Veer Kunwar Singh University: आमतौर पर किसी भी प्रोफेसर के हाथों में किताब, पेन, मार्कर या फिर नोट्स होते हैं। लेकिन अगर कोई भी प्रोफेसर अपने हाथों में झाड़ू, टॉयलेट क्लीनर एवं साफ सफाई वाला ब्रश, वाइपर लिए दिखे तो आप क्या कहेंगे?? कुछ ऐसी ही तस्वीरें बिहार के आरा से आई है। जहां पर एक प्रोफ़ेसर किसी स्वीपर की तरह साफ सफाई करते दिख रहे हैं। वह भी अपने डिपार्टमेंट के बाथरूम, शौचालय एवं टॉयलेट की। यह मामला Veer Kunwar Singh University से जुड़ा है।
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बता दें कि विश्वविद्यालय के भोजपुरी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दिवाकर पांडे ने विभाग से जुड़ी समस्याओं की विवि प्रशासन द्वारा अनदेखी किए जाने के बाद से अंततः गांधीवाद विरोध का रुख अपनाया तथा भोजपुरी भवन के पहले तल्ले पर स्थित कमरों के साथ ही साथ शौचालय की साफ-सफाई खुद से कर डाली। प्रोफ़ेसर साहब का सफाई कर्मी वला गेट ऑफ सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से वायरल हो रहा है।
पूरा मामला ऐसे समझिए, प्रोफेसर से सफाई कर्मी बने दिवाकर पांडे का यह कहना है कि भोजपुरी भवन के ग्राउंड फ्लोर की सफाई तथा रखरखाव के लिए सफाई कर्मचारी कार्यरत था। मगर उसे कुछ सप्ताह पहले ही छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष विजय कुमार के कार्यालय में बिना किसी कार्यालय आदेश की ही निर्गत किए गए मौखिक रूप से बुला लिया गया।
विद्यालय के प्रशासनिक भवन से सटे ही भोजपुरी विभाग समेत पूरे फ्लोर पर काफी ज्यादा गंदगी जमा थी। सबसे बदतर स्थिति शौचालय, बेसिन की थी। जिसके दुर्गंध से पूरे फ्लोर पर रहना मुश्किल था। ऐसे में भोजपुरी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दिवाकर पांडे ने कुलसचिव से मिलकर एक सफाई कर्मचारी की मांग की जिस पर कुलसचिव द्वारा तत्काल सफाई कर्मि मुहैया कराने का आश्वासन दिया गया। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
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पांडे ने बताया कि कोई कर्मचारी प्रशासन ने नहीं भेजा ऐसे दुर्गन्ध तथा गंदगी के बीच विभाग में बैठना असंभव सा हो गया था। ऐसे में मैंने झाड़ू उठाया और खुद से ही सफाई की। प्रोफेसर पांडे ने कहा कि जब तक विवि प्रशासन किसी सफाई कर्मचारी को नहीं भेजता है वह प्रतिदिन स्वयं पहले साफ सफाई करेंगे उसके बाद से ही पठन-पाठन होगा।
बता दें कि सफाई कर्मी मुहैया कराने की मांग को पूरा करने के लिए आश्वासन भी दिया गया था। लेकिन मामला ज्यों का त्यों ही बना रहा। हालांकि प्रशासन की