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Money Laundering Act: ED को मिले असीमित अधिकार बरकरार, PMLA पर लगी याचिकाओं पर SC ने विपक्ष दलों को दिया तगड़ा झटका

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Money Laundering Act: सुप्रीम कोर्ट ने 241 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा है कि PMLA यानी मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत ED को मिले सभी असीमित अधिकार बरकरार रहेंगे।बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के विभिन्न प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने मनी लॉन्ड्रिंग कानून और ईडी जैसी जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाली 241 याचिकाओं पर अपना फैसला सुना दिया है।

अदालत ने PMLA के तहत ED (प्रवर्तन निदेशालय) को मिले गिरफ्तारी के अधिकार को बरकरार रखते हुए फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध है। इसके लिए समन भेजना सही है। इसके लिए समन भेजना भी सही है। अपराधी पाए जाने पर गिरफ्तारी मनमानी नहीं है।

एक साथ जोडी गई सौ से अधिक याचिकाएं

Money Laundering Act

PMLA के विभिन्न पहलुओं पर सौ से भी अधिक याचिकाओं को एक साथ जोड़ा गया और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने विजय मदनलाल चौधरी v/s यूनियन ऑफ इंडिया केस और 240 याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए विपक्ष को झटका दिया है।
इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती,महाराष्‍ट्र सरकार के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख ने भी ED की गिरफ्तारी, जब्ती और जांच प्रक्रिया को चुनौती दी थी।

Money Laundering Act, SC ने फैसले में क्या कहा

  1. ED (प्रवर्तन निदेशालय) के गिरफ्तारी करने, संपत्ति अटैच करने,सीज करने, रेड डालना और बयान लेने के अधिकार बरकरार रखे गए।
  2. SC ने कहा कि शिकायत ECIR को FIR के बराबर मानना मान्य नहीं है। ये ईडी का इंटरनल डॉक्यूमेंट है।
  3. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि आरोपी को ECIR रिपोर्ट देना जरूरी नहीं है। गिरफ्तारी के दौरान सिर्फ कारण बताना काफी है।
  4. 2018-19 में PMLA में हुए संशोधन क्या फाइनेंस एक्ट के तहत भी किए जा सकते हैं? 7 जजों की बेंच मनी बिल के मामले के तहत इस सवाल पर विचार करेगी।

जानें क्या कहा था याचिका में

इस मामले में दायर की गई याचिका में कहा था किगिरफ्तारी, कुर्की, व जब्ती का अधिकार गैर-संवैधानिक PMLA के तहत गिरफ्तारी, जमानत, संपत्ति की कुर्की या जब्ती करने का अधिकार” क्रिमिनल प्रोसीजर एक्ट” के दायरे से बाहर है। याचिकाओं में यह मांग भी की गई थी कि PMLA के कई प्रावधान गैर संवैधानिक भी हैं, क्योंकि इनमें cognizable अपराध की जांच और ट्रायल के बारे में पूरी प्रोसेस को फॉलो नहीं किया जाता, इसलिए ED (प्रवर्तन निदेशालय) को जांच के समय CrPC का पालन भी करना चाहिए। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी समेत कई वकीलों ने भी इस मामले में अपना पक्ष रखा था

ED के पास 5 साल में 33 लाख केस

Money Laundering Act

Money Laundering Act, इस मामले में कोर्ट में सुनवाई के दौरान ही केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को बताया कि PMLA के तहत 4700 मामलों की जांच की गई है और केवल 313 गिरफ्तारियां ही हुई हैं। सिर्फ 388 केस में ही तलाशी की गई है। ये यूएसए, यूके, चीन, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, हॉन्गकॉन्ग, और रूस की तुलना में बहुत ही कम है।

ED ने पिछले पांच साल में दर्ज 33 लाख केस में से सिर्फ 2186 मामलों को ही जांच करने का फैसला किया है। अब तक ED ने एक लाख करोड़ से अधिक की संपत्ति अटैच की है और 992 मामलों में चार्जशीट दायर की थी।

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PMLA का उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग रोकना

Money Laundering Act

Money Laundering Act, ब्लैक मनी को लीगल इनकम में बदलने को ही मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering Law) कहा है। 2005 में देश में PMLA लागू किया गया। इसका उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना और उससे जुटाई गई प्रॉपर्टी को जब्त करना है। PMLA के तहत दर्ज किए जाने वाले सभी अपराधों की जांच ED (प्रवर्तन निदेशालय) करता है।

क्या है ED?

फाइनेंस मिनिस्ट्री के रेवेन्यू डिपार्टमेंट के तहत आने वाली स्पेशल एजेंसी ED वित्तीय जांच करती है। 1 मई 1956 को ED का गठन किया गया था और 1957 में इसका नाम बदलकर ‘प्रवर्तन निदेशालय’ किया गया।

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