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छात्राओं ने कि स्कूल के पास शराब कि भट्टी बंद करने कि माग, कहा नहीं बंद हुआ तो स्कूल नहीं जाएंगे

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जिला प्रशासन और आबकारी विभाग की ये जिम्मदरी होती है कि वो शराब की दुकान ऎसी जगहों पर नहीं खुलने दे जहां पास में स्कूल , मंदिर, अवासी इलाके न हो ……

लेकिन अपने जिमेदरी से पल्ला कैसे झड़ते है. इसका एक उदाहरण पेश है

छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव के जिला के खेरागढ़ ब्लाक के मुढ़ीपार कन्या मध्यमिक स्कूल की छत्राओं ने ADM से अपने स्कूल के पीछे काफी दिनों से शराब की भट्टी को वहां से हटाने को कहा और ये भी कहा कि शराब की भट्टी की वजह से परिजन उन्हें स्कूल भेजने से मना करते है और घर पर रहने को कहते है |

भट्टी की वजह से हमारी शिक्षा खराब हो रहीं हैं, शराब की दुकान का रास्ता स्कूल के सामने से ही है और लोग शराब पीकर स्कूल के सामने से ही आते जाते है इसलिए हमे काफी परेशानी उठानी पड़ती हैं

अगर भट्टी वहां से हटाई नहीं गई तो हम विद्यालय आना ही बंद कर देंगे,

लेकिन राजनादा गांव के एडीएम ने कहा कि ये ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी है, इस तरह के बात सुनकर हैरानी होती है ,

एडीएम स.ए मोटवानी ने आगे कहा कि सरकार को हर हाल में शराब बेचना है क्योकि  एक बड़े राजस्व की आय इसी से हो रही हैं और अब शराब की दुकान कहीं भी खुली जा सकती है,

क्या ऐसा है कि अब शराब की दुकान कहीं भी खुल सकती है आईये जानते है शराब की दुकान खोलने के कुछ नियम……

  1. धार्मिक जगह ( मदिंर, मस्ज़िद, गुरुद्वारा) या कोई भी धार्मिक स्थान के 50 मीटर के दायरे में नहीं हो सकती शराब की दुकान।
  2. स्कूल और आवासी इलाको से भी 50  मीटर से दूर होना चाहिए शराब की दुकान,
  3. शराब की दुकान खोलने से पहले इलाके में ढोल पिटकर मुनादी करवाना और नोटिस चिपकाना जरूरी है, अगर इलाके में जानता विरोध करती है तो वहां दुकान नहीं खुल सकती |

जिला आबकारी अधिकारी देवी यादव  ने कहा शराब की दुकान खुलने कि रिपोर्ट आबकारी इंस्पेक्टर देता है, उसी के आधार पर शराब कि दुकान खोलने की अनुमति दी जाती है। हम लोग शराब की दुकान खुलने के बाद कुछ नहीं कर सकते। जो भी होना है वो शासन स्तर से हो सकता है ।

दुकान खोलते समय नियम और कानून को ताक पर रख कर दुकान खुलवा दिया जाता है और बाद में जब नियम कानून का पालन करने का हवाला दिया जाता है तो अपनी अपनी मयार्दा बता कर अपना अपना पल्डा झाड़ लेते है।

ये इंडिया है भाई यहां सारा काम जुगाड से होता है। जुगाड भी जनता के प्रतिनिधि ही निकलते है। जनता को जनता के हाल पर छोड़ कर अपनी आराम देह कुर्सी पर आराम देह स्थिति में बैठकर जनता के प्रतिनिधि, मशिहा रक्षक होने का दावा करते है

अब देखने की बात ये है कि सरकार को स्कूल के पास शराब बेचना कितना सही लगता है, दुकान बंद होता है कि नहीं लड़कियों के शिकायत के बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

Brijendra Kumar

Founder and Chief Editor

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