High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट Allahabad High Court ने गंगा प्रदूषण के मामले में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ( मिशन फॉर क्लीन गंगा) पर गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि मिशन Mission का काम आंखों को धोखा देने वाला है। यह मिशन केवल पैसा बांटने की मशीन machine बनकर रह गया है। इसके द्वारा बांटे गए पैसे से गंगा Ganges की सफाई हो रही है या नहीं इसकी न तो निगरानी Supervision हो रही है और न ही जमीनी स्तर पर कोई काम दिख रहा है।
मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल Chief Justice Rajesh Bindal की अगुवाई वाली खंडपीठ ने सोमवार को सुनवाई के दौरान मिशन की ओर से बांटे गए बजट का ब्योरा जाना। पूछा कि गंगा सफाई के लिए खर्च किए गए करोड़ों रुपये के बजट से काम हुआ या नहीं तो कोर्ट को कोई जवाब नहीं मिला। इसके पूर्व सुनवाई शुरू होते ही कोर्ट ने क्रमश: एनएमसीजी NMCG, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड Central Pollution Control Board, यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड UP Pollution Control Board, जल निगम ग्रामीण एवं शहरीजल निगम ग्रामीण एवं शहरी,Jal Nigam Rural & Urban, नगर निगम प्रयागराज Municipal Corporation Prayagraj सहित कई विभागों की ओर से दाखिल किए गए हलफनामे को रिकॉर्ड पर लिया और बारी-बारी से उस पर जानकारी मांगी।
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कोर्ट उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुई। कोर्ट ने पूछा कि इतनी बड़ी परियोजना के लिए पर्यावरण इंजीनियर environmental engineer है या नहीं। इस पर जवाब दिया गया कि एनएमसीजी NMCG में काम कर रहे सारे अधिकारी पर्यावरण इंजीनियर ही हैं। उनकी सहमति के बिना कोई भी परियोजना Project पास नहीं होती है। इस पर कोर्ट court ने पूछा कि परियोजनाओं की निगरानी कैसे करते हैं तो इस पर कोई जवाब नहीं आया।
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कोर्ट ने दाखिल हलफनामों affidavits में यह पाया कि कानपुर Kanpur, वाराणसी Varanasi, प्रयागराज Prayagraj सहित अन्य शहरों के लगाए गए STP (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) मानक के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं। कानपुर में सारे नाले अनटैप्ड untapped हैं।जबकि वाराणसी में दो नाले अनटैप्ड हैं। इससे नालों का पानी सीधे गंगा में गिर रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड Central Pollution Control Board की भी यही रिपोर्ट थी। ज्यादातर एसटीपी STP काम नहीं कर रहे हैं और कुछ जो काम रहे हैं, वो मानक के अनुसार नहीं हैं।
High Court को प्रयागराज नगर निगम Prayagraj Municipal Corporation की ओर से बताया गया कि नालों की सफाई के लिए प्रतिमाह 44 लाख44 lakhs रुपये खर्च हो रहे हैं। इस पर कोर्ट ने हैरानी जताई। कहा कि साल भर में करोड़ों खर्च हो रहे हैं फिर भी स्थिति वही है। यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड UP Pollution Control Board ने बताया कि उसको अब तक 332 शिकायतें complaints मिली हैं। 48 में सजा हो चुकी है। बाकी के खिलाफ Against कार्रवाई प्रक्रिया में है।