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जानिए क्यों नागालैंड का अतिसंवेदनशील है मोन जिला, यहां पर सुरक्षाबल बरतते हैं अतिरिक्त सावधानी

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नागालैंड में सुरक्षाबलों की गोलीबारी में 13 मजदूरों की मौत के बाद बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि इस घटना की क्या वजह है। यह घटना जिस मोन जिले में हुई, वो इतना ज्यादा संवेदनशील क्यों हैं। ऐसा क्या है मोन में कि सुरक्षा बल तथा एजेंसीयां अतिरिक्त सतर्कता के साथ वहां पर काम करती हैं। देश के पूर्वोत्तर में स्थित नागालैंड सबसे लंबे समय तक उग्रवादी गतिविधियों से प्रभावित रहा है। राज्य की सबसे उत्तरी क्षेत्र में स्थित मोन जिला अपनी भौगोलिक स्थिति की वजह से काफी ही संवेदनशील माना जाता है। मोन जिला नागालैंड के प्रतिबंधित संगठन एनएससीएन-के (नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल आफ नागालैंड-के) का गढ़ माना जाता है।

इसकी सीमा असम तथा अरुणाचल से लगती

इस इलाके में यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) का भी यहां काफी ज्यादा असर रहता है। दक्षिण पूर्व में मोन जिला पड़ोसी देश म्यांमार से सटा हुआ तथा इसी वजह से यह उग्रवादी गतिविधियों तथा मूवमेंट के लिहाजा से अति संवेदनशील इलाका माना जाता है। उत्तर में इसकी सीमा असम तथा उत्तर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश से लगती है। आपको बता दे कि बहुत लंबे समय से असम भी हिंसक गतिविधियों से प्रभावित रहा है। रविवार की घटना के पीछे की वजह यह बताई जा रही है कि प्रतिबंधित संगठन के सदस्यों में मोमेंट की सूचना सुरक्षाबलो को मिली थी।

तीसरा सबसे बड़ा जिला है।

क्षेत्र के हिसाब से मोन, नागालैंड का तीसरा सबसे बड़ा जिला है। इसकी आबादी लगभग ढाई लाख है जिसमें अधिकांश आदिवासी हैं। इसको कोन्यक नगा का इलाका भी माना जाता है। जिसे टैटू वाले नगा भी कहा जाता है। यह चेहरे तथा शरीर पर टैटू गुदवाते हैं। आज भी कोन्यक कबीलो की तरह एक सरदार या फिर मुखिया के निर्देशन में रहते हैं जिसे अंघ कहा जाता है। प्रत्येक गांव का अपना अंघ होता है तथा छोटे गांव पर पास के बड़े गांव के कोन्यक का वर्चस्व होता है। अगर हम इतिहास में जाए तो 1973 में ट्यूसेंग जिले के एक हिस्से को मोन जिला बनाया गया है। वर्ष 1991 में कुछ और भी गांव तथा क्षेत्रों को मिलाकर मोन जिला का विस्तार किया गया है।

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