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Matchbox Price Received 2021: अब 14 सालों के बाद बढ़ने जा रहा है माचिस का दाम, इनकी तीलियों की संख्या 36 से बढ़ाकर 50 की गई है.

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कच्चे माल की कीमत में वृद्धि के साथ-साथ उत्पादन लागत बढ़ने के कारण से माचिस की डिब्बी की कीमत मौजूदा एक रूपए के बजाए अब 1 दिसंबर से दो रुपए हो जाएगी। रविवार को यह जानकारी संबंधित उद्योग संगठन ने दी। नेशनल स्माॅल मैच बॉक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के सचिव वी एस सेतुरतिनम ने बताया कि प्रस्तावित मूल्य वृद्धि 14 वर्ष के अंतराल के बाद हो रही है। लेकिन सबसे अच्छी बात यह है कि आप पर दोगुना बोझ भी नहीं पड़ेगा क्योंकि डिब्बी में तीलियों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है।

तीलियों की संख्या बढ़ जाएगी

अब उपभोक्ताओं को माचिस की एक डिब्बे में ज्यादा तीलियां मिलेंगी। पहले 36 तीलियां डिब्बे में होती थी। तथा अब इनकी संख्या बढ़ाकर 50 होंगी। सेतुरतिनम ने बताया कि कच्चे माल की कीमत में वृद्धि हुई है। जिससे कि उत्पादन की लागत में भी उछाल आया है। तथा इसी कारण से हमारे पास बिक्री (एमआरपी अधिकतम खुदरा मूल्य) मूल्य बढ़ाने के अलावा कोई अन्य विकल्प भी नहीं है। ईंधन की कीमतों में भी वृद्धि का एक कारण यह भी है। इससे परिवहन लागत में भी वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि माचिस की डिब्बी की कीमत मौजूदा एक‌ रुपए से बढ़ाकर दो रुपए तक एक दिसंबर से कर दी जाएगी।

अभी तक 270 से 300 रुपए तक बिक रहा है 600 माचिस का बंडल

नेशनल स्माॅलमैच बॉक्स मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन के सचिव वीएस सेथुरथिनम ने टीओआई को कहा कि निर्माता 600 माचिस का एक बंडल 270 रुपयों से लेकर 300 रुपए तक में भी बेच रहे हैं। यह भी कहा कि उन्होंने अपनी इकाइयों की बिक्री मूल्य 60 फ़ीसदी बढ़ाकर 430 से 480 रुपए प्रति बंडल करने का फैसला किया है। इसमें 12 फ़ीसदी जीएसटी तथा परिवहन की लागत शामिल नहीं है।

इस इंडस्ट्री से तमिलनाडु में 4 लाख लोग जुड़े हुए हैं.

इस उद्योग में पूरे तमिलनाडु में प्रत्यक्ष या फिर अप्रत्यक्ष रूप से करीब 4 लाख लोग कार्यरत हैं।तथा 90 फ़ीसदी से अधिक प्रत्यक्ष कर्मचारियों में महिलाएं हैं। उद्योग कर्मचारियों को बेहतर भुगतान करके एक अधिक स्थिर कार्य बल को आकर्षित करने की उम्मीद भी कर रहा है। इसके कारण से ही कई लोग मनरेगा के तहत काम करने में रुचि दिखा रहे हैं क्योंकि वहां भुगतान बेहतर है।

और क्या क्या इन 14 सालों में हुआ कितना महंगा

पिछले 14 सालों में प्रतीक चीज महंगी हो गई। लेकिन एक माचिस की डिबिया का दाम एक रुपए ही रहा। आखिरकार वह भी अब माचिस की छोटी सी डिब्बी भी मांगी होने जा रही है। सन् 2007 में यानी 14 साल पहले माचिस की डिब्बी की कीमत 50 पैसे से बढ़ाकर एक रुपए की गई थी। 14 सालों के बाद अब माचिस की डिब्बी की कीमत बढ़ाने का फैसला भी किया गया है। तथा माचिस की डिब्बी 2 रुपए दिसंबर से हो जाएगी। बताया जा रहा है कि कच्चे माल की बढ़ती कीमतों के कारण से माचिस के दाम बढ़ाए जा रहे हैं। ऐसे में जाहिर सी बात है कि आपके मन में एक यह सवाल भी उठ रहा होगा कि आखिर इतने सालों में कितना कुछ महंगा हो गया?

4 गुना महंगा हुआ सरसों का तेल

सन् 2007 अक्टूबर में सरसों के तेल की कीमत 50 रुपए के लगभग थी। और अभी सरसों के तेल की कीमत 200 रुपए प्रति लीटर के आसपास है। यानी कि इन 14 सालों में सरसों का तेल 4 गुना मांगा हो चुका है। हालांकि वैसे तो पिछले कुछ सालों में बाकी खाने के तेल भी महंगे हुए हैं। लेकिन ज्यादातर घरों में सरसों का तेल खाना बनाने के लिए ही उपयोग होता है।

ढाई से 3 गुना मांगे हुए डीजल पेट्रोल

साल 2007 अक्टूबर में डीजल की कीमत दिल्ली में 30.48 रुपए के करीब थी। जो कि आज 95.97 रुपए तक हो चुकी है। यानी कि पिछले इन 14 सालों में डीजल की कीमत 3 गुना से अधिक बढ़ चुकी है। 2007 अक्टूबर में दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 43.52 रुपए के करीब थी। जो अब 107.27 रुपए हो गई है। यानी कि पिछले इन 14 सालों में पेट्रोल की कीमत ढाई गुना से भी ज्यादा बढ़ गई है।

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