मारे गए थे
न्यूज़क्लिक के कार्यालयों और जिन पत्रकारों की जांच की गई उनके पास से तकरीबन 300 इलेक्ट्रॉनिक गैजेट भी बरामद किए गए।
छापेमारी के बाद दिल्ली और एनसीआर में स्पेशल सेल ने नौ महिला जर्नलिस्ट समेत 46 लोगों से इस सिलसिले में पूछताछ भी की थी।
NewsClick row, विभिन्न पत्रकार संगठनों और सिविल राइट्स एक्टिविस्ट्स द्वारा दिल्ली पुलिस की छापेमारी और पत्रकारों को हिरासत में लेकर पूछताछ का कड़ा विरोध किया गया और इसे प्रेस की स्वतंत्रता का सरासर हनन बताया था। इस कड़ी में जंतर मंतर एव प्रेस क्लब ऑफ़ इण्डिया में प्रदर्शन हुए थे। पत्रकारों ने दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार की कार्रवाई को अनुचित और दमनात्मक बताते हुए न्यूज पोर्टल के विरुद्ध दर्ज मुकदमे को वापस लेने की मांग की थी।