Navjot Singh Sidhu: नवजोत सिंह सिद्धू पर सुप्रीम कोर्ट ने बदला अपना फैसला हुई जेल, जानिए क्या है वह मामला

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Navjot Singh Sidhu: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व बल्लेबाज तथा कांग्रेस नेता Navjot Singh Sidhu को रोड रेज के मामले में 1 साल कैद की सजा सुनाई गई। असल में यह मामला 34 वर्ष पुराना है। 27 दिसंबर 1988 को पटियाला में एक विवाद हुआ था। ये विवाद पार्किंग को लेकर था। जब पीड़िता व दो अन्य बैंक से पैसा निकालने के लिए जा रहे थे। तभी सड़क पर जिप्सी देखकर Navjot Singh Sidhu ने उसे हटाने को कहा। यहीं पर बहस बाजी शुरू हो गई। पुलिस का यह आरोप था कि इस दौरान सिद्धू ने पीड़िता के साथ मारपीट की तथा मौके से फरार हो गए। जबकि पीड़िता को अस्पताल ले जाने पर मृत घोषित कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने सजा सुनाई

उस वक्त भारतीय टीम के स्टार खिलाड़ी रहे Navjot Singh Sidhu को Supreme Court ने यह सजा सुनाई है। उस समय 25 वर्ष के नौजवान नवजोत सिंह सिद्धू ने जिस व्यक्ति से मारपीट की थी। वह 65 वर्ष के गुरनाम सिंह से हुआ था। इसी मामले में गठित डॉक्टरों के बोर्ड ने मौत की वजह सिर में चोट तथा कार्डियक कंडीशन बताया था।

3 साल की सजा मिली थी 2006 में

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अजीत सिंह सिद्धू को इसी मामले में 2006 में हाईकोर्ट ने 3 साल की सजा दी थी। सिद्धू तथा एक अन्य को गैर इरादतन हत्या के मामले में दोषी मानते हुए ये सजा मिली थी। उन्होंने इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने सब सिद्धू को मारपीट का दोषी करार देते हुए एक हजार रुपए का जुर्माना लगाया था।

कोर्ट ने अब अपना फैसला बदला

पीड़ित की परिवार की ओर से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थी। जिसकी बात थी कोर्ट ने अपना फैसला बदल कर उन्हें 1 वर्ष की सजा सुनाई है। उन्होंने साल 2004 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता था। उन्हें वर्ष 2009 में भी जीत मिली। जनवरी 2017 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

Navjot Singh Sidhu ट्रायल कोर्ट से बरी हो चुके

वर्ष 2006 में हाईकोर्ट ने बेशक से सिद्धू तथा एक अन्य आरोपी रूपिंदरदर सिंह संधू को 3 साल की सजा सुनाई। लेकिन 1999 में ट्रायल कोर्ट में सुनवाई के दौरान ही दोनों आरोपियों को बरी कर दिया गया था। यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद से वर्ष 2007 में सुनवाई के दौरान कोर्ट में दोनों पक्षों को ठहरने के फैसले पर रोक लगा दी थी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही सिद्ध अमृतसर से विधानसभा का चुनाव लड़ पाए थे।

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सजा बरकरार रखने की मांग पंजाब सरकार ने की थी

पंजाब सरकार की तरफ से उपस्थित वकील सनराम सिंह सरों ने 30 वर्ष पुराने मामले में सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर तथा न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ के समक्ष यह कहा कि साक्षी के मुताबिक सिद्धू द्वारा मुक्का मारने से पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी।

सरकार ने यह कहा कि निचली अदालत का यह निष्कर्ष गलत था कि सिंह की मौत ब्रेन हैमरेज से नहीं बल्कि हृदय गति रुकने से हुई थी। इस ने यह कहा कि इस बारे में एक भी सबूत नहीं है कि जिससे ये पता चल सके कि मौत का कारण दिल का दौरा था कि ब्रेन हैमरेज। पंजाब सरकार के वकील ने क्या कहा कि निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय ने सही निरस्त किया था। आरोपी नवजोत सिंह सिद्धू ने गुरनाम सिंह को मुक्का मारा था जिससे ब्रेन हैमरेज हुआ एवं उसकी मौत हो गई।




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