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भारत के तीन हिस्सों को Nepal में मिलाएंगे चुनाव जीता तो, नेपाल के पूर्व पीएम ओली का भड़काऊ बयान…

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Nepal: अपने विवादित बयानों के लिए कुख्यात नेपाल के पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली ने भारत को लेकर एक बार फिर भड़काऊ बयान दिया है एवं उन्होंने यह भी कहा है कि अगर वह सत्ता में वापसी करते हैं। तो भारत के तीन हिस्सों को वापस नेपाल में मिला देंगे। नेपाल के पूर्व पीएम का इशारा कालापानी, लिपुलेख तथा लिम्पियाधुरा को लेकर था। जिसको केपी शर्मा ओली के शासनकाल में नेपाल की ओर से विवादित बनाया गया था तथा नेपाल ने भी जो अपना नया नक्शा जारी किया था। उसमें भी इन तीनों इलाके को नेपाल का ही हिस्सा बताया गया था।

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विवादित बयान केपी शर्मा ओली का

Nepal मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार Nepal के पूर्व पीएम के पी शर्मा ओली ने शुक्रवार को यह कहा कि, अगर उनकी पार्टी 20 नवंबर को होने वाली संसदीय चुनाव में सत्ता में लौटती है। तो वो भारत द्वारा दावा किए गए हिमालयी राष्ट्र के क्षेत्रों को एक बार फिर से नेपाल में मिलाने का काम करेगी। केपी शर्मा ने यह बयान उस समय दिया है। जब वह नेपाल के दूर वाले क्षेत्र दारचुला जिले से अपनी पार्टी के लिए देशव्यापी चुनाव कैम्पेन की शुरूआत कर रहे थे तथा यह क्षेत्र भारत-नेपाल सीमा पर ही स्थिति है।

Nepal की कम्युनिस्ट पार्टियों यानी कि नेपाल यूनिफाइड मार्क्सिस्ट-लेननिस्ट पार्टी और सीपीएम-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने यह कहा कि ‘हम अपनी जमीन को वापस लाएंगे। जिसमें कालापानी शामिल तथा लिपुलेक व लिंपियाधुरा भी शामिस होगा।’ 70 वर्ष के हो चुके केपी शर्मा ओली ने यह कहा कि ‘हम अपनी जमीन का एक इंच भी नहीं छोड़ेंगे तथा हम अपने राष्ट्र की रक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।’

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Nepal उकसाता है भारत को

इस बीच, नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष तथा पीएम शेर बहादुर देउबा ने यह कहा है कि कूटनीतिक पहल तथा आपसी संबंधों के आधार पर नेपाल की ‘अतिक्रमित भूमि’ को वापस लाने के प्रयास भी जारी है बता दें कि नेपाल में आम चुनाव को लेकर भी भारत के खिलाफ बयानबाजी शुरू हो गई है तथा इन तीनों क्षेत्रों को लेकर नेपाली नेता आक्रामक बयानबाजी में भी लगे हुए हैं। नेपाल के पीएम देउबा ने अपने चुनावी अभियान की भी शुरुआत करते हुए सुदूर पश्चिम नेपाल में अपने गृह जिले ददेलधुरा में ये टिप्पणी की।

रिपोर्ट के अनुसार केपी शर्मा ओली की टिप्पणी के बाद उनका ये बयान आया है। चुनाव प्रचार को संबोधित करते हुए देउबा ने यह कहा कि कालापानी, लिपुलेख, लिंपियाधुरा तथा अन्य क्षेत्रों के मुद्दों को राजनयिक पहल के माध्यम से ही हल किया जाएगा।

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पूर्व पीएम ने की अपील

दरअसल नेपाल के पूर्व पीएम डॉ. बाबूराम भट्टराई ने केपी शर्मा ओली से कहा है कि वह राष्ट्रीय अखंडता को चुनाव का एजेंडा न बनाएं। उन्होंने यह कहा कि किसी भी पार्टी या फिर व्यक्ति को देश की क्षेत्रीय अखंडता को चुनावी एजेंडा नहीं बनाना चाहिए। पूर्व पीएम भट्टाराई ने ओली का नाम लिए बिना यह ट्वीट किया। पूर्व पीएम भट्टराई ने 1960 के वाकये का हवाला दिया, (जबकि पूर्व राजा महेन्द्र ने चुनी हुई सरकार को भी बर्खास्त कर देश के तमाम राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगा दिया था) उन्होंने हिटलर के अत्याचारों का हवाला देकर यह कहा कि केवल फासीवाद से प्रेरित लोगों ने राष्ट्रवाद को राजनीतिक एजेंडा (Agenda) बनाया है।

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भारत-नेपाल में विवाद कैसे शुरू हुआ?

बता दें कि 8 मई 2020 को उत्तराखंड में भारत सरकार ने लिपुलेख दर्रे को धारचूला से ही जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क का उद्घाटन किया था। जिसके बाद से तत्कालीन नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली के शासनकाल में भारत तथा नेपाल के संबंध तनावपूर्ण हो गये थे। नेपाल ने सड़क के उद्घाटन का विरोध करते हुए यह दावा किया था कि ये सड़क उसके क्षेत्र से होकर गुजरती है। कुछ दिनों बाद से नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी तथा लिंपियाधुरा को अपने क्षेत्रों के रूप में दिखाते हुए एक नया नक्शा भी पेश किया था। जिसको लेकर भारत ने भी अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी थी।

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मानचित्र को मंजूरी दी थी नेपाली संसद ने

बीते वर्ष जून में नेपाल की संसद ने देश के नए राजनीतिक मानचित्र को भी मंजूरी दी थी। जिसमें वह क्षेत्र भी नेपाली मानचित्र में दिखाए गये थे, जो कि भारत के हिस्से हैं। नेपाली संसद की इस कोशिश पर भारत की ओर से भी कड़ी प्रतिक्रिया दी गई तथा उसे नेपाल की “एकतरफा कार्रवाई” कहा भी गया। वहीं पर भारत ने काठमांडू को आगाह किया था कि क्षेत्रीय दावों का ऐसा “कृत्रिम विस्तार” भारत के लिए स्वीकार्य नहीं होगा। वहीं पर उस समय केपी शर्मा ओपी, जोकि नेपाली संसद में मुख्य विपक्षी नेता थे।

उन्होंने भी भारत पर काली नदी के नकली उद्गम स्थल पेश करने का आरोप लगाया था। बता दें कि नेपाल में 20 नवंबर 2022 को एक ही चरण में संघीय संसद तथा प्रांतीय विधानसभाओं के लिए भी चुनाव होंगे। लिहाजा इन दिनों नेपाल में राजनीति आरोप प्रत्यारोप को लेकर माहौल गर्माया हुआ है।

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