आज के समय में हम सभी इंटरनेट का यूज करते हैं। लेकिन क्या आपको यह पता है कि अंतर्राष्ट्रीय इंटरनेट दिवस कब मनाया जाता है तथा इंटरनेट की शुरुआत कब और कैसे हुई? भारत में इंटरनेट कब और कैसे आया? अगर आपको पता है तो ठीक है नहीं तो इस आर्टिकल में, मैं आपको इन सारी चीजों के बारे में बताऊंगी कि अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट दिवस क्यों मनाया जाता हैं?
हर साल दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट दिवस 29 अक्टूबर को मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय इंटरनेट दिवस प्रौद्योगिकी तथा दूरसंचार का इतिहास साल 2005 से आरंभ हुआ यह माना जाता है। इसकी शुरुआत साल 1969 में पहली बार इंटरनेट के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक संदेश भेजने के अवसर पर किया गया था। इंटरनेट का मतलब है कि इंटरनेशनल नेटवर्क यानी पूरे विश्व के नेटवर्क को इंटरनेट करते हैं। तथा इसको हिंदी में अंतरजाल कहते हैं। एक ऐसा नेटवर्क जिसे पूरी दुनिया के कंप्यूटर आपस में एक तार से जुड़े होते हैं। या हम यह भी कह सकते हैं कि पूरी दुनिया के सारे कंप्यूटर मकड़ी के जाल की तरह आपस में एक दूसरे से ही जुड़े हुए हैं। वैसे आमतौर पर आम भाषा में इसे केवल नेट करके ही बोला जाता है। इंटरेस्ट को वर्ल्ड वाइड वेब के नाम से भी जाना जाता है। वेब यानी कि इसका अर्थ तरंगों से होता है।
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वर्ष 1969 में इंटरनेट की शुरुआत प्रमाण युद्ध होने के दौरान ही हुई थी। एक कंप्यूटर नेटवर्क जिसमें अमेरिका में सेना के लिए तैयार किया गया था। जिससे युद्ध के दौरान ही सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान आसानी से भेजा जा सके। इंटरनेट आरपानेट (Advanced Research Project Agency Network) के रूप में भी जाना जाता था। 29 अक्टूबर 1969 को चार्ली क्लाइन ने पहली बार इलेक्ट्रॉनिक संदेश प्रेषित किया था। एक संदेश चार्ली क्लाइन ने जो अमेरिका रक्षा विभाग के द्वारा यूसीएलए और स्टैनफोर्ड अनुसंधान संस्थान कंप्यूटर की नेटवर्किंग करके भेजा गया। लेकिन ट्रांसमिशन दुर्घटनाग्रस्त होने की वजह से यह सिस्टम ध्वस्त हो गया। इंटरनेट की वजह से ही दुनिया का आपस में जुड़ा होना शुरू हुआ। इसी कारणवश यह दिन एक उत्साह के साथ मनाया जाता है। रे टॉमलिंसन इंटरनेट का इस्तेमाल करके साल 1972 में पहला ईमेल भेजा था। तथा इन्हीं को ही एट द रेट (@) चीन का आविष्कारक भी गया। इसके बाद से वर्ष 1979 में ब्रिटेन के डाकघर ने पहला अंतरराष्ट्रीय कंप्यूटर नेटवर्क बनाकर नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना आरंभ किया। आरपानेट को वर्ष 1983 में दो नेटवर्क में बांट दिया गया, आरपानेट तथा मिलनेट। तथा यहीं से ही इंटरनेट की औपचारिक शुरुआत मानी जाती है। वर्ष 1986 से पहले इंटरनेट का इस्तेमाल सिर्फ सेना के कार्यों में ही होता था। लेकिन इसके बाद से ‘नेशनल साइंस फाउंडेशन नेटवर्क’ नामक एक नेटवर्क ने इसे पूरी दुनिया में उपयोग करने के लिए परमिशन दे दी। तभी इंटरनेट पर संचार को आसान बनाने के लिए टिम बर्नर ली ने ब्राउज़र तथा वेबपेजेस को आपस में लिंक करके वर्ल्ड वाइड बनाया।
साल 1969 में गूगल ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में अपना एक अनुसंधान परियोजना की शुरुआत की। तथा यह दो साल में ही औपचारिक रूप से काम करने लगा। तब से यहां धीरे-धीरे प्रगति करते हुए आज इतना विशालकाय हो गया है कि अब इसकी भी ना ऐसे लगता है जैसे कि जिंदगी थम सी गई है। लाइफ में कुछ है ही नहीं। आज सिर्फ एक क्लिक में ही कोई भी जानकारी को हम प्राप्त कर सकते हैं। आप आज दुनिया के किसी भी कोने में बैठी हो तो आपको एक ही जगह पर ही पूरी दुनिया की जानकारी मिल जाएगी। फिलहाल अब तो ऐसा ही लगता है कि पूरी दुनिया हमारे पास है।
भारत में 15 अगस्त 1985 को इंटरनेट को विदेश संचार निगम लिमिटेड अपनी टेलीफोन लाइन के जरिए दुनिया के अन्य कंप्यूटर से भारतीय कंप्यूटरों को जोड़ दिया गया। निजी कंपनियों को इंटरनेट सेवा वर्ष 1998 में प्रदान की गई। जिसमें केवल चार प्रमुख महानगर दिल्ली, मुंबई चेन्नई और कोलकाता में ही रखे गए। वैसे इंटरनेट आज देश के हर कोने में पहुंच चुका है। आज हमें इंटरनेट के जरिए ही कुछ भी कर सकते हैं। अब इंटरनेट हमारे हाथों में आ चुका है। चाहे अब आज कोई खबर पढ़नी हो या फिर रेलवे की टिकट बुक करनी हो, घर बैठे पढ़ाई करना हो या फिर मेडिकल साइंस, दवा से लेकर किताबें या फिर कोई सामान आप इंटरनेट की मदद से घर पर बैठे ही मंगवा सकते हैं। इंटरनेट से ही आज हमारी जिंदगी आसान हो गई हैं। तथा इंटरनेट हमारी जिंदगी का एक हमेशा बन चुका है।