Manohar Aich: अगर बात भारत के बॉडीबिल्डरों की की जाए तो, भारत में एक से बढ़कर एक बॉडीबिल्डर है जिन्होंने भारत में नहीं विदेशों में भी अपना नाम रोशन किया है और भारत का भी नाम रोशन किया है, लेकिन आज हम जिस बॉडीबिल्डर की बात करेंगे वह और बॉडी बिल्डर से अलग है, ऐसे बॉडीबिल्डर है जो 103 साल की उम्र में अपने दांतो से जेल के सलाखों को तोड़ देते हैं,
जेल जाकर के इंसान थोड़ा परेशान तो हो जाता है लेकिन यह ऐसे बॉडीबिल्डर है जो जेल में भी अपने आप को फिट रखें और 103 साल की उम्र में जेल के सलाखों को अपने दांतों से तोड़ दिया करते हैं तो आइए जानते हैं कौन है वह बॉडीबिल्डर आखिर इनका नाम क्या है।
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Manohar Aich, ऐसा नाम है जिसे हममें से बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो नहीं जानते होंगे इनको लेकिन बता दें कि उन्होंने एशियन गेम्स में तीन गोल्ड मेडल जीते थे और मिस्टर यूनिवर्स (Mr Universe) का खिताब जीतने वाले दूसरे भारतीय पहलवान थे, अगर इनके खाने की बात की जाए तो यह काफी नॉर्मल खाना खाते थे लेकिन उन्होंने अपने शरीर को इस तरह से बना लिया था कि अच्छे-अच्छे पहलवान उनके सामने फेल हो जाया करते थे, मनोहर ऐच कौन थे? मनोहर ऐच ने कौन से टाइटल जीते? मनोहर ऐच का डाइट और वर्कआउट रूटीन किस तरह का था आइए आपको हम बताते हैं ।
आइए मनोहर ऐच के बारे में कुछ जानते हैं, मनोहर ऐच का जन्म 17 मार्च, 1913 को कोमिला जिले के पुटिया गांव में हुआ, जो उस समय ब्रिटिश भारत का हिस्सा हुआ करता था, और इस समय वह बांग्लादेश में है। मनोहर ऐच ने अपना करियर महान जादूगर पीसी सोरकर के साथ एक स्टंटमैन के रूप में शुरू किया हुआ था, वह दर्शकों को दांतों से स्टील की सलाखों को मोड़ दिया करते थे, और 1000 पेज की किताब को हाथों से फाड़ भी दिया करते थे, वह ‘पॉकेट हरक्यूलिस’ के नाम से मशहूर हुआ करते थे।
Manohar Aich ने 39 साल की उम्र में बॉडी बिल्डिंग की शुरु की और उसके बाद मिस्टर यूनिवर्स प्रतियोगिता भी जीती थी। 1951 में वह मिस्टर यूनिवर्स प्रतियोगिता में दूसरे स्थान पर ही रहे, लेकिन 1952 में शानदार प्रदर्शन करते हुए उन्होंने मिस्टर यूनिवर्स का खिताब भी जीता था। उन्होंने 1951 (नई दिल्ली), 1954 (मनीला) और 1958 (टोक्यो) में आयोजित एशियन गेम्स में तीन स्वर्ण पदक भी जीते हुए थे। उस समय तक वह बॉडी बिल्डिंग कॉम्पिटिशन में भाग लिए थे। और उन्हें जीतते भी थे। मनोहर ऐच ने अपना आखिरी बॉडी बिल्डिंग कॉम्पिटिशन 2003 में खेला था उनकी उम्र 90 वर्ष हो गई थी उस वक्त।
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बताया जाता है, कि Manohar Aich 1942 में एयर फोर्स में भर्ती भी हुए थे, लेकिन एक ब्रिटिश अधिकारी को थप्पड़ मार देने के कारण उन्हें जेल में भेज दिया गया था, जेल में रहते हुए मनोहर ऐच 12 घंटे वेट ट्रेनिंग किया करते थे, इसके लिए ब्रिटिश अधिकारियों ने उनके लिए खास डाइट की व्यवस्था भी दी हुई थी। फिर एक समय ऐसा आया कि मनोहर ऐच के पिता बीमार हो गए तो उन्होंने स्टंट करना भी शुरू कर दिया था। वह अपने शरीर को तलवार की नोंक पर बैलेंस कर लिया करते थे।
एक बार स्टंट दिखाते समय थोड़ा सा मिस्टेक के कारण उनको काफी चोट आ गया था। जब वे कलकत्ता गए थे तो उन्होंने पैसे कमाने के लिए रेलवे स्टेशन पर नारियल बेचकर अपना भरना शुरू किया। मिस्टर ऐच भारत के प्रसिद्ध बॉडी बिल्डर, प्रेमचंद डेगरा से इतने छोटे थे कि उन्होंने मनोहर ऐच को नई दिल्ली में एक कॉम्पिटिशन (1993) के दौरान कंधे पर उठा लिए थे।
मनोहर ऐच के बारे में बताया जाता है कि वह फिजिकली और फिलोसोफिकली रूप से काफी स्ट्रांग हुआ करते थे।उन्होंने कभी शराब नहीं पी और धूम्रपान का सेवन भी नहीं किया वह हमेशा चावल, मछली, सब्जियां, दाल, फल और दूध का ही रोजाना के खाने में लिया करते थे। अगर एक्सरसाइज की बात की जाए तो वह मॉर्डन एक्सरसाइज करने से दूरी भी बनाए थे, और देसी एक्सरसाइज ही क्या करते थे। वह एक बार में हजार पुशअप और डंड-बैठक कर लिया करते थे।