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बुलेट ट्रेन भी फेल Hyperloop Train के सामने, भारत में भी इसका काम शुरू हुआ, जानिए इसके बारे में..

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Hyperloop Train

Hyperloop Train: Indian Railway IIT Madras के साथ मिलकर हाइपरलूप पर काम शुरू कर रहा है। जिसके लिए उन्हें पहली ग्रांट भी मिल गई है। हालांकि इस ट्रेन की रफ्तार के सामने बुलेट ट्रेन भी फेल है।

देश में इस हाइपरलूप प्रोजेक्ट के अंतर्गत मुंबई से पुणे के बीच 77 हजार 644 करोड़ रुपए की लागत से लाइन तैयार की जाएगी। मौजूदा के तरीकों से अधिक एफिशिएंट एवं फास्ट हाइपरलूप की टॉप स्पीड 1200 किमी प्रति घंटा होगा।

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Hyperloop Train जल्द आने वाली


अक्सर हम तेज चलने वाले वाहनों में हवाई जहाज या बुलेट ट्रेन की चर्चा करते हैं। लेकिन देश में अब जल्द ही हाइपरलूप ट्रेन आने वाली है। जो इन सभी से भी तेज चलेगी। यह रिपोर्ट के अनुसार इसकी स्पीड 1000 किमी प्रति घंटा मानी जाती हैं।इस पर काम करने के लिए केंद्रीय रेलवे तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने भी मंजूरी दे दी है।

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कार्बन एमिशन एवं ऊर्जा खपत को भी कम किया जा सकेगा


हाल ही में केंद्रीय रेलवे एवं इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्वनी वैष्णव ने इसके बारे में घोषणा की है। इसी प्रोजेक्ट पर आईटी मंत्रालय तथा आईआईटी मद्रास साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत स्वदेशी तरीके से देश में हाइपरलूप टेक्नोलॉजी पर ट्रांसपोर्ट सिस्टम बनाने का काम किया जा रहा है।


रेल मंत्रालय के मुताबिक इस देश में ऊर्जा की खपत को कम करेगा इसके साथ ही भारत को कार्बन न्यूट्रल बनाने में यह तकनीकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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यह तकनीकी कैसे काम करती है?



बता दें कि हाइपरलूप सिस्टम एक ऐसी तकनीक पर काम करती है जो कि कम दबाव वाले ट्यूबों में चुंबकीय उत्तोलन का उपयोग करती है। ताकि हवाई जहाज जैसी स्पीड से लोगों तथा उनके सामान को ले जाया जा सके। इस तकनीकी का नाम ‘अविष्कार हाइपरलूप’ है। इस तकनीक पर आईआईटी मद्रास के 70 छात्रों की एक टीम वर्ष 2017 से काम कर रही है। देश में हाइपरलूप तकनीकी अमेरिका की वर्जिन हाइपरलूप सर्विस के बराबर होगी।

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काफी सस्ती होगी अमेरिका वाली की तुलना में

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चूंकि यह उसकी तुलना में काफी सस्ती होगी। मंत्रालय के अनुसार इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 8.34 करोड़ रुपए हैं। हालांकि इस पर काम करने वाली टीम स्पेसएक्स हाइपरलूप पाड प्रतियोगिता-2019 में टाप-10 world ranking भी हासिल कर चुकी है। ऐसा करने वाली यह इकलौती एशियाई टीम है।

कांसेप्ट किसने दिया था?


दरअसल इस तकनीकी का कांसेप्ट एलन मस्क ने दिया था। मौजूदा वक्त में कई देशों में इस तकनीक पर काम हो रहा है। इसे हाइपरलूप इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें एक लूप के जरिए ट्रैवलिंग होती है। हवाई जहाज की स्पीड से इसमें सामान को एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचाया जा सकता है।






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