क्या आपको मालूम है कि हैं जिस EVM से वोटिंग की जाती है, उस मशीन की कीमत कितनी होती है। इससे आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि चुनाव आयोग को इस मशीन के पीछे कितना पैसा खर्च करना पड़ता है।
अब आने वाले महिनो में देश के पांच राज्यों में प्रदेश की जनता अपना मुख्यमंत्री पसंद करने वाली है। चुनाव की तारीखों (Assembly Election Dates 2022) का ऐलान कर दिया गया है और जल्द ही मतदान की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी।
कुल सात चरणों में होने वाले चुनाव में EVM के जरिए ही देश की जनता कई उम्मीदवारों की कुर्सी की किस्मत का फैसला करेगी। चुनाव आते ही EVM पर भी चर्चा शुरू हो जाती है, क्योंकि कई बार EVM हैक करने के आरोप भी लगाए जा चुके हैं। जब हर तरह चुनाव और EVM आदि पर बात हो रही है तो इसी बीच हम आपको बता रहे हैं ईवीएम से जुड़ी कुछ बातें, जो हम में से बहुत कम लोग जानते हैं।
EVM मशीन की कीमत, ईवीएम का काम करने का तरीका जैसे कई सवाल हैं, जिनके जवाब भी काफी दिलचस्प हैं। हम इन सवालों के जवाब को जानकर चुनावी प्रक्रिया को और बारीकी से समझ सकते है। साथ ही हम इस बात को भी गहराई से समझ सकते हैं कि किस तरह से एक ईवीएम हमें अपना योग्य जनप्रतिनिधि चुनने में मदद करती है।
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EVM मशीन का पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन है। यह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को दो प्रकार की यूनिट से बनाया जाता हैं, जिसमें एक कंट्रोल यूनिट होता है और दूसरा बैलेटिंग यूनिट। जब हम वोट देने जाते हैं तो मतदान केन्द्र पर मौजूद चुनाव अधिकारी बैलेट मशीन के जरिए वोटिंग मशीन को ऑन करता है, जिसके बाद ही हम वोट दे सकते हैं। इस यूनिट में मतदाताओं के नाम लिखे होते हैं जिसे चुनकर हम वोट देते हैं। इस तरह एक पूरे सेट को ही ईवीएम कहा जाता है, जिससे वोटिंग होती है।
इस बारे में चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, एक होती है एम2 ईवीएम (2006-10), जिसमें नोटा सहित अधिकतम 64 अभ्यर्थियों के निर्वाचन कराना संभव हैं। यानी ये चार वोटिंग मशीन तक जोड़ी जा सकती है। इसके अलावा एक होती है एम3 ईवीएम, जिसमें ईवीएम से 24 बैलटिंग इकाइयों को जोड़कर नोटा सहित अधिकतम 384 अभ्यर्थियों के लिए भी निर्वाचन कराया जा सकता है।
वहीं, एम2 ईवीएम (2006-10 के बीच निर्मित) की लागत रु.8670/- प्रति ईवीएम ( इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) (बैलेटिंग यूनिट और कंट्रोल यूनिट) थी । अब काम में आने वाली एम3 ईवीएम की लागत करीब 17,000 रुपये प्रति यूनिट है। वैसे तो शुरुआती निवेश कुछ अधिक प्रतीत होता है, लेकिन मतपत्र से होने वाली वोटिंग से इसका खर्चा बहुत ही कम ही आता है। चुनाव आयोग के अनुसार, प्रत्येक निर्वाचन के लिए लाखों की संख्या में मतपत्रों के मुद्रण, उनके परिवहन, भंडारण आदि से संबंधित बचत और मतगणना स्टाफ में होने वाले फायदे को केंद्र में रखकर देखते हैं तो इस की कीमत की भरपाई हो जाती है।
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ईवीएम मशीन बैटरी पर काम करती है, इससे लाइट जाने की स्थितियों में भी वोटिंग की प्रक्रिया जारी ही रहती है। साथ ही मशीन को लेकर भी यह आश्वासन दिया जाता है कि `नीले बटन’ को दबाने या ईवीएम को हैंडल करने के समय किसी भी मतदाता को किसी भी समय बिजली का झटका लगने का भी कोई खतरा नहीं है।
ईवीएम में कंट्रोल यूनिट अपनी मेमोरी में परिणाम को तब तक स्टोर कर सकता है जब तक कि डाटा को क्लीयर न कर दिया जाए।