इस पोस्ट में
E RUPI भारत सरकार द्वारा लायी गई एक ऐसा प्लेटफार्म है जो हमारे और आपके जेब से भी संबंध रखती है। इसे नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने भारतीय वित्त विभाग, स्वास्थ्य मंत्रालय व परिवार कल्याण और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के साथ मिल कर बनाया है। जबकि निवेशकों में नए नए क्रिप्टो करेंसी (बिट कॉइन, डॉज कॉइन, टीथर आदि) को लेकर ढेर सारा उत्साह दिखता है वही भारत और साथ ही साथ विश्व के अन्य देशों की भी सरकारें इसे लेकर आशंकाओं से घिरी हुई हैं।
सरकारों की चिंता यह है कि इस तरह से लेन-देन में पारदर्शिता का अभाव होता है व सरकारों का नियंत्रण नही हो पाता जिससे वित्तीय अपराध की संभावना बहुत बढ़ जाती है मसलन काले धन को सफेद करना।
लोगों (खासकर) निवेशकों की बढ़ती रुचि को देख भविष्य की डिजिटल मुद्रा की जरूरतों से इंकार नही किया जा सकता। इस दिशा में विश्व की कुछ सरकारें कदम उठा भी चुकीं हैं मसलन प्रशांत महासागर में स्थित देश मार्शल आइलैंड ने सोव (SOV) व दक्षिणी अमेरिका महाद्वीपीय देश वेनेजुएला ने पेट्रो(पेट्रो) नाम की अपनी अपनी डिजिटल करेंसी की शुरू की है। हमारे पड़ोसी देश चीन ने भी अपने कर्मचारियों को वेतन भुगतान आदि के लिए डिजिटल करेंसी देने की योजना पर काम कर रहा है ऐसे में भारत भी इस डिजिटल करेंसी की दौड़ से पीछे नही रहना चाहता।
E RUPI के शुरू होने से पहले की बात करें तो भारत सरकार व रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भारत में हो रहे क्रिप्टो करेंसी में निवेश व कारोबार से शुरू से ही शासंकित रहीं है। यहां तक की 2018 में आरबीआई ने सभी बैंकों को निर्देश दिया कि क्रिप्टो करेंसी में व्यापार करने वाली किसी भी कंपनी से संबंध ना रखें जिससे भारत में क्रिप्टो करेंसी का व्यापार समाप्त हो गया था लेकिन क्रिप्टो करेंसी में व्यापार करने वाली कंपनियों जैसे UNOCOIN के अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई का यह आदेश खारिज कर दिया जिससे भारत में क्रिप्टो करेंसी में व्यापार अभी संभव है। क्रिप्टो करेंसी के बैन करने से संबंधित एक बिल भी अभी संसद में लंबित है।
E RUPI एक तरह कूपन होगा जो उपभोक्ता के मोबाइल में QR CODE (QUICK RESPONSE CODE) या SMS के रूप में होगा जो जिस काम के लिए जारी होगा सिर्फ उसी काम आ सकता है व सिर्फ एक बार ही इस्तेमाल किया जा सकता है। हां बिलकुल वही पुराने रिचार्ज कूपन की तरह।
E RUPI के आने के बाद एक चर्चा यह जोर पकड़ रही है कि क्या भारत सरकार का डिजिटल करेंसी की दिशा में पायलट प्रोजेक्ट है .? चुकि यह देखा जाता है की भारतीय रिजर्व बैंक को नोटों को छापने व बैंकों के माध्यम से हमे और आप तक पहुंचने में बड़ा खर्च उठाना पड़ता है साथ ही साथ जाली नोटों के बाजार में प्रचलन की संभावना बनी रहती है अतः करेंसी का डिजिटल होना सरकार के लिए सस्ता और बेहतर विकल्प है। इस बात की पूरी संभावना है कि E-RUPI भारत सरकार की डिजिटल करेंसी की दिशा में पहला कदम है।
डिजिटल करेंसी की दिशा में सबसे बड़ी बाध्यता है डिजिटल साक्षरता की कमी। भारत के अधिकतर गावों में जहां बच्चे बेसिक शिक्षा से वंचित रह जाते हैं वहां डिजिटल साक्षरता की कमी होना आम बात है। साथ ही साथ जो बुजुर्ग पीढ़ी है उनमें डिजिटल लेन देन को लेकर एक हिचक बनी होती है।अगर सरकार का यह कदम डिजिटल करेंसी की दिशा में यह कदम है तो भारत सरकार वंचित गांवों को इससे कैसे जोड़ती है व इसकी सफलता यह वक्त ही बता पाएगा।
बाकी अगर आपको ऊपर दिए गए तथ्यों या संस्थानों (जैसे डिजिटल करेंसी, क्रिप्टो करेंसी, भारतीय रिजर्व बैंक आदि) के बारे में कोई संसय हो या और जानकारी चाहिए हो तो हमे कमेंट के माध्यम से बताएं हम एक अन्य आर्टिकल के जरिए उसे आपतक पहुंचाने की कोशिश करेंगे।
धन्यवाद