Longwa Village: हम अगर आपसे कहें कि आपको एक ऐसे घर में रहना है, जहां पर आपका बैडरूम किसी एक देश में हो और किचन किसी दूसरे देश में, तब क्या करेंगे आप ? आप पहले तो सोच में ही पड़ जाएंगे, सही कहा न? वैसे ये हम आपसे सिर्फ ऐसे ही नहीं पूछ रहे, ये एकदम सच है, नागालैंड में एक लोंगवा गांव (Longwa Village) है, जो कि मोन जिले के सबसे बड़े गांवों में ही आता है। राज्य के सबसे उत्तरी भाग में स्थित,
यह मोन जिला नागालैंड के 11 जिलों में से ही एक है। इस गांव के बारे में खासियत यह है कि भारत-म्यांमार सीमा इसके ठीक बीच से ही गुजरती है। लोंगवा गांव के निवासियों को दोहरी नागरिकता का भी लाभ मिलता है और उन्हें स्वतंत्र रूप से घूमने की भी आजादी है।
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इस गांव की सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि भारत-म्यांमार की सीमा इस गांव से होकर गुजरती है। और एक खास बात यह है कि यह सीमा ग्राम प्रधान के घर से होकर गुजरती है, जो कि इसको दो हिस्सों में विभाजित करती है, एक तो भारत में और दूसरी ओर म्यांमार में। यहां के ग्रामीणों को सीमा पार करने के लिए वीजा की भी आवश्यकता नहीं होती है। बल्कि वो तो इन दोनों देश में स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं। आपको यह जानकार शायद हैरानी हो, मगर कुछ घरों का बेडरूम भारत में ही और किचन म्यांमार में मौजूद है। म्यांमार की तरफ करीब 27 कोन्याक गांव भी हैं।
नागालैंड के लोग काफी ज्यादा मिलनसार भी हैं। इस गांव के कुछ स्थानीय लोग भी म्यांमार की सेना में शामिल हैं। लोंगवा गांव के लोग कोन्याक जनजाति के भी हैं, जिन्हें हेडहंटर होने के लिए भी जाने जाते हैं। 1960 के दशक तक गांव में सिर का शिकार करना एक लोकप्रिय प्रथा भी रही है। गांव के कई परिवारों के पास पीतल की खोपड़ी का हार भी है, जिसको वह एक महत्वपूर्ण मान्यता के रूप में भी मानते हैं। इस हार को युद्ध में जीत का प्रतीक भी माना जाता है।
यहां पर राजा की 60 पत्नियां भी हैं! ‘द अंग’, जो कि इस गांव के वंशानुगत मुखिया हैं उनकी यहा 60 पत्नियां हैं। म्यांमार और अरुणाचल प्रदेश के 70 से भी अधिक गांवों में उनका प्रभुत्व भी है। साथ ही यहां अफीम का सेवन भी काफी ज्यादा बड़े पैमाने पर किया जाता है, इसकी खेती गांव में नहीं की जाती है बल्कि यह म्यांमार से सीमा पार तस्करी की जाती है।
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यह पूर्वोत्तर भारत में घूमने के उद्देश्य से सबसे अच्छी जगहों में से एक है। लोंगवा का शांत वातावरण और यहां की हरियाली सभी लोगों का दिल जीत लेती है। प्रकृति के इस आकर्षण के अलावा भी लोंगवा में नागालैंड साइंस सेंटर, शिलोई झील, डोयांग नदी, हांगकांग मार्केट और कई अन्य खूबसूरत पर्यटन स्थल भी मौजूद हैं।
सीमा सड़क संगठन से लोंगवा गांव तक बहुत आसानी से पहुंचा जा सकता है। गांव, मोन शहर से लगभग 42 किलोमीटर दूर है। आप नागालैंड राज्य परिवहन निगम की बसों से भी मोन जिले तक पहुँच सकते हैं या फिर लोंगवा जाने के लिए एक कार भी किराए पर ले सकते हैं।