Bank Privatization: इस एक बैंक को छोड़कर सभी सरकारी बैंकों का होगा निजीकरण! यहां जाने अपडेट्स

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Bank Privatization Latest Update: इन दिनों बैंक प्राइवेटाइजेशन (Bank Privatization 2022) को लेकर सरकार बड़े ही जोर शोर से काम कर रही है। फिलहाल देश में दो सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन होने वाला है। लेकिन इस दरमियान ही एक बहुत ही महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। हमारे देश में दो प्रमुख अर्थशास्त्रियों के मुताबिक सरकार को SBI (भारतीय स्टेट बैंक) को छोड़कर अन्य सभी सरकारी बैंकों को प्राइवेट के हाथों में सुपुर्द कर देना चाहिए। तो चलिए जानते हैं कि आखिर कौन कौन सी बैंक का प्राइवेटाइजेशन होगा।

निजीकरण से नाराज है कर्मचारी

सरकारी बैंकों का निजीकरण (Bank Privatization) करने के लिए सरकार ने करीब सभी तैयारियां पूरी कर ली है। कई सरकारी कंपनियां ऐसी हैं जिन्हें प्राइवेट कंपनीज के हाथों में सौंप दिया जा रहा है। इस साल सितंबर महीने तक प्राइवेटाइजेशन शुरू होने की अंदाज लगाए जा रहे हैं। दूसरी तरफ सरकारी कर्मचारी लगातार  निजीकरण (Privatization)  का विरोध करते हुए हड़ताल भी कर रहे हैं लेकिन इस दरमियान ही हमारे देश के दो प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि सरकार को SBI को छोड़कर अन्य सभी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन कर देना चाहिए।

जानें बैंक निजीकरण के अपडेट्स

देश में सरकारी बैंकों के निजीकरण के विरोध के बीच देश के दो बड़े अर्थशास्त्री ने बयान दिया है कि SBI को छोड़कर सभी सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन (Bank Privatization 2022) होना चाहिए। एनसीएईआर की डायरेक्‍टर जनरल औरप्रधानमंत्री को आर्थिक विषयों पर सलाह देने वाली परिषद की सदस्‍य पूनम गुप्‍ता (Poonam Gupta) , नीति आयोग के पूर्व उपाध्‍यक्ष और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अरविंद पनगढिया (Professor Arvind Panagariya) ने सरकार को यह बड़ी सुझाव दिया है।

सरकारी बैंकों का निजीकरण सभी के हित में- पनगढिया और गुप्‍ता

इंडिया पॉलिसी फोरम में पेश अरविंद पनगढिया और पूनम गुप्‍ता ने एक पॉलिसी पेपर में कहा है कि,

‘सरकारी बैंकों का निजीकरण सभी के हित में है। देश की ज्यादातर सरकारी बैंकों के प्राइवेट सेक्टर में जाने से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पर भी दबाव बढ़ेगा कि वह पूरी प्रक्रिया, कानूनों और नियमों को सुव्यवस्थित करे, ताकि इसका अच्छा नतीजा निकल पाएं। ‘

लिस्ट में शामिल नहीं है एसबीआई

Bank Privatization

ncaer.org की तरफ से दी गई रिपोर्ट के मुताबिक, पॉलिसी पेपर में कहा गया है कि सैद्धांतिक रूप से SBI (भारतीय स्टेट बैंक) सहित सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण (Bank Privatization) किया जाना चाहिए। लेकिन भारत के आर्थिक और राजनीतिक ढांचे में कोई भी सरकार यह बिल्कुल ही नहीं चाहेगी कि उसके पास कोई सरकारी बैंक ही न हो।  इसे देखते हुए फिलहाल लक्ष्य SBI को छोड़कर बाकी सभी सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन (Bank Privatization 2022) करना होना चाहिए। अगर कुछ साल बाद माहौल अनुकूल दिखे तब एसबीआई (SBI ) का भी निजीकरण भी किया जाना चाहिए। इस बात का यह अर्थ होता है कि यह दोनों ही अर्थशास्त्री Bank Privatisation होने पर अपना पूर्ण समर्थन दे रहे हैं।

क्या चाहती है सरकार?

गौरतलब बात यह है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने चालू वित्त वर्ष के लिए बजट पेश करते हुए वित्त वर्ष 2022 में आईडीबीआई बैंक के साथ अन्य दो सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन (Bank Privatization 2022) करने की घोषणा की थी। इसके अलावा नीति आयोग (NITI Aayog) ने भी बैंक प्राइवेटाइजेशन के लिए दो पीएसयू (PSU) बैंकों को शॉर्टलिस्ट भी कर दिया था। उस बाद लगातार हुए विरोध के बावजूद भी सरकार ने प्राइवेटाइजेशन को लेकर अपना पक्ष पहले ही साफ कर दिया है! साथ ही वित्त मंत्री ने भी कहा था कि चालू वित्त वर्ष में एक बीमा कंपनी को भी बेच दिया जाएगा।

इस मामले में सूत्रों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक प्राइवेटाइजेशन के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक ( Central Bank of India and Indian Overseas Bank) को संभावित उम्मीदवार के तौर पर सिलेक्ट किया गया था। यानी कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक वे दो बैंक हैं जिनका प्राइवेटाइजेशन सबसे पहले होने की संभावना है।

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