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क्या राष्ट्रपति किसी भी व्यक्ति को दिया गया पद्मश्री पुरस्कार रद्द कर सकते हैं?

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विवादों की महारानी और बाॅलीवुड अभिनेत्री को आठ नवंबर राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री पुरस्कार मिला था। वैसे तो इन महोतरमा कंगना रनौत को यह अवार्ड मिलने पर सोशल मीडिया पर अभिनेता सोनू सूद के फैन्स ने भी काफी नाराज़गी का इजहार किया था। फिर उस बाद बाॅलीवुड क्विन ने हमारे देश की आजादी को लेकर कुछ ऐसा कह डाला की अब उन्हें दिया गया पद्मश्री अवॉर्ड वापस लेने की मांग हो रही है। ज़ी हां कंगना रनौत फिर से अपने एक विवादित बयान की वजह से चर्चा में हैं। कंगना रनौत 10 नवंबर को टाइम्स नाऊ चैनल के एक कार्यक्रम में पहुंचीं थी। यहां एक सेशन के दौरान कंगना से पूछा गया कि साल 1947 में भारत को मिली आजादी उनके लिए क्या मायने रखती है। कंगना ने इस प्रश्र का बड़ा ही विवादास्पद और बेतूका उत्तर देते हुए कहा कि,

“अब तक शरीर में खून तो जरूर बह रहा था, लेकिन वो खून हिन्दुस्तानी खून ही नहीं था…और जो ( हमारे देश को) आजादी मिली थी वो तो हमें भीख में मिली आजादी थी। सही आजादी तो हमें साल 2014 में ही प्राप्त हुई है।”

देश भर के नेताओं ने लगाई फटकार

देश की आजादी को लेकर कंगना की इस तरह की बयानबाजी के बाद देश के नेताओं और लोगों की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। लोग कंगना को मिले पद्मश्री अवार्ड वापस लेने की मांग करने लगे हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता और महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक ने कंगना से पद्मश्री तुरंत ही वापस लेने की मांग की है। इन के अलावा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी सहित कई अन्य नेताओं ने भी यह बात दोहराई है कि कंगना से उनका पद्मश्री अवार्ड वापस ले लिया जाए।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने ट्वीट किया,

आनंद शर्मा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, “कंगना रनौत को दिया गया पद्म पुरस्कार तुरंत वापस लेना चाहिए। इस तरह के पुरस्कार देने से पहले मानसिक मनोचिकित्सीय मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे व्यक्ति राष्ट्र और उसके नायकों का अपमान न कर सके”

क्या पद्म पुरस्कार वापस लिए जा सकते हैं?

पद्म अवॉर्ड तीन प्रकार के होते हैं

पद्म विभूषण-
पद्म भूषण
पद्म श्री

अलग अलग क्षेत्रों में विशेष योगदान देने वालों को ‘पद्म विभूषण, असाधारण और प्रतिष्ठित सेवा के लिए ‘पद्म भूषण’ और उच्च क्रम की विशिष्ट सेवा और किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया जाता है। लेकिन क्या पद्म अवॉर्ड वापस लिए जा सकते हैं? इस सवाल का जवाब हमें padmaawards.gov.in की वेबसाइट पर मिल सकता है। यहां इस मुद्दे पर रूल्स रेगुलेशन वाले विभाग में दी गई जानकारी कुछ इस प्रकार है,

राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह किसी भी व्यक्ति को दिए जाने वाले पुरस्कार को रद्द कर सकते हैं। पुरस्कार रद्द किए जाने के बाद उस व्यक्ति का नाम उस रजिस्टर से हटा दिया जाएगा जिसमें पुरस्कृत व्यक्तियों का नाम लिखा होता है। उस व्यक्ति को उसका पदक और सनद वापस करना होगा। हालांकि राष्ट्रपति के पास यह अधिकार भी है कि वो पदक वापसी के आदेश को भी निरस्त कर सकते है। अगर किसी व्यक्ति का पुरस्कार रद्द किया जाता है या उस रद्द किए गये आदेश को बहाल किया जाता है, तो दोनों ही स्थितियों में यह जानकारी भारत के राजपत्र पर प्रकाशित की जाएगी।

पुरस्कार रद्द होने का क्राइटेरिया क्या है?

वैसे किन संजोगो में यह पुरस्कार वापस लिया जाता है? इसके बारे में कोई भी स्पष्ट जानकारी नहीं है‌।

साल 2011 में पहलवान सुशील कुमार को पद्मश्री से नवाजा गया था, लेकिन अपने ही साथी पहलवान की हत्या में गिरफ्तार होने के बाद उनका पद्मश्री वापस लेने की बात होने लगी थी। इस मामले में टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व गृह सचिव एन गोपालास्वामी का यह मानना था कि गृह मंत्रालय पद्म पुरस्कार की समीक्षा करने में सक्षम है। हालांकि इसके लिए वह भारत के राष्ट्रपति को सिफ़ारिश करने से पहले कोर्ट के आदेश का भी इंतज़ार कर रहा है। उन्होंने कहा था कि चार्जशीट फाइल होने के बाद, राष्ट्रपति द्वारा अवॉर्ड रद्द किया जा सकता है और अगर सुशील अदालत से बरी हो जाते हैं, तो फिर उन्हें दिया गया अवॉर्ड कैंसल करने का फैसला वापस भी लिया जा सकता है।

NALSAR लॉ यूनिवर्सिटी (हैदराबाद स्थित) के वाइस चांसलर और इंडियन ऐकडेमिक एंड लीगल एक्सपर्ट फैजान मुस्तफा का कहना है,
पद्म अवॉर्ड वापस लेने के लिए कोई स्पष्ट नियम नहीं है। हां लेकिन एक सामान्य नियम है कि अगर कोई किसी को आमंत्रित कर सकता है तो उसे वह उसे हटा भी सकता है। अब यूनिवर्सिटी का ही उदाहरण लें लिजिएं, हर यूनिवर्सिटी के एक्ट में लिखा होता कि यूनिवर्सिटी अपनी दी हुई डिग्री कभी भी वापस ले सकती है।अगर किसी की MA, PhD की डिग्री वापस ली जा सकती है तो ये तो एक तरह का अवॉर्ड ही है।

राजधानी दिल्ली में UPSC स्टूडेंट्स को कोचिंग कराने वाले सरोज नामी व्यक्ति ने आजतक रेडियो से बातचीत में कहा,

वैसे तो सामान्य स्थिति में ऐसा नहीं होता, फिर भी कुछ परिस्तिथियां होती हैं। जिसने पहले अच्छा काम किया जरूरी नहीं कि वह भविष्य में भी राष्ट्र की एकता, अखंडता और संप्रभुता को बरकरार रख पाए। ऐसे व्यक्ति जो तीनों में से कोई भी पद्म अवॉर्ड ले चुके हों, और देशद्रोह या राष्ट्रीय मूल्य मान्यताओं का मान मर्दन कर रहे हैं तो फिर ऐसे लोगों से सरकार अवॉर्ड वापस ले सकती है। हालांकि ऐसा बहुत ही कम देखने को मिला है। इस से विपरीत ऐसे मामले जरूर हुए हैं जिसमें अवॉर्ड पाने वाले ने खुद ही अवॉर्ड वापस लौटाने की बात कही हो।

पंजाब राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल को साल 2015 में पद्म विभूषण दिया गया था। कृषि कानूनों के विरोध के चलते उन्होंने अपना पद्म विभूषण वापस करने की घोषणा की थी और राष्ट्रपति को पत्र भी लिख दिया था। इस बारे ही मामले में एक आरटीआई चंडीगढ़ से राष्ट्रपति भवन में भी लगाई गई थी जिसके जवाब में राष्ट्रपति भवन से जारी की गई ईमेल पर कहा गया कि आगे की कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति भवन ने गृह विभाग को पत्र भेज दिया गया है। हालांकि इस से आगे क्या एक्शन लिया गया, इस बारे में मीडिया में भी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।

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